Himachal Lok Sabha Election 2024: संकट टलने तक आराम से बैठो...टल जाएगा
Himachal Lok Sabha Election 2024 हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार ने दो सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार दिए हैं। वहीं अन्य सीटों पर अभी भी सन्नाटा छाया हुआ है। हमीरपुर से उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री की बेटी आस्था अग्निहोत्री से अनुरोध किया गया कि वह हमीरपुर सीट पर अनुराग ठाकुर को चुनौती दें। किंतु मुकेश अग्निहोत्री और उनकी बेटी स्वयं को शोक में बताते हुए इनकार कर चुके हैं।
नवनीत शर्मा। कहीं एक चित्र देखा था। एक व्यक्ति आराम से कुर्सी पर बैठा था जिसने दोनों हाथों की उंगलियां सिर के पीछे से एक दूसरे में पिरोई हुई हैं। नीचे एक पंक्ति लिखी थी...जब संकट बहुत अधिक हो जाए तो मैं यह करता हूं कि मैं संकट टलने तक कुछ नहीं करता। संभव है कि इस पंक्ति का कोई संबंध हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के साथ भी निकल आए क्योंकि चार संसदीय हलकों में से दो के ही प्रत्याशी घोषित हुए हैं।
बाकी सीटों पर अभी सन्नाटा
शिमला से विनोद सुल्तानपुरी और मंडी से विक्रमादित्य सिंह। बाकी जगह अभी सन्नाटा है। पसंद-नापसंद, जाति, क्षेत्र जैसे मानदंडों से नामों को गुजारा जा रहा है, काटा जा रहा है, बढ़ाया जा रहा है, घटाया जा रहा है मगर जो हो नहीं पा रहा है, उसे निर्णय कहते हैं।उदाहरण के लिए नाम तो हमीरपुर संसदीय सीट से सतपाल रायजादा का भी तय था किंतु आलाकमान ने राज्य नेतृत्व को यह कह कर मना कर दिया कि अनुराग ठाकुर का हलका है, कोई और नाम ढूंढें। यानी राज्य नेतृत्व आश्वस्त था कि रायजादा अनुराग को टक्कर देने में सक्षम हैं। किंतु आलाकमान सहमत नहीं हुआ।
अग्निहोत्री की बेटी आस्था ने चुनाव लड़ने से किया इनकार
हमीरपुर से, उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री की बेटी आस्था अग्निहोत्री से अनुरोध किया गया कि वह हमीरपुर सीट पर अनुराग ठाकुर को चुनौती दें। किंतु मुकेश अग्निहोत्री और उनकी बेटी स्वयं को शोक में बताते हुए इनकार कर चुके हैं। मुकेश कहते हैं, ‘ प्रो. सिम्मी अग्निहोत्री के देहांत के बाद मेरे लिए पार्टी के साथ परिवार को संभालना भी आवश्यक है। हम जिस दौर से गुजर रहे हैं, उसमें चुनाव में खड़े होने का सवाल ही नहीं है।‘ बाद में आस्था ने भी विनम्रतापूर्वक इन्कार कर दिया।
दिल्ली में हुई बैठक में उठाा था ये किस्सा
कांगड़ा में आशा कुमारी के साथ जीएस बाली के पुत्र आरएस बाली और डॉ. राजेश शर्मा का नाम चल रहा था। नाम चलता रहा किंतु दिल्ली में हुई बैठक में यह कहा गया कि हारे हुए लोगों को टिकट देने का लाभ क्या है। यह बात आशा कुमारी के आड़े आई हुई है। दूसरा, क्षेत्र और जाति के साथ ही उपयुक्तता का सिद्धांत तो है ही। वास्तव में राजनीतिक व्यक्ति को अनेक कोष्ठक भरने पड़ते हैं।दिल्ली जाने के इच्छुक व्यक्ति को शिमला की नजर में भी ठीक उतरना होता है। शिमला को यदि यह लगे कि दिल्ली में कोई शिमला तैयार हो सकता है तो वह सहमत नहीं होता। जिन छह विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होना है, वहां भी हलचल पूरी है किंतु प्रत्याशी तय नहीं हो पा रहे हैं। इस सब में, जिन्हें मानक कहा जाता है, वे लोचदार रस्सी की तरह आकार बदलते हैं। सच तो यह है कि आशा कुमारी यदि हारी हुई हैं तो सतपाल रायजादा भी जीते हुए नहीं हैं।