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Pune Politics: पुणे कांग्रेस अध्यक्ष को डालना पड़ा 'टेंडर वोट', जानिए क्या होता है Tender Vote? कैसे डलता है इससे वोट

अरविंद शिंदे के अनुसार सोमवार को जब वह रास्ता पेठ के सेंट मीरा इंग्लिश मीडियम स्कूल स्थित वोटिंग बूथ पर पहुंचे तो उन्हें यह देखकर आश्चर्य हुआ कि उनका नाम तो मतदाता सूची में था लेकिन उनका वोट किसी ने पहले ही डाल दिया था। यह पता चलने पर उन्होंने इस पर आपत्ति जताई और बाद में उन्हें टेंडर वोट प्रक्रिया का उपयोग कर मतदान करने की अनुमति दी गई।

By Jagran News Edited By: Babli Kumari Updated: Mon, 13 May 2024 11:45 PM (IST)
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पुणे शहर के कांग्रेस अध्यक्ष ने 'टेंडर वोट' के जरिए डाला अपना मत (प्रतिकात्मक फोटो)
राज्य ब्यूरो, मुंबई। पुणे शहर के कांग्रेस अध्यक्ष अरविंद शिंदे को सोमवार को मतदान के दौरान 'टेंडर वोट' डालकर मतदान करना पड़ा, क्योंकि जब वह मतदान करने पहुंचे तो उनका मत कोई और डाल चुका था।

अरविंद शिंदे के अनुसार, सोमवार को जब वह रास्ता पेठ के सेंट मीरा इंग्लिश मीडियम स्कूल स्थित वोटिंग बूथ पर पहुंचे तो उन्हें यह देखकर आश्चर्य हुआ कि उनका नाम तो मतदाता सूची में था, लेकिन उनका वोट किसी ने पहले ही डाल दिया था।

ऐसे मिलती है 'टेंडर वोट' डालने की अनुमति

यह पता चलने पर उन्होंने इस पर आपत्ति जताई और बाद में उन्हें 'टेंडर वोट' प्रक्रिया का उपयोग कर मतदान करने की अनुमति दी गई। गौरतलब है कि चुनाव संचालन नियम, 1961 की धारा-49पी के अनुसार, 'टेंडर वोट' डालने की अनुमति तब दी जाती है जब किसी मतदाता को पता चलता है कि किसी ने पहले ही उसके नाम पर वोट दे दिया है।

कौन देता है  'टेंडर वोट' डालने की अनुमति?

उसके दावे से चुनाव अधिकारी के संतुष्ट होने पर पीठासीन अधिकारी उसे 'टेंडर वोट' डालने की अनुमति दे सकता है। ये वोट मतपत्रों से डाले जाते हैं और सील कर बंद कर दिए जाते हैं। ये वोट तब उपयोगी होते हैं, जब जीतने वाले उम्मीदवार और उपविजेता के बीच अंतर कम होता है। लेकिन, जीत का अंतर अधिक होने पर 'टेंडर वोट' की गिनती नहीं की जाती है। 

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