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Market Tips: शेयर बाजार में क्या होती है ब्लॉक डील? रिटेल निवेशक हमेशा रखें इस बात पर नजर

शेयर बाजार में भी दो मार्केट होते हैं। पहला प्राइमरी मार्केट (Primary Market) और दूसरा सेकेंडरी मार्केट (Secondary Market)। शेयर बाजार में कंपनियां लिस्ट होती हैं जिनके हम स्टॉक्स खरीदते-बेचते हैं। सेकेंडरी मार्केट में उतरने से पहले कंपनी को प्राइमरी मार्केट में आईपीओ (IPO) लाना होता है।

By Siddharth PriyadarshiEdited By: Updated: Sat, 08 Oct 2022 12:30 PM (IST)
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Stock Market: What is block deal, tips for Retail investor

नई दिल्ली, ब्रांड डेस्क। रिस्क है तो इश्क है... अपने जमाने के बिग-बुल हर्षद मेहता पर बनी वेब सीरीज स्कैम 1992 का यह डायलॉग काफी फेमस हुआ है। आज के युवा भी इसी टैगलाइन के साथ शेयर बाजार (Share Market) में उतरकर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। लेकिन एक्सपर्ट कहते हैं कि हमेशा उसी निवेश विकल्प (Investment Options) में पैसा लगाना चाहिए, जिसकी हमें समझ हो। इसलिए स्टॉक मार्केट में उतरने वाले लोग पहले इसे अच्छे से जरूर समझ लें। आज हम इस आर्टिकल में आपको डिस्ट्रीब्यूशन स्टॉक्स (Distribution Stocks) के बारे में बताएंगे।

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दो तरह के होते हैं मार्केट

शेयर बाजार में भी दो मार्केट होते हैं। पहला प्राइमरी मार्केट (Primary Market) और दूसरा सेकेंडरी मार्केट (Secondary Market)। शेयर बाजार में कंपनियां लिस्ट होती हैं, जिनके हम स्टॉक्स खरीदते-बेचते हैं। सेकेंडरी मार्केट में उतरने से पहले कंपनी को प्राइमरी मार्केट में आईपीओ (IPO) लाना होता है। आईपीओ से पहले कोई प्राइवेट लिमिटेड कंपनी 200 लोगों को प्राइवेट प्लेसमेंट के रूप में शेयर आवंटित कर सकती है। अब प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को पब्लिक लिमिटेड करना होगा। इसके बाद कंपनी आईपीओ लॉन्च कर सकती है। आईपीओ को निवेशकों द्वारा एक प्राइस बैंड पर सब्सक्राइब किया जाता है।

आईपीओ से सेकेंडरी मार्केट में लिस्ट होती है कंपनी

आईपीओ लाकर कंपनी सेकेंडरी मार्केट में लिस्ट होती है। भारत में सेकेंडरी मार्केट में दो बड़े स्टॉक एक्सचेंज बीएसई (BSE) और एनएसई (NSE) हैं। यहां लिस्ट होने के बाद कंपनी के शेयरों की खरीद-फरोख्त इन्हीं एक्सचेंजों पर होती है। इस समय बीएसई पर करीब 5,300 कंपनियां लिस्ट हैं। वहीं, एनएसई पर करीब 1645 कंपनियां लिस्ट हैं।

सेकेंडरी डिस्ट्रीब्यूशन और ब्लॉक डील

हालांकि, एक लिस्टेड कंपनी के शेयरों की खरीद-फरोख्त स्टॉक एक्सचेंज के बिना भी हो सकती है। इसे सेकेंडरी डिस्ट्रीब्यूशन (Secondary Distribution) कहते हैं। शेयर मार्केट एक्सपर्ट डॉ रवि सिंह बताते हैं कि सेंकेडरी मार्केट दो तरह के होते हैं। एक वह, जिसमें एक्सचेंजों के माध्यम से सौदे होते हैं। दूसरे में बड़े शेयरधारक खुद आपस में शेयरों का लेनदेन कर लेते हैं। इसे बल्क डील या ब्लॉक डील (Block Deal) भी कहा जाता है।

नहीं होती स्टॉक एक्सचेंज या ब्रोकर की जरूरत

बल्क डील में निवेशक सीधे कंपनी के मैनेजर से डील करके शेयर ट्रांसफर करवा लेते हैं। इसमें स्टॉक एक्सचेंज या ब्रोकर की जरूरत नहीं होती है। आमतौर पर कंपनी अगर किसी को अपनी हिस्सेदारी दे या कोई नया प्रमोटर कंपनी में आए तो ऐसा देखने को मिलता है। डॉ रवि के अनुसार, ये सौदे पब्लिक ले लिए नहीं होते हैं।

एक्सचेंज जारी करते हैं लिस्ट

स्टॉक एक्सचेंज ब्लॉक डील करने वालों की लिस्ट जारी करते हैं। अगर कोई बल्क में शेयर की डिलीवरी लेता है, तो उससे शेयर की कीमत बढ़ जाती है। रिटेल निवेशक इससे यह भी अंदाजा लगाते हैं कि कंपनी में कुछ बड़ी इकनॉमिक एक्टिविटी होने वाली है, जैसे डिविडेंड आदि। बल्क डील में शेयरों के सौदे मार्केट प्राइस के आस-पास ही होते हैं। इसमें कोई नया शेयर जारी नहीं होता है, इसलिए कंपनी के कुल शेयरों की संख्या समान ही रहती है।

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Note:- यह आर्टिकल ब्रांड डेस्क द्वारा लिखा गया है।