Delhi: जानिए किस दिन दिल्ली को चुना गया था देश की राजधानी और किसने की थी यह घोषणा
Delhi आज से बरसो पहले देश की राजधानी दिल्ली नहीं बल्कि कलक्ता (कोलकाता) थी। यह उस वक्त की बात है कि जब देश अंग्रेजों की गुलामी में जकड़ा हुआ था। यह अवधि साल 1911 तक रही थी। हालांकि इतिहासकारों के अनुसार और रिपोर्ट्स के मुताबिक अंग्रेजों को यह लगने लगा कि देश का शासन बेहतर संचालन कलकत्ता के बजाए दिल्ली से हो सकता है। इसलिए उन्होंने इस दिशा में सोचा।
By Nandini DubeyEdited By: Nandini DubeyUpdated: Tue, 05 Sep 2023 02:42 PM (IST)
एजुकेशन डेस्क। Delhi: प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुटे कैंडिडेट्स के लिए यह जानकारी काम की साबित हो सकती है। आज, हम आपको देश की राजधानी दिल्ली के बारे में अहम जानकारी देने जा रहे हैं। हम बताने जा रहे हैं कि आखिर किस दिन दिल्ली को राष्ट्र की राजधानी के रुप में चुना गया। किसने किया था इस बात का ऐलान। इसके अलावा, दिलवालो की दिल्ली से जुड़े कुछ और रोचक तथ्य तो आइए डालते हैं एक नजर।
आज से बरसो पहले देश की राजधानी दिल्ली नहीं बल्कि कलक्ता (कोलकाता) थी। यह उस वक्त की बात है कि, जब देश अंग्रेजों की गुलामी में जकड़ा हुआ था। यह अवधि साल 1911 तक रही थी। हालांकि, इतिहासकारों के अनुसार और रिपोर्ट्स के मुताबिक, अंग्रेजों को यह लगने लगा कि देश का शासन बेहतर संचालन कलकत्ता के बजाए दिल्ली से हो सकता है। इसलिए उन्होंने इस दिशा में सोचा। अंग्रेज महाराजा जॉर्ज पंचम ने इस संबंध में आदेश जारी किए। इसके बाद, 12 दिसंबर, 1911 को दिल्ली को भारत की राजधानी बनाने की घोषणा कर दी गई।
1931 को आधिकारिक तौर पर हुई घोषणा
भले ही दिल्ली को राजधानी बनाने की घोषणा साल 1911 में की गई हो लेकिन आधिकारिक तौर पर राजधानी घोषित करने में इसे समय लगा। सभी औपचारिकताएं पूरी होने के बाद इसे 13 फरवरी 1931 को दिल्ली को आधिकारिक तौर पर राजधानी घोषित किया गया था।कई बार उजड़ी है दिल्ली
आज की दिल्ली बनने से पहले कई बार यह उजड़ चुकी है। इसे तमाम राजा और महाराओं ने अपने अनुरुप ढाला। हालांकि, ज्यादा वर्षों तक कोई भी इस पर राज नहीं कर पाया। वहीं, महाभारत काल (1400 ई.पू.) में दिल्ली पांडवों की नगरी इंद्रप्रस्थ के रूप में जानी जाती थी।
जी 20 शिखर सम्मेलन होना है आयोजितदिल्ली में इस वक्त जी 20 शिखर सम्मेलन को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं। यह सम्मेलन नौ और दस सितंबर, 2023 को आयोजित होना है, जिसमें विभिन्न सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष, शासनाध्यक्ष और अन्य सदस्य शामिल होने वाले हैं।यह भी पढ़ें: Goa: आजादी मिलने के बाद भी गुलाम रहा था गोवा, पढ़िए राज्य से जुड़े कुछ रोचक तथ्य