आपदा और सुख आश्रय के बीच एक वर्ष: चुनैतियों से भरा रहा साल फिर भी चमकी सुक्खू सरकार; OPS लागू करने सहित कई काम किए पूरे
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार 11 दिसंबर को एक वर्ष पूरा कर रही है। इसके आसपास ही मंत्रिमंडल के तीन पद भी भरे जाने की चर्चा यौवन पर है। अब क्योंकि पांच राज्यों के चुनाव परिणाम आ चुके हैं और कांग्रेस से राजस्थान और छत्तीसगढ़ छिटक गए हैं तेलंगाना ही उसकी प्राप्ति है इसलिए अब मंत्री बनाए जा सकते हैं।
By Jagran NewsEdited By: Preeti GuptaUpdated: Fri, 08 Dec 2023 09:06 AM (IST)
नवनीत शर्मा। किसी कहानी के नायक एक गुरु जी का स्मरण हो आया। उनके आश्रम में कई शिष्य शिक्षित-दीक्षित होते थे। गुरु जी सुबह ही शिष्यों को जगा कर कहते थे-जाओ पानी भर लाओ, फिर आराम से चटाई पर विश्राम करना। जैसे ही पानी आ जाता था, गुरु जी का आदेश होता था-बेटा, पहले पानी गर्म करके स्नान कर लो, फिर आराम से चटाई पर बैठना।
स्वाभाविक है कि पानी गर्म करने के लिए लकड़ी जलाना अनिवार्य था। इस सब से मुक्त होकर शिष्य जब गुरु जी के पास आते थे तो नया आदेश तैयार होता था- जाओ अब पूजा-अर्चन कर के भोजनादि की व्यवस्था कर लो, फिर चटाई पर विश्राम करना। सारांश यह कि सूर्यास्त तक एक के बाद एक कार्य जारी रहते थे और शिष्यों को चटाई मिलती थी, न विश्राम।
सुक्खू सरकार के एक साल पूरा होने पर भरेंगे मंत्रिमंडल के तीन पद?
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार 11 दिसंबर को एक वर्ष पूरा कर रही है। इसके आसपास ही मंत्रिमंडल के तीन पद भी भरे जाने की चर्चा यौवन पर है। मंत्रिमंडल की चटाई में तीन रिक्त स्थान भरने की चर्चा लगभग पूरा वर्ष ही रही है पर अब संभवत: यह भर जाएंगे क्योंकि मुख्यमंत्री ने बीते कुछ दिनों में यह बात जोर देकर कही है। जयराम सरकार ने भी कुछ पद रिक्त रखे थे और लंबे समय तक रखे थे। वे लोकसभा चुनाव, उपचुनाव, नगर निगम चुनाव और कोरोना आदि के बाद ही भरे गए थे। सुक्खू सरकार को तो एक ही वर्ष हुआ है।मंत्रिमंडल के पद भरने की ये है वजह
अब क्योंकि पांच राज्यों के चुनाव परिणाम आ चुके हैं और कांग्रेस से राजस्थान और छत्तीसगढ़ छिटक गए हैं, तेलंगाना ही उसकी प्राप्ति है, इसलिए अब मंत्री बनाए जा सकते हैं। परिणामों के बाद की चर्चा और दहलीज पर खड़े लोकसभा चुनाव को देखते हुए स्वाभाविक है कि उन क्षेत्रों को महत्व मिलेगा, जहां अभी प्रतिनिधित्व कम है या नहीं है। यह कांगड़ा भी होगा। जो हो, अंतत: मंत्रिमंडल का विस्तार सरकार या संगठन के आंतरिक प्रबंधन का विषय है, जिसके अंतर्गत समीकरण साधे जाते हैं और मानक रहते हैं-क्षेत्र, जाति, निष्ठा और उपयोगिता।
एक साल में सुक्खू सरकार ने पूरे किए कई काम
बहरहाल, धर्मशाला के पुलिस मैदान में 11 दिसंबर को प्रियंका गांधी की उपस्थिति में सरकार एक वर्ष का जश्न मनाएगी। विपक्ष का कहना है कि जश्न जैसी कोई बात नहीं है। किंतु यह पूरा सच नहीं है। एक वर्ष में पुरानी पेंशन योजना लागू करना, अनाथों को स्पर्श देती सुख आश्रय योजना शुरू करना और संसाधनों के लिए प्रयास करने जैसे काम महत्वपूर्ण हैं। राजस्व विभाग में इंतकाल जैसे दशकों से लटके कार्य भी युद्धस्तर पर निपटाए जा रहे हैं। सरकारी विभागों में इलेक्ट्रिक वाहनों पर जोर है, जिसमें परिवहन विभाग ने 80 लाख रुपये बचाए हैं।'आपदा के समय केंद्र से नहीं कोई मदद'
कई गारंटियां पूरी नहीं हुई हैं पर सत्तापक्ष का कहना है कि होंगी। इस सबके बीच, बरसात लगभग आपदा में बीती है, प्रदेश उससे भी उबर रहा है। आपदा के बाद से भाजपा कह रही है कि केंद्र ने बहुत सहायता की है जबकि मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री कहते हैं कि कोई एक रुपये की सहायता का कागज दिखा दो। मुख्यमंत्री ने अपनी बचत से 51 लाख रुपये भी आपदा राहत के लिए दिए हैं। संदेह नहीं कि अगले चार वर्ष केवल संसाधनों पर जोर देना होगा। आत्मनिर्भर हिमाचल प्रदेश का सपना डॉ. यशवंत सिंह परमार से लेकर सुखविंदर सिंह सुक्खू तक सबने देखा है। सबने अपने सामर्थ्य के अनुसार योगदान दिया।