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IAS Success Story: दूसरे प्रयास में राधिका गुप्ता बनीं आईएएस, सेल्फ स्टडी के दम पर हासिल की सफलता

IAS Success Story मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद राधिका को दिल्ली की एक कॉर्पोरेट कंपनी में जॉब भी मिल गई थी। यहां वे अपना काम कर रही थीं लेकिन दिल में उनके कुछ और ही चल रहा था।

By Nandini DubeyEdited By: Nandini DubeyUpdated: Tue, 21 Feb 2023 05:28 PM (IST)
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IAS Success Story: यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में एमपी की राधिका ने दूसरे प्रयास में पाई सफलता

एजुकेशन डेस्क। IAS Success Story: यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में सफलता पाना आसान नहीं है। हर साल लाखों अभ्यर्थी इस एग्जाम की तैयारी करते हैं, जिनमें से कुछ के ही सपने पूरे हो पाते हैं। ऐसा ही एक शख्सियत हैं राधिका गुप्ता, जिन्होंने न केवल ये सपना देखा बल्कि दूसरे प्रयास में ही सच साबित कर दिखाया। राधिका ने कैसे हासिल की यूपीएससी CSE परीक्षा में सफलता, आइए जानते हैं।

मध्य प्रदेश से ताल्लुक रखने वाली राधिका यहां अलीराजपुर की निवासी हैं। यहां से स्कूली एजुकेशन पूरी करने के बाद उन्होंने इंदौर के एक कॉलेज से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है।

पढ़ाई के बाद मिली अच्छी जॉब

मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद राधिका को दिल्ली की एक कॉर्पोरेट कंपनी में जॉब भी मिल गई थी। यहां वे अपना काम कर रही थीं, लेकिन दिल में उनके कुछ और ही चल रहा था। 

जॉब के दौरान ही जागी दिलचस्पी

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में सफल होने वाली राधिका ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि कॉलेज की पढ़ाई तक उन्हें इस संबंध में ज्यादा जानकारी नहीं थी लेकिन जैसे ही उन्होंने दिल्ली में रहकर जॉब शुरू की तो यहां राजेंद्र नगर और मुखर्जी नगर में कोचिंग और प्रतियोगी परीक्षाओं के माहौल को देखते हुए उनकी सिविल सेवा में दिलचस्पी बढ़ गई।

नौकरी छोड़ शुरू की तैयारी

यूपीएससी की परीक्षा में रुचि बढ़ने के चलते पहले राधिका जॉब के साथ-साथ इस एग्जाम की तैयारी करती रहीं लेकिन कुछ वक्त बाद वे जॉब को छोड़कर इंदौर में तैयारी करने लगी। हालांकि, इस दौरान उन्होंने निर्णय लिया था कि वे IAS की परीक्षा के लिए कोई कोचिंग नहीं करेंगी, ब्लकि सेल्फ स्टडी करेंगी।

दूसरे प्रयास में मिली सफलता

राधिका गुप्ता ने सेल्फ स्टडी के दम पर सिविल सेवा परीक्षा में पहला स्थान हासिल किया। इस दौरान उन्हें आईआरपीएस अधिकारी की पोस्ट मिली थी लेकिन उनके मन में कहीं न कहीं IAS बनने का सपना था और इसलिए वे तैयारी करती रहीं और दोबारा परीक्षा में शामिल हुईं। इस बार वे आईएएस टॉपर बन गईं। उन्हें 18वीं रैंक मिली थी।