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Nursing : नौकरी के साथ सेवा का सुख, दुनिया भर में बढ़ रही डिमांड

कोरोना के बाद स्थितियां सामान्‍य होते ही देश और दुनिया के अस्पतालों और नर्सिंग होम में नर्सेज व हेल्‍थ वर्कर्स की मांग बढ़ रही है। स्‍वास्‍थ्‍य कर्मियों की कमी पूरी करने के लिए सभी बड़़े देश अपने यहां वीजा में ढील के साथ-साथ अच्‍छा वेतन भी आफर कर रहे हैं।

By Dheerendra PathakEdited By: Updated: Tue, 11 Oct 2022 05:09 PM (IST)
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सरकारी से लेकर निजी अस्पतालों तक में पुरुष नर्सिंग स्टाफ की भी काफी जरूरत होती है।
धीरेंद्र पाठक। कोरोना के बाद स्थितियां सामान्‍य होते ही देश और दुनिया के अस्पतालों और नर्सिंग होम में नर्सेज व हेल्‍थ वर्कर्स की मांग बढ़ रही है। स्‍वास्‍थ्‍य कर्मियों की कमी पूरी करने के लिए सभी बड़़े देश अपने यहां वीजा में ढील के साथ-साथ अच्‍छा वेतन भी आफर कर रहे हैं। अपने देश में भी ऐसे प्रोफेशनल्‍स की जरूरत लगातार बढ़ रही है। आइये जानें, कैसे समुचित कोर्सेज करके नर्सिंग या इससे संबंधित अन्य क्षेत्रों में करियर को आगे बढ़ाया जा सकता है…

इंटरनेशनल काउंसिल आफ नर्सेज की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, आने वाले वर्षों में दुनिया भर में करीब 1.30 करोड़ नर्स और हेल्‍थ वर्कर्स की जरूरत होगी। अभी भी भारत समेत दुनिया के कई बड़े देश नर्सों की कमी की चुनौती से जूझ रहे हैं। इन दिनों दुश और दुनिया के अन्य देशों में नर्सेज, हेल्‍थवर्कर्स या पैरामेडिकल स्‍टाफ की आवश्यकता कई कारणों से बढ़ रही है। कोरोना के बाद चरमराई स्‍वास्‍थ्‍य व्‍यवस्‍था इसका एक कारण तो है ही, इसके अलावा, बढ़ती जनसंख्या के साथ उम्रदराज लोगों की संख्‍या भी लगातार बढ़ रही है। तमाम तरह के रोग, शारीरिक-मानसिक बीमारियां/परेशानियां भी दिन ब दिन बढ़ रही हैं। स्वाभाविक है ऐसे में लोगों की सेहत को ठीक रखने के लिए चिकित्सक तो चाहिए ही, साथ में उनकी मदद और चौबीसों घंटे मरीजों की समुचित देखभाल के लिए पर्याप्त संख्या में नर्सिंग हेल्‍थ वर्कर्स और दूसरे स्‍टाफ भी चाहिए। यही वजह है कि ऐसे हेल्‍थकेयर प्रोफेशनल्‍स की आवश्‍यकता लगातार बढ़ती जा रही है। एक बात ध्यान देने वाली यह है कि पहले यह माना जाता था कि नर्सिंग स्टाफ के रूप में केवल महिलाएं ही काम करती हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। सरकारी से लेकर निजी अस्पतालों तक में पुरुष नर्सिंग स्टाफ की काफी जरूरत होती है। ऐसे में नर्सिंग से संबंधित कोर्स की बढ़ती मांग को देखते हुए इसे संचालित करने वाले मान्यताप्राप्त संस्थानों की संख्या भी बढ़ रही है।

लगातार बढ़ रही संभावनाएं: ग्रैंड व्‍यू रिसर्च की मानें, तो वैश्विक स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल स्‍टाफिंग क्षेत्र सालाना 6.9 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। इतना ही नहीं, कोरोना जैसी चुनौतियों को देखते हुए सभी देश अपनी स्‍वास्‍थ्‍य व्‍यवस्‍थाएं मजबूत भी कर रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि 2030 तक इस क्षेत्र में स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए 5.17 लाख करोड़ रुपये तक खर्च किए जाएंगे। अपने देश में भी स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं को मजबूत बनाने की दिशा में लगातार प्रयास हो रहे हैं। हर जिले में मेडिकल कालेज खोले जाने की पहल भी इसी दिशा में एक कदम माना जा सकता है ताकि हर किसी को उसके घर के करीब ही बेहतर स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं मिल सकें। अगर नर्सिंग स्टाफ की बढ़ती मांग की बात करें, तो इस समय अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, आस्‍ट्रेलिया, जर्मनी, कनाडा, इजरायल, इटली, जापान समेत सभी खाड़ी देशों में इनकी सबसे अधिक आवश्यकता देखी जा रही है। भारत में भी लगभग यही स्थिति है। एक साल पहले राज्‍यसभा में सरकार की ओर से पेश एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कुल पंजीकृत नर्सिंग स्टाफ की संख्‍या 37 लाख के लगभग है यानी 1000 लोगों पर नर्सों की औसत संख्‍या 1.7 के लगभग है, जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्‍ल्‍यूएचओ) के मुताबिक, 1000 आबादी पर औसतन तीन नर्स होनी चाहिए।

नौकरी के मौके: नर्सिंग या नर्सिंग सहायक के रूप में करियर विकल्‍पों की बात करें, तो आज संभावनाएं पहले से कहीं ज्‍यादा हैं। आज हर छोटे बड़े शहर में सरकारी जिला अस्‍पताल, मेडिकल कालेज, सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र, प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र के अलावा अनेक प्राइवेट अस्‍पताल और नर्सिंग होम्‍स हैं और लगातार खुल भी रहे हैं, जहां नर्सिंग स्टाफ के लिए नियमित रूप से अवसर उपलब्ध होते हैं। इसके अलावा, देश में बड़ी संख्‍या में ओल्‍डएज केयर सेंटर्स भी हैं, जो निजी और सरकारी सहयोग से संचालित हो रहे हैं। यहां भी नर्सेज या हेल्‍थ वर्कर्स की हर समय जरूरत रहती है। कुल मिलाकर, नर्सिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद इस फील्‍ड में युवाओं के सामने संभावनाओं की कमी नहीं है। अपनी कुशलता के आधार पर सशस्‍त्र सेनाओं, मिलिट्री हास्पिटल्‍स, सरकारी/निजी हास्पिटल्‍स, नर्सिंग होम, क्लिनिक, हेल्थ डिपार्टमेंट, पुनर्वास केंद्र, रेलवे या ट्रेनिंग इंस्‍टीट्यूट आदि में जाब हासिल कर सकते हैं।

कोर्स एवं शैक्षिक योग्‍यता: नये नियमों के अनुसार, नर्सिंग के अंडरग्रेजुएट कोर्सेज में प्रवेश अब ‘नीट’ के माध्‍यम से दिये जा रहे हैं। अगर आप बीएससी नर्सिंग जैसे चार वर्षीय अंडरग्रेजुएट कोर्स करना चाह रहे हैं, तो इसके लिए आपको नीट क्लियर करना होगा। नीट यानी नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्‍ट हर साल नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) द्वारा आयोजित किया जाता है। इस परीक्षा में शामिल होने के लिए फिजिक्‍स, केमिस्‍ट्री और बायोलाजी के इंग्लिश विषय से 12वीं करने वाले कैंडिडेट शामिल हो सकते हैं। साथ ही उम्र सीमा 17 से 25 वर्ष के बीच होनी चाहिए। इस बारे में विस्‍तृत जानकारी के लिए आधिकारिक वेबसाइट (https://neet.nta.nic.in//) देखें। वहीं, अगर आप नर्सिंग सहायक का कोर्स करना चाहते हैं, तो जनरल नर्सिंग ऐंड मिडवाइफरी (जीएनएम), एग्‍जलरी नर्स ऐंड मिडवाइफ (एएनएम) जैसे कोर्स कर सकते हैं। जनरल नर्सिंग एंड मिडवाइफरी (जीएनएम) के लिए न्यूनतम योग्‍यता बारहवीं है। यह तीन वर्ष की अवधि का कोर्स है, जबकि एएनएम कोर्स की अवधि दो वर्ष है। यह कोर्स करने के लिए दसवीं पास होना चाहिए। इसी तरह कुछ संस्‍थानों द्वारा नर्सिंग सहायक (जनरल ड्यूटी असिस्टेंट) का भी कोर्स कराया जा रहा है, जिसे बारहवीं के बाद किया जा सकता है। यह कोर्स छह माह की अवधि का है, हालांकि कई संस्‍थानों में यह अवधि अलग-अलग भी है।

आकर्षक वेतन : कुशल नर्सिंग स्टाफ को किसी भी अस्‍पताल में शुरुआत में 20 से 25 हजार रुपये की सैलरी आसानी से मिल जाती है। सरकारी अस्‍पतालों में स्‍थायी पदों पर भर्ती होने पर यह सैलरी और भी अधिक होती है। जीएनएम, एएनएम और जनरल ड्यूटी असिस्टेंट जैसे पदों पर भी शुरुआत में 15 हजार रुपये तक सैलरी मिल जाती है, जो अनुभव बढ़ने के साथ बढ़ती जाती है।

प्रमुख संस्‍थान

एम्‍स, नई दिल्‍ली

www.aiims.edu

आइपी यूनिवर्सिटी, नई दिल्‍ली

www.ipu.ac.in

आचार्य इंस्‍टीट्यूट ऑफ हेल्‍थ साइंसेज, बेंगलुरु

https://www.aihs.ac.in

बीएचयू, वाराणसी

www.bhu.ac.in

डीपीएमआइ, नयी दिल्ली

www.dpmiindia.com

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हाईलाइट्स

-1.30 करोड़ नर्स और हेल्‍थ वर्कर्स की जरूरत होगी पूरी दुनिया में आने वाले वर्षों में।

(इंटरनेशनल काउंसिल आफ नर्सेज की रिपोर्ट के अनुसार)

-6.9 प्रतिशत की दर से हायरिंग हो रही है नर्सिंग स्टाहफ की हेल्‍थकेयर सेक्‍टर में।

-43 प्रतिशत तक नर्सिंग स्‍टाफ की कमी है देश में प्रति हजार आबादी के अनुपात में।

(डब्‍ल्‍यूएचओ के मानक के अनुसार)

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पढ़ाई के साथ व्‍यावहारिक ज्ञान है आवश्यक

नर्सिंग सिर्फ एक आजीविका नहीं है। इस फील्‍ड को कभी भी आजीविका समझकर नहीं आना चाहिए। अगर आपमें सेवाधर्म, मानवता, परोपकार या दूसरों के लिए कुछ करने का भाव है, तभी इस पेशे में आएं। क्‍योंकि यहां मेहनत बहुत है। गलती की गुंजाइश नहीं होती है और इस पेशे में समाज से रिटर्न भी कम मिलता है। ऐसे में अगर आपमें दूसरों की सेवा करने की लगन है, तभी इस पेशे का आपको सुख मिल सकता है। चूंकि नर्सिंग एक विद्या होने के साथ ही एक कला भी है। इसलिए जो भी इस फील्‍ड में आना चाहते हैं, उन्‍हें इसकी पढ़ाई करने के साथ-साथ इस फील्‍ड का व्‍यावहारिक ज्ञान भी हासिल करने पर ध्‍यान देना चाहिए। तभी आप सही मायने में लोगों की सेवा कर पाएंगे।

प्रो. (डा.) यतीश अग्रवाल

डीन, यूनिवर्सिटी स्कूल आफ मेडिसिन ऐंड पैरामेडिकल हेल्‍थ साइंसेज, आइपी यूनिवर्सिटी, दिल्‍ली