Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Market Outlook: अगले हफ्ते कैसी रहेगी बाजार की चाल, महंगाई के आंकड़ों के साथ ये फैक्टर्स रहेंगे अहम

Market Outlook भारतीय शेयर बाजार के लिए अगले हफ्ते खुदरा और थोक महंगाई के आंकड़ों के साथ व्यापारिक घाटा के साथ कई अहम फैक्टर्स अहम रहने वाले हैं। भारतीय बाजारों की चाल में विदेशी निवेशकों के रुझान और डॉलर के मुकाबले रुपये की चाल की अहम भूमिका होगा। पिछले हफ्ते सेंसेक्स और निफ्टी दबाव के साथ बंद हुए थे। (जागरण फाइल फोटो)

By Abhinav ShalyaEdited By: Abhinav ShalyaUpdated: Sun, 13 Aug 2023 10:04 AM (IST)
Hero Image
जानिए अगले हफ्ते कौन-से फैक्टर्स रहेंगे अहम

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। अगला हफ्ता शेयर बाजार के लिए काफी उतार-चढ़ाव भरा रह सकता है। खुदार और थोक महंगाई के साथ व्यापारिक घाटा जैसे अहम आंकड़ों पर निवेशकों की निगाहें होंगी। इसके साथ डॉलर के मुकाबले रुपये की चाल और विदेशी निवेशकों के रुझान से बाजार की दिशा तय होगी।

15 अगस्त को बंद रहेगा बाजार

76वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर 15 अगस्त यानी मंगलवार को बाजार बंद रहेगा। इस दिन बाजार में इक्विटी के साथ-साथ डेरिवेटिव सेगमेंच में भी कोई कारोबार नहीं होगा। इसके बाद अगले दिन यानी 16 अगस्त बुधवार को बाजार खुलेगा।

भारतीय शेयर बाजार में गिरावट

अमेरिकी फेड की ओर से ब्याज दरों में बढ़ोतरी करने के बाद भारतीय शेयर बाजार में गिरावट देखी जा रही है। शुक्रवार के कारोबारी सत्र में सेंसेक्स 365.53 अंक या 0.56 प्रतिशत गिरकर 65,322.65 अंक और निफ्टी 114.80 अंक या 0.59 प्रतिशत गिरकर 19,428.30 अंक पर बंद हुआ।

इस दौरान बीएसई मिडकैप इंडेक्स में 0.13 प्रतिशत और बीएसई स्मॉलकैप इंडेक्स में 0.31 प्रतिशत की गिरावट हुई थी। एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, इन्फोसिस और एचयूएल सेंसेक्स के टॉप लूजर्स थे।

पिछले करीब दो कारोबारी सत्रों से सेंसेक्स और निफ्टी पर दबाव देखा गया है। इस दौरान सेंसेक्स 0.60 प्रतिशत और निफ्टी 0.45 प्रतिशत टूटा है। शुक्रवार के सत्र में सेंसेक्स का मार्केट कैप करीब 304.6 लाख करोड़ रुपये था।

ब्याज दर में नहीं हुआ बदलाव

पिछले हफ्ते आरबीआई की ओर से मॉनेटरी पॉलिसी का एलान किया गया था। आरबीआई की ओर से रेपो रेट को यथावत 6.50 प्रतिशत पर रखा गया है। इससे पहले आरबीआई ने मई 2022 से फरवरी 2023 तक रेपो रेट 2.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी की थी। अप्रैल और जून की मॉनेटरी पॉलिसी में ब्याज दरों को स्थिर रखा था।