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आसान भाषा में समझें क्या होते हैं सेंसेक्स और निफ्टी, इनके बीच क्या है अंतर

सेंसेक्स बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज यानी BSE का बेंचमार्क इंडेक्स है। इसलिए इसे BSE Sensex भी कहा जाता है। बता दें कि सेंसेक्स शब्द सेंसेटिव और इंडेक्स को मिलाकर बना है। वहीं हिंदी में इसे संवेदी सूचकांक भी कहते हैं।

By Siddharth PriyadarshiEdited By: Updated: Wed, 23 Nov 2022 06:53 PM (IST)
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What is Nifty and Sensex In Stock Market
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। अक्सर बिजनेस की खबरें पढ़ने के दौरान कुछ शब्द बार-बार सामने आते हैं जिसमें सेंसेक्स और निफ्टी प्रमुख हैं। अखबार पढ़ने या टीवी देखने के दौरान पता चलता है कि सेंसेक्स ने इतना रिकॉर्ड स्तर छुआ या सेंसेक्स में गिरावट के चलते निवेशकों का लाखों का नुकसान हुआ, ऐसे में आम लोगों के मन में भी दिलचस्पी उठना स्वाभाविक होता है कि सेंसेक्स और निफ्टी क्या होता हैं? जिससे लोगों के नफा- नुकसान जुड़ा होता है। साथ ही,  अगर शेयर बाजार में निवेश या ट्रेडिंग करने के लिए आप की सोच रहे हैं तो भी इनके बारे में जानना बहुत जरूरी है। आइए इस इस आर्टिकल के माध्यम से जानेंगे कि सेंसेक्स और निफ्टी क्या हैं?

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दरअसल, Sensex और Nifty दो प्रमुख लॉर्ज कैप इंडेक्स यानी सूचकांक हैं। सेंसेक्स बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) से जुड़ा इंडेक्स है, जबकि निफ्टी नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) से जुड़ा हुआ है। ये दोनों इंडेक्स स्टॉक मार्केट में उठा-पटक को मापने के काम करते हैं। हालांकि, जब कोई निफ्टी कहता है तो उसका मतलब निफ्टी 50 होता है। 

क्या है Sensex? 

सेंसेक्स बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज यानी BSE का बेंचमार्क इंडेक्स है। इसलिए इसे BSE Sensex भी कहा जाता है। बता दें कि सेंसेक्स शब्द सेंसेटिव और इंडेक्स को मिलाकर बना है। वहीं, हिंदी में इसे संवेदी सूचकांक भी कहते हैं,  इसे सबसे पहले 1986 में अपनाया गया था और यह 13 अलग-अलग सेक्टर की 30 कंपनियों के शेयरों में होने वाले उतार-चढ़ाव यानी इंडेक्स को दिखाता है। इन शेयरों में बदलाव से सेंसेक्स में उतार-चढ़ाव आता है। साथ ही, सेंसेक्स का कैलकुलेशन फ्री फ्लोट मेथड से किया जाता है। 

Nifty 50 क्या है?

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का Nifty 50 भी एक प्रमुख मार्केट इंडिकेटर है। बता दें कि, निफ्टी शब्द नेशनल और फिफ्टी को मिलाकर बना है। नाम के अनुरूप इस इंडेक्स में 14 सेक्टर की 50 भारतीय कंपनियां शामिल हैं। वहीं, इस प्रकार यह बीएसई की तुलना में अधिक डाइवर्सिफाइड होता है। बीएसई की तरह ही यह लार्ज कैप कंपनियों के मार्केट परफॉरमेंस को भी ट्रैक करता है। बता दें कि, इसे 1996 में लांच किया गया था और इसकी गणना फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन के आधार पर की जाती है। 

इतना महत्वपूर्ण क्यों हैं Nifty और Sensex

दरअसल, भारतीय शेयर बाजार में होने वाले उतार-चढ़ाव का संकेत देने वाले सिर्फ यही दो इंडेक्स नहीं हैं। इसके अलावा भी कई इंडेक्स शामिल हैं, जिनका इस्तेमाल शेयरों की चाल को समझने में किया जाता है। इनमें ज्यादातर इंडेक्स किसी खास सेक्टर या कंपनियों के किसी खास वर्गीकरण से जुड़े हुए हैं। उदाहरण के तौर पर किसी दिन के कारोबार के दौरान 12 प्रमुख बैंकों के शेयरों की एवरेज चाल का संकेत देने वाला Banking Index या सिर्फ सरकारी बैंकों के शेयरों का हाल बताने वाला PSU Bank Index या स्टील और माइनिंग सेक्टर की कंपनियों के शेयरों के चाल का संकेत देने वाला मेटल इंडेक्स या फार्मा कंपनियों के शेयरों का फार्मा इंडेक्स आदि।

बता दें कि ये सभी इंडेक्स बाजार में पैसे लगाने वाले निवेशकों या ब्रोकर या सलाहकारों के लिए बेहद जरूरी काम के होते हैं। वहीं,  एक नजर में बाजार का ओवरऑल रुझान को समझना हो या किसी स्टॉक का भविष्य का अंदाज़ा लगाना हो, तो उसके लिए सबसे ज्यादा सेंसेक्स और निफ्टी जैसे बेंचमार्क इंडेक्स को मार्केट सेंटीमेंट का सबसे आसान इंडिकेटर माना जाता है। 

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