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Pune Car Crash: नाबालिग को हिरासत में रखने पर हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी, पूछा- किस प्रावधान के तहत किया गया

Pune Car Crash अदालत ने याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया। मंगलवार 25 जून को फैसला सुनाया जाएगा। नाबालिग ने 19 मई को तेज रफ्तार पोर्शे कार से मोटरसाइकिल सवार दो इंजीनियरों को कुचल दिया था। दोनों इंजीनियरों की मौके पर ही मौत हो गई थी। किशोर को उसी दिन किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) ने जमानत दे दी थी।

By Agency Edited By: Sachin Pandey Updated: Fri, 21 Jun 2024 11:54 PM (IST)
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अदालत ने सवाल किया कि पुलिस ने जमानत रद्द करने के लिए आवेदन क्यों नहीं किया।
पीटीआई, मुंबई। पुणे दुर्घटना मामले में आरोपी किशोर को हिरासत में रखने पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को नाराजगी जताई। हाईकोर्ट ने पूछा कि जमानत मिलने के बाद भी आरोपी को हिरासत में लेकर निरीक्षण गृह में रखना क्या कारावास के समान नहीं है।

पिछले सप्ताह किशोर के स्वजन ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर दावा किया कि उसे अवैध रूप से हिरासत में लिया गया है और उसकी तत्काल रिहाई की मांग की। बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका यह सुनिश्चित करने के लिए दायर की जाती है कि गिरफ्तार व्यक्ति को अदालत के समक्ष लाया जाए और गिरफ्तारी का कारण बताया जाए।

कोर्ट ने पूछा- किस संशोधन के तहत किया गया

याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस भारती डांगरे और जस्टिस मंजूषा देशपांडे की खंडपीठ ने शुक्रवार को पुलिस से पूछा कि नाबालिग आरोपी को जमानत देने के आदेश में कानून के किस प्रविधान के तहत संशोधन किया गया। पीठ ने कहा कि आज तक पुलिस ने किशोर न्याय बोर्ड द्वारा पारित जमानत आदेश को रद्द करने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में कोई आवेदन दायर नहीं किया है। इसके बजाय जमानत आदेश में संशोधन की मांग करते हुए आवेदन दायर किया गया था।

कोर्ट ने कहा कि इस आवेदन के आधार पर, जमानत आदेश में संशोधन किया गया, नाबालिग को हिरासत में लिया गया और निगरानी गृह में भेज दिया गया। यह किस तरह का रिमांड है? यह किस तरह की प्रक्रिया है, जहां एक व्यक्ति को जमानत दी गई है और फिर उसे हिरासत में लिया जाता है। हम आपकी शक्ति का स्त्रोत जानना चाहेंगे? अदालत ने सवाल किया कि पुलिस ने जमानत रद्द करने के लिए आवेदन क्यों नहीं किया।

मंगलवार को कोर्ट सुनाएगी फैसला

अदालत ने याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया। मंगलवार 25 जून को फैसला सुनाया जाएगा। नाबालिग ने 19 मई को तेज रफ्तार पोर्शे कार से मोटरसाइकिल सवार दो इंजीनियरों को कुचल दिया था। दोनों इंजीनियरों की मौके पर ही मौत हो गई थी। किशोर को उसी दिन किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) ने जमानत दे दी थी। जमानत को लेकर देशभर में मचे बवाल के बीच पुलिस ने किशोर न्याय बोर्ड से जमानत आदेश में संशोधन करने की अपील की। 22 मई को बोर्ड ने आरोपित को हिरासत में लेने और उसे निगरानी गृह में भेजने का आदेश दिया। नाबलिग इस समय निगरानी गृह में है।

नाबालिग आरोपी के पिता को मिली जमानत

पुणे की अदालत ने एक मामले में आरोपी किशोर के पिता को शुक्रवार को जमानत दे दी। अदालत ने दो बार के मालिक और प्रबंधकों सहित पांच अन्य आरोपितों को भी जमानत दे दी, जिन्हें नाबालिग ग्राहकों को शराब परोसने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने किशोर आरोपी के पिता, विशाल अग्रवाल के खिलाफ किशोर न्याय अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया था। किशोर आरोपित के पिता और माता वर्तमान में बेटे के खून के नमूने को बदलने के मामले में न्यायिक हिरासत में हैं। इस मामले के अलावा उसके पिता को ड्राइवर के अपहरण और गलत तरीके से बंधक बनाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

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