मनोज जरांगे को कोर्ट से मिली बड़ी राहत, गैर-जमानती वारंट रद; 2013 में दर्ज हुआ था धोखाधड़ी का मामला
पुणे की एक अदालत ने आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे के खिलाफ जारी गैर-जमानती वारंट को रद कर दिया है। कोर्ट ने साल 2013 में दर्ज एक घोखाधड़ी के मामले में कोर्ट में उपस्थित नहीं होने के कारण जारी किया था। आरक्षण कार्यकर्ता शुक्रवार को न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश हुए वहीं उनके वकील हर्षद निंबालकर ने एक अर्जी दाखिल करके गैर जमानती वारंट रद करने का अनुरोध किया।
पीटीआई, पुणे। पुणे की एक अदालत ने आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे को बड़ी राहत देते हुए उनके खिलाफ जारी गैर-जमानती वारंट को शुक्रवार को रद कर दिया। जरांगे के खिलाफ न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत ने साल 2013 के धोखाधड़ी के एक मामले में जरांगे के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था।
क्या है पूरा मामला?
मालूम हो कि जरांगे और सह-आरोपी ने साल 2012 में शिकायतकर्ता से संपर्क किया था। यह व्यक्ति छत्रपति शिवाजी महाराज और छत्रपति संभाजी महाराज पर नाटकों का मंचन करता था और उन लोगों ने उसे जालना जिले में शंभुराजे के छह शो करने और उसे 30 लाख रुपये की पेशकश की थी।
मामले के अनुसार, 16 लाख रुपए का भुगतान कर दिया गया, लेकिन बाकी पैसे को लेकर कुछ विवाद हुआ, जिसके बाद शिकायत दर्ज की गई। इसके बाद अदालत ने पुलिस को मामला दर्ज करने का आदेश दिया था। जरांगे और दो अन्य के खिलाफ 2013 में मामला दर्ज किया गया था।
अदालत ने रद किया गैर जमानती वारंट
वहीं, जरांगे 23 जुलाई को अदालत में पेश नहीं हुए थे, जिसके बाद न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने साल 2013 के धोखाधड़ी के एक मामले में जरांगे के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था। आरक्षण कार्यकर्ता शुक्रवार को न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम श्रेणी) के समक्ष पेश हुए, वहीं उनके वकील हर्षद निंबालकर ने एक अर्जी दाखिल करके गैर जमानती वारंट रद करने का अनुरोध किया। अदालत ने अर्जी स्वीकार कर ली और जारंगे के खिलाफ जारी गैर जमानती वारंट को रद कर दिया।
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