Himachal Pradesh Tourism: रेंगती गाड़ियां, घंटों जाम में फंसना... इसे तो नहीं कहते पर्यटन
Himachal Pradesh Tourism News हिमाचल प्रदेश में घंटों जाम में फंसने के बाद पर्यटक अपनी मंजिल पर पहुंच रहे हैं। भीड़ को नियंत्रित करने की आवश्यकता है। पर्यटकों का केवल स्वागत कर देने से बात नहीं बनने वाली। पुलिस हर समय हर स्थान पर नहीं हो सकती। लेकिन कई स्थान ऐसे हैं जहां उसे होना चाहिए वहां भी नहीं होती।
नवनीत शर्मा, शिमला। आपके पास कुछ खाने को है?’ दिल चीर देने वाली यह आवाज एक बच्ची की थी। बच्ची, जो मंडी जिले में बागी से पराशर को जाने वाले उजड़े हुए, पैरापिट विहीन, रेलिंग रहित अति संकरे मार्ग पर लिंगड़ (हरे डंठल और पत्तियों वाली प्रश्नवाचक आकार की सब्जी जिसमें आयरन बहुत होता है ) और फूलगोभी बेच रही थी।
फल और सब्जी उत्पादन वाला क्षेत्र है इसलिए वह गरीब नहीं थी...पर उसकी मांग थी कि उसे वह खाना है जो पंजाब, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली नंबर वाली गाड़ियों में बैठे लोग प्लास्टिक के लिफाफों से निकाल कर खाते हैं और लिफाफे वहीं फेंक जाते हैं। वैसे यहां भी दाल चावल नहीं मिलते। जंक फूड जितना मर्जी खा लें।
जाम में घंटों फंसते हैं लोग
जाम में घंटों फंसने, रेंगते हुए चलने के बाद मंजिल आती है। हिमाचल प्रदेश के दूरस्थ और दुर्गम क्षेत्रों के साथ यह पर्यटकों का सांस्कृतिक या सामाजिक आदान-प्रदान है। पहाड़ की ऊंचाई विनम्र बने रहना सिखाती है...नदियों की गहराई चेताती है कि अहंकार दूर रखकर आना। यह सब सुने बिना हिमाचल प्रदेश आजकल ‘टूरिस्ट सीजन’ भोग रहा है। वही पर्यटन जिसे कमाऊ पूत कहा जाता है पर हिमाचल प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद में इसका योगदान करीब सात प्रतिशत है।रोहतांग में रेंगती गाड़ियां, मंडी में मन मसोसने पर मजबूर करने वाली धीमी गति, शिमला में सुबह से शाम तक शर्माती हुई रफ्तार...कहीं सड़क किनारे कार की छत पर बड़े गिलास रख कर मद्यपान करते हुए संगीत सुनते लोग...यह भी एक पक्ष है पर्यटन का। और कोई रोके तो गाड़ियों में डंडे भी रखे रहते हैं। तलवारें भी लहराई जाती हैं। ऐसे कई वीडियो इसकी पुष्टि करते हैं।
हर स्थान पर नहीं मौजूद हो सकती पुलिस
पुलिस हर समय, हर स्थान पर नहीं हो सकती। लेकिन कई स्थान ऐसे हैं, जहां उसे होना चाहिए वहां भी नहीं होती। ऐसे में क्या पता चलता है कि कब कोई अप्रवासी भारतीय कंवलजीत सिंह अपनी स्पेनिश पत्नी के साथ चंबा के खजियार में आए...पहले तो स्थानीय लोगों की हस्तरेखाएं पढ़ कर उन्हें भविष्य बताए...फिर अचानक झगड़ा हो...मार पिटाई हो...मेडिकल से इन्कार करे...कोई पुलिस कार्रवाई भी नहीं करना चाहे...लेकिन अमृतसर पहुंच कर एक वीडियो बयान जारी कर दे कि हिमाचल के लोग पंजाब की गाड़ी देख कर ही गुस्से में आ जाते हैं। उन्होंने गैंग बना रखी है...फिर पंजाब का एक मंत्री इसे कंगना रनौत को कुलविंदर कौर के थप्पड़ की प्रतिक्रिया बता दे और फिर राजनीति आरंभ हो जाए।यह भी पढ़ें: Himachal News: सोशल मीडिया पर लगाया गो हत्या का फोटो, आग बबूला हुए हिंदू संगठन; दुकान के ताले तोड़ फेंके कपड़े
सच यह है कि हिमाचल प्रदेश के लोग यदि गैंग बनाकर पंजाब के पर्यटकों को ढूंढ़ रहे होते तो हिमाचल प्रदेश में हर तीसरी गाड़ी पंजाब की न होती। पर्यटन सीजन हो, आपदा हो या कुछ और....हिमाचल प्रदेश के हिस्से में आरोप और आक्षेप ही आते हैं। कभी भरपूर आपदा में मैगी सवा सौ रुपये में मिलने की शिकायत है...कभी मणिकर्ण में उफनती नदी के किनारे से मोटरसाइकिल निकालने के लिए तीन सौ रुपये की ‘लूट‘ हिमाचल प्रदेश का चरित्र प्रमाण पत्र लिख देती है।