लोकसभा चुनाव और हिमाचल में रामधुन, रामलला प्राण प्रतिष्ठा पर कांग्रेस में रार
सबसे बड़े सनातन पूर्वज श्रीराम का अपनी नगरी और अपने स्थान पर पुन आगमन ऐसी घटना है जिससे केवल कोई एक राजनीतिक दल ही नहीं जुड़ा अपितु संपूर्ण देश की भावनाएं ज्वार पर हैं। हिमाचल में राममय वातावरण रहा। वास्तव में वातावरण ऐसा बना है कि लोकसभा चुनाव में हिमाचल कई चौंकाने वाली राजनीतिक घटनाओं का साक्षी बन सकता है।
नवनीत शर्मा। वे भारतीय जनता पार्टी के पदाधिकारी नहीं थे... संभवत: वे कांग्रेस के पदाधिकारी भी नहीं थे। वे तो नौकरीपेशा, स्वरोजगार करने वाले लोग थे जो यह सब कर रहे थे।
क्या कर रहे थे? हिमाचल के एक राष्ट्रीय राजमार्ग पर केवल 30 किमी की ही दूरी में 50 भंडारे... भंडारों में खीर, लड्डू, हलवा बांट रहे थे। मानो, श्रीराम अयोध्याजी में क्या आए, इन सबके घरों में पहुंच गए हों। उमंग और साथ में संकीर्तन की गूंज। इनके पास इनके श्रीराम पहले से थे।
भगवान राम से जुड़ीं पूरी देश की भावनाएं
घरों में हर प्रात: या सांध्यकालीन पूजा में... पर वह श्रीराम नायक बन कर साकार होते थे दादी-नानी की कहानियों से या कालांतर में दूरदर्शन के धारावाहिक से। सबसे बड़े सनातन पूर्वज श्रीराम का अपनी नगरी और अपने स्थान पर पुन: आगमन ऐसी घटना है जिससे केवल कोई एक राजनीतिक दल ही नहीं जुड़ा, अपितु संपूर्ण देश की भावनाएं ज्वार पर हैं।रामधुन गा रही देवभूमि
विवादित ढांचे के लिए अश्रु बहाने वाले, मंदिर निर्माण पर विघ्नसंतोषी वर्ग को छोड़ दें तो श्रीराम के आने की चेतना उस ऊष्मा की तरह है, जिसने वर्षों के अपमान, अफसोस या उदासी के पहाड़ पिघला दिए हैं।देवभूमि रामधुन गा रही है। क्योंकि यह प्रमाणित हुआ कि श्रीराम सबके हैं, उस निर्धन के भी, जिसने 22 जनवरी को आंगन में रखे देवताओं को सलीके से नहला-धुला कर सामर्थ्य के अनुसार साज-सज्जा की थी... टूटे हुए ढोलक से लय ली और भजन गा कर अपने श्रीराम का स्वागत किया।
राम के रंग में रंगे रहे सीएम सुक्खू
इतने वर्ष अकेले थे रामलला। कांग्रेस के क्षेत्रीय नेता क्योंकि यहीं पले-बढ़े हैं, उनके कान वह भी सुनते हैं जो दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय नहीं सुनता। उसे हिमाचल प्रदेश में समझ आया कि आलाकमान भले ही इसे भाजपा या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कार्यक्रम बताए, हम तो रामधुन से अलग नहीं हो सकते, क्योंकि अंततोगत्वा जनता श्रीराम से जुड़ी है। इस रामधुन ने हिमाचल में कई रोचक दृश्य उत्पन्न किए हैं।
सुखविंदर सिंह सुक्खू के इंटरनेट मीडिया मंचों पर श्रीराम का केवल जिक्र ही नहीं आया, अपितु उन्होंने शिमला के हनुमान मंदिर जाखू में हनुमान चालीसा का पाठ किया, पूरे प्रदेश में अवकाश घोषित किया और कहा कि 108 फीट ऊंचे हनुमान जी के सामने 111 फीट ऊंची श्रीराम की प्रतिमा स्थापित की जाएगी।