100 Crore Recovery Case: अनिल देशमुख ने अपने खिलाफ चल रही CBI जांच को अवैध बताया
अनिल देशमुख के खिलाफ दर्ज सीबीआई जांच को लेकर उनके वकील अमित देसाई ने उच्च न्यायालय में कहा कि हालांकि देशमुख के खिलाफ सीबीआई जांच उच्च न्यायालय के ही आदेश परशुरू हुई थी लेकिन इसे शुरू करने से पहले कानून का पालन नहीं किया गया।
मुंबई, राज्य ब्यूरो। महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख ने अपने खिलाफ चल रही सीबीआई जांच को अवैध बताया है। सीबीआई उनके विरुद्ध पद का दुरुपयोग करते हुए भ्रष्टाचार में लिप्त होने के आरोप की जांच कर रही है। अनिल देशमुख के खिलाफ दर्ज सीबीआई की एफआईआर रद करने की मांग करते हुए उनके वकील अमित देसाई ने उच्च न्यायालय में कहा कि हालांकि देशमुख के खिलाफ सीबीआई जांच उच्च न्यायालय के ही आदेश पर शुरू हुई थी। लेकिन यह जांच शुरू करने से पहले कानून का पालन नहीं किया गया। उस समय देशमुख सार्वजनिक सेवा में थे। उनके खिलाफ जांच शुरू करने से पहले राज्य सरकार से अनुमति ली जानी चाहिए थी। यह अनुमति नहीं ली गई। इसलिए यह जांच ही गैरकानूनी है।
जनसेवक के विरुद्ध जांच शुरू करने से पहले अनुमति आवश्यक
यहां तक कि कसाब जैसे व्यक्ति को भी इस देश में कानून के अनुसार अपनी रक्षा करने का अधिकार दिया जाता है। इस देश में सभी को कानून का संरक्षण हासिल है। हम भावनाओं में बह सकते हैं। लेकिन कानून को नजरंदाज नहीं किया जा सकता। देसाई ने न्यायमूर्ति एस.एस.शिंदे एवं एन.एम.जमादार की खंडपीड के सामने भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 17ए का हवाला देते हुए कहा कि पुलिस या किसी और जांच एजेंसी को किसी जनसेवक के विरुद्ध जांच शुरू करने से पहले अनुमति लेनी आवश्यक होती है।
इस पर मामले की सुनवाई कर रही पीठ ने ही उनकी बात काटते हुए कहा कि धारा 17ए अपना कर्तव्य पालन कर रहे किसी अधिकारी के अधिकारों की रक्षा के लिए है। जबकि सीबीआई ने अपने हलफनामे में कहा है कि देशमुख अपना कार्य करते हुए भ्रष्टाचार एवं स्थानांतरण में हस्तक्षेप करने में व्यस्त थे। इसे कर्तव्य पालन नहीं कहा जा सकता। कोर्ट की इस टिप्पणी पर बहस करते हुए देसाई ने कहा कि सीबीआई की ही एफआईआर में कहा गया है कि देशमुख द्वारा किए जा रहे सभी कार्य उनकी सार्वजनिक सेवा में ही आते थे।
सचिन वाझे से पूछताछ की अनुमति
देशमुख के खिलाफ उच्च न्यायालय की ही एक अन्य पीठ के आदेश पर सीबीआई जांच चल रही है। देशमुख एवं महाराष्ट्र सरकार इस जांच का दायरा सिर्फ उन पर लगे 100 करोड़ रुपए की वसूली के आरोप तक ही सीमित रखवाना चाहते हैं। जबकि सीबीआई आईपीएस रश्मि शुक्ला द्वारा उन पर लगाए गए ट्रांस्फर-पोस्टिंग में हस्तक्षेप की भी जांच कर रही है। इस बीच विशेष एनआईए अदालत ने सीबीआई को मुंबई पुलिस के बर्खास्त एपीआई सचिन वाझे से पूछताछ की अनुमति भी दे दी है।
और बढ़ सकती हैं अनिल देशमुख की मुसीबतें
सीबीआई वाझे से अनिल देशमुख पर लगे आरोपों के संबंध में ही पूछताछ करना चाहती है। देशमुख ने गृहमंत्री रहते हुए वाझे को ही अपने सरकारी आवास पर बुलाकर उसे मुंबई के बारों से प्रतिमाह 100 करोड़ रुपए वसूली का टार्गेट दिया था। वाझे एनआईए कोर्ट को लिखे अपने पत्र में भी इस बात की पुष्टि कर चुका है। माना जा रहा है कि सीबीआई द्वारा वाझे का बयान दर्ज करने के बाद अनिल देशमुख की मुसीबतें और बढ़ सकती हैं। प्रवर्तन निदेशालय से तो वह पहले ही कन्नी काटते दिखाई दे रहे हैं।