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Success Mantra: सफलता के लिए जरूरी है समर्पण, धैर्य और निरंतरता

Success Mantra एक उद्यमी परिवार से ताल्‍लुक रखने वाले मनविंदर सिंह चुग ने मद्रास इंजीनियरिंग कालेज (अब चेन्नई इंजीनियरिंग कालेज) से इंजीनियरिंग की है। इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रानिक्स के क्षेत्र में वह करीब 20 वर्ष का अनुभव रखते हैं।

By Nandini DubeyEdited By: Nandini DubeyUpdated: Sat, 11 Feb 2023 04:11 PM (IST)
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Success Mantra: सफलता पाने के लिए बड़े काम के हैं ये टिप्स।

Success Mantra: मनविंदर सिंह चुग देश के पर्यावरण को संरक्षित करने में योगदान देने के उद्देश्‍य से वर्ष 2017 में उद्यमिता में आए। तमाम उतार-चढ़ाव के बीच आज इनकी कंपनी एपोनीक्स इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग के क्षेत्र में अहम योगदान दे रही है। कंपनी के छह दोपहिया माडल, चार चार पहिया माडल तथा साइकिल समेत कुल 12 से 14 उन्‍नत ईवी माडल अभी बाजार में हैं। कंपनी के संस्थापक व अध्यक्ष मनविंदर के अनुसार, ग्लोबल वार्मिंग जिस तरह से बढ़ रही है, उसे देखते हुए ईवी के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है।

2030 तक करीब 90 प्रतिशत आन-रोड आटोमोबाइल्स इलेक्ट्रिक वाहनों में बदल जाएंगे। इसलिए कंपनी इस साल एक हाई-स्पीड बाइक तथा तिपहिया वाहन लांच करने की तैयारी में है। साथ ही दिव्‍यांगजनों के लिए एक ट्राई-बाइक माडल भी पेश करने का विचार कर रही है, ताकि वे भी अपना कोई छोटा कारोबार करके पैसे कमा सकें। मनविंदर की मानें, तो सफलता कोई ऐसी चीज नहीं है, जिसे थोड़े समय में प्राप्त किया जा सके। इसके लिए समर्पण, धैर्य और निरंतरता की आवश्यकता होती है।

एक उद्यमी परिवार से ताल्‍लुक रखने वाले मनविंदर सिंह चुग ने मद्रास इंजीनियरिंग कालेज (अब चेन्नई इंजीनियरिंग कालेज) से इंजीनियरिंग की है। इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रानिक्स के क्षेत्र में वह करीब 20 वर्ष का अनुभव रखते हैं। दरअसल, उनका पारिवारिक कारोबार भी इलेक्‍ट्रानिक सेक्‍टर से ही जुड़ा रहा है। कारोबारी माहौल में पले बढ़े होने की वजह से बचपन से ही वह भी उद्यमी बनना चाहते थे। इस तरह वर्ष 2017 में वह एपोनीक्स के रूप में खुद की ईवी कंपनी स्‍थापित कर उद्यमिता में आए।

चुनौतियों से नहीं मानें हार : अन्‍य उद्यमियों की तरह मनविंदर को भी शुरुआत में कई चुनौतियों से जूझना पड़ा। क्‍योंकि जब वह ईवी सेक्‍टर के कारोबार में आए, तो उस समय भारत में यह एक बिल्कुल नई तकनीक थी। लोग भी इससे अपरिचित थे। ऐसे में लोगों को कैसे पारंपरिक पेट्रोल और डीजल वाहनों से स्विच करने के लिए राजी किया जाए, यह उनके सामने सबसे बड़ी मुश्किल थी, क्‍योंकि उस समय न तो पर्याप्‍त संख्‍या में ईवी वाहन थे और न ही इनकी मरम्मत और रखरखाव के लिए मैकेनिक की उपलब्‍धता थी। इसके अलावा, ऐसी नई तकनीक में कैसे निवेशकों को निवेश के लिए समझाया जाए, यह भी एक बड़ी चुनौती थी, जिसका उन्‍हें सामना करना पड़ा। मनविंदर कहते हैं,’ एपोनीक्स बनाने की हमारी यात्रा क्रांतिकारी और अविश्वसनीय रही है। कंपनी की स्थापना का पूरा आधार ही शोध से जुड़ा है और इस दौरान पूरी यात्रा में जितनी भी चुनौतियां आईं, सभी का हमने दृढ़ता से सामना किया। इससे मुझे एक व्‍यक्ति और व्‍यवसायी के रूप में खुद को निखारने में मदद भी मिली।‘

पहले करें छोटी शुरुआत : मनविंदर कहते हैं कि जैसे आज मेरी कंपनी नैतिक सिद्धांतों का पालन करते हुए एक स्थायी और लाभदायक उद्यम का उदाहरण पेश कर रहा है, उसी तरह से मैं नए उद्यमियों से भी आग्रह करना चाहूंगा कि वे भी ईवी उद्योग में आएं और एक ऐसी कंपनी संस्कृति बनाने में योगदान दें, जिससे न सिर्फ पर्यावरण को स्‍थायित्‍व मिले, बल्कि एक जिम्‍मेदार कारोबारी परंपरा को भी बढ़ावा मिले। युवाओं से यह भी कहना चाहूंगा कि वे ज्‍यादा से ज्‍यादा अनुसंधान पर अपना ध्यान केंद्रित करें। ‘हमेशा सीखते रहने’ की नीति का अनुकरण करते हुए एक छोटी-सी शुरुआत करें और उस पर पूरी तरह एकाग्र रहें। यह सीख उन्हें अपने करियर या भविष्य के किसी भी प्रयास में नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी।

मनविंदर सिंह चुग

फाउंडर एवं चेयरमैन, एपोनीक्स (Aponyx)

धीरेंद पाठक