किसी ने 2 साल तो किसी ने 8 महीने बच्चे की जिम्मेदारी संभालकर पास की UPSC परीक्षा, पढ़ें महिला अफसरों की कहानी
Success Story मोनिका रानी ने भी बच्चा और घर की जिम्मेदारियों के साथ अपने सपने को मरने नहीं दिया। घरेलू जिम्मेदारियों को निभाते हुए उन्होंने अपने लक्ष्य को पूरा किया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मोनिका की शादी साल 2005 में हो गई थी। शादी के बाद वे टीचर की नौकरी करती थीं। इस जॉब के साथ-साथ उन्होंने यूपीएससी सिविल सेवा की तैयारी शुरू की थी।
करियर डेस्क, नई दिल्ली। Success Story: आमतौर पर शादी के बाद लड़कियों का करियर ग्राफ बहुत ऊपर तक नहीं बढ़ पाता है। अधिकतर मामलों में पारिवारिक जिम्मेदारियों का बोझ बढ़ने से महिलाओं की प्रोफेशनल ग्रोथ धीमी पड़ने लगती है। वे चाहकर भी अपने करियर में आगे नहीं बढ़ पाती हैं। हालांकि, कुछ फीमेल्स ऐसी भी हैं, जो शादी और यहां तक कि बच्चा होने के बाद भी रुकती नहीं है। वे अपने सपने को साकार करती हैं। आज सक्सेस स्टोरी के कॉलम में हम आपको ऐसी महिलाओं से मिलाने जा रहे हैं, जिन्होंने शादी और यहां तक कि बच्चे की जिम्मेदारी संभालने के बाद यूपीएससी सिविल सेवा जैसी परीक्षा क्रैक की है। आइए मिलते हैं इन IAS अफसरों से।
पुष्पलता यादव
हरियाणा के रेवाड़ी से ताल्लुक रखने वाली पुष्पलता यादव ने अपने दो साल के बच्चे की परवरिश करते हुए यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी की थी। इसके पहले वे प्राइवेट जॉब करती थीं, लेकिन शादी के करीब चार साल बाद उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने की ठानी। हालांकि, पहले दो प्रयास में वे सफल नहीं हुई। लेकिन अंत में तीसरे प्रयास में उन्हें सक्सेस मिली। उन्होंने इस एग्जाम में 80वीं रैंक हासिल की। पुष्पलता ने मीडिया से बातचीत में कहा था कि उनकी पूरी यात्रा में उनके पति और ससुराल वालों ने उनका भरपूर साथ दिया।
मोनिका रानी
मोनिका रानी ने भी बच्चा और घर की जिम्मेदारियों के साथ अपने सपने को मरने नहीं दिया। घरेलू जिम्मेदारियों को निभाते हुए उन्होंने अपने लक्ष्य को पूरा किया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मोनिका की शादी साल 2005 में हो गई थी। शादी के बाद वे टीचर की नौकरी करती थीं। इस जॉब के साथ-साथ उन्होंने यूपीएससी सिविल सेवा की तैयारी शुरू की थी। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जब वे एग्जाम की तैयारी कर रहीं थी, उस वक्त उनके बच्चे की उम्र महज 8 महीने की थी। ऐसे में मोनिका के सामने पढ़ने को लेकर समय बेहद कम होता था, फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी। वे डटी रहीं। अंत में सफलता उन्हें हाथ लगी। उन्हाेंने एग्जाम में 70 वीं रैंक हासिल की।