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खाना-पीना छोड़ खुद से करता था बातें, ऑनलाइन गेम की लत ने ली 10वीं के छात्र की जान

आज के समय में बच्चे खेलने के लिए पार्क या बाहर नहीं जाते वह ऑनलाइन गेम खेलना पसंद करते हैं। सिर्फ बात पसंद तक नहीं है बच्चे इन ऑनलाइन गेम की लत में अपनी जान तक देने पर उतारू हैं। एक ऐसी ही खबर पुणे से सामने आई है जिसमें बच्चे ने ऑनलाइन गेम के टास्क को पूरा करने के लिए अपनी जान दे दी है।

By Jagran News Edited By: Babli Kumari Updated: Tue, 30 Jul 2024 04:45 PM (IST)
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जानलेवा खेल का इतना क्रैज की बच्चे ने ले ली अपनी जान (प्रतीकात्मक फोटो)
ऑनलाइन डेस्क, पुणे। गेम की ऐसी लत की जान चली गई। जी हां, आपने बिल्कुल सही सुना है। ब्लू व्हेल नाम का ऐसा खेल जिसको खेलने वाले अपनी जान दे देते थे। ये खेल आज से लगभग सात साल पहले 2016 में आया था। इस खेल का उस वक्त एक अलग क्रैज था जिसमें देश से लेकर विदेशों तक सेकड़ों बच्चों की जान चली गई थी। इसके बाद इस गेम को साल 2017 में प्रतिबंधित कर दिया गया था, लेकिन ठीक ऐसा ही एक और गेम भारत में फिर दस्तक दे चुका है। इस नए जानलेवा गेम का एक शिकार सामने आया है।

इस जानलेवा गेम ने पुणे के एक बच्चे को अपना शिकार बनाया है। इस गेम के चलते पुणे में रहने वाला एक 15 साल के बच्चे ने आत्महत्या कर ली है। जानकारी के मुताबिक नाबालिग ने 14वीं मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली। ऐसे में डिजिटल इंडिया के इस युग में इस तरह के गेम पर पाबंदी लगाए जाने और कड़ी नजर रखने की मांग उठाई जा रही है।

गेम के टास्क को पूरा करने के लिए चाकू से खेल रहा था बच्चा 

बता दें कि यह घटना 26 जुलाई की रात पिंपरी चिंचवाड़ के किवले इलाके में हुई। यहां 15 साल का उमेश श्रीराव मां और अपने छोटे भाई के साथ रहता था। पिता विदेश में जॉब करते हैं। मां इंजीनियर होने के साथ-साथ गृहिणी हैं। मां ने पुलिस को बताया कि बेटे को 6 महीने से गेम की लत थी। वो खाना पीना भूलकर खुद को घंटों कमरे में बंद रखता था। अकेले बातें करता था। कुछ दिन पहले इसी गेम के टास्क में वो चाकू से खेल रहा था।

सोसायटी बिल्डिंग से कूदकर दी बच्चे ने जान 

25 जुलाई को पूरे दिन कमरे में बंद रहा। रात को खाने के लिए बाहर आया और फिर अंदर चला गया। छोटे बेटे को बुखार था, तो मैं उसके पास थी। आधी रात बीती ही थी कि सोसायटी के वॉट्सएप ग्रुप पर मैसेज आया - एक बच्चा बिल्डिंग से गिर गया है। मैसेज पढ़कर मैं कमरे में गई, वहां उमेश नहीं था। फिर नीचे भागी, तो पार्किंग में उमेश खून से लथपथ पड़ा था। अस्पताल ले जाने से पहले उसकी मौत हो गई।

अब तक ब्लू व्हेल गेम से गई इतने बच्चों की जान

आपको बता दें कि ब्लू व्हेल गेम की वजह से देश में पहली मौत जुलाई 2017 में हुई थी। इस गेम से पहला शिकार मुंबई के 14 साल के स्कूल छात्र मनप्रीत सिंह साहनी को बनाया था। तब मनप्रीत ने 7वीं मंजिल से कूदकर जान दे दी थी। 2019 में जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक इस गेम के चलते रूस, यूक्रेन, भारत और अमेरिका में 100 से ज्यादा बच्चों की जान गई।

क्या था ब्लू व्हेल गेम का नियम?

ब्लू व्हेल गेम में एक ऑनलाइन एडमिनिस्ट्रेटर अपने प्रतिभागियों को अलग-अलग तरह के टास्क सौंपता है। प्रतिभागियों को प्रत्येक कार्य को पूरा करने के लिए 50 दिनों की अवधि दी जाती है। खिलाड़ियों से अपेक्षा की जाती है कि वे चुनौती लेते समय अपनी तस्वीरें लें और क्यूरेटर की स्वीकृति के लिए उन्हें सबूत के तौर पर अपलोड करें। इस गेम में अंतिम चुनौती आत्महत्या करना है।

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