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सजा में गूंजे ठहाके

हंसमुख और चंचल अभिनेत्री मानिनी मिश्रा गणित से बचने के लिए खूब शरारतें करती थीं। जानते हैं उनके बचपन की कहानी, उनकी ही जुबानी...

By Monika minalEdited By: Updated: Mon, 23 May 2016 09:35 AM (IST)

मेरा जन्म नई दिल्ली में हुआ। मैंने अपनी शिक्षा वहीं दिल्ली पब्लिक स्कूल से प्राप्त की। मैं पढ़ने में तो तेज थी लेकिन पढ़ने से बचने के लिए शरारतें भी कम नहीं करती थी। स्कूली दिनों में मुझे नए-नए दोस्त बनाना पसंद था। मस्ती व शरारत भरे वो पल मैं कभी नहीं भूल सकती। बनना था पुरातत्वविद् यूं तो मैं सारे विषयों में अच्छी थी, लेकिन इतिहास और अंग्रेजी में बहुत तेज थी। मुझे याद है कि एक बार इतिहास में 86 व अंग्रेजी में 90 नंबर मिले थे। मैं पुरातत्वविद् बनना चाहती थी, शायद इसलिए भी मुझे इतिहास पसंद था। अंग्रेजी मेरा फेवरेट सब्जेक्ट था और मैं क्लास में खड़ी होकर रीडिंग किया करती थी। इस काम में मुझे बहुत गर्व महसूस होता था। मैं स्कूल में होने वाली भाषण प्रतियोगिता में भी हिस्सा लिया करती थी।

मुसीबत में कि मदद

जब महका नमक

गणित से मुझे बहुत चिढ़ थी। शायद आपको यह जानकर हंसी आए कि गणित विषय में अधिकतर मुझे केवल तीन नंबर ही मिलते थे। एक बार गणित के पेपर वाले दिन मैंने अपने क्लास में सेंधा नमक रख दिया, जो कि बहुत बदबू कर रहा था। मैं जानती थी कि मैं उस पेपर में फेल हो जाऊंगी, मेरी यह शरारत काम कर गई और टीचर क्लास छोड़कर चली गईं।

पूरी क्लास को मिली सजा

मेरी बेंचमेट स्टेला मेरी बेस्टफ्रेंड थी। मुझे आज भी हमारी पूरी क्लास को मिली एक सजा अच्छी तरह याद है। हम सब डांस कर रहे थे लेकिन पकड़े गए और सारे स्टूडेंट्स को क्लास के बाहर खड़े होने की सजा मिली। क्लास के बाहर खड़े होने के दौरान भी हम ठहाके लगाकर हंसते रहे।

मदद करने से मिलती है खुशी