Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

ऑटो ड्राइवर की बेटी ने गरीबी और बीमारी से नहीं मानी हार, 5वीं बार में NEET क्रैक कर रूबी ने पूरा किया डॉक्टर बनने का सपना

रूबी प्रजापति ने वर्ष 2023 की नीट परीक्षा में 635 अंक प्राप्त कर दिल्ली के सफदरजंग हॉस्पिटल वर्धमान मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस में दाखिला लिया। पहले चार अटेम्प्ट में असफल होने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और 5वें प्रयास में नीट को क्रैक कर लिया। तैयारी के समय आर्थिक स्थिति ठीक न होने के चलते पिता के दोस्त ने रूबी की एक साल की फीस का जिम्मा उठाया।

By Amit Yadav Edited By: Amit Yadav Updated: Tue, 01 Oct 2024 04:04 PM (IST)
Hero Image
NEET UG Success Story: यहां से पढ़ें रूबी प्रजापति की सक्सेज स्टोरी।

एजुकेशन डेस्क, नई दिल्ली। हिम्मत और कुछ कर जाने का जूनून सफलता की गारंटी माना जाता है। ऐसा ही एक कारनामा रूबी प्रजापति ने भी कर दिखाया। एक ऑटो ड्राइवर की बेटी जो लगातार गरीबी से लड़ी हो लेकिन उसके जज्बे ने उन्हें नीट में सफलता दिलाई और डॉक्टर बनने का सपना पूरा करने में मदद की। वर्तमान में दिल्ली के सफदरजंग हॉस्पिटल वर्धमान मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहीं रूबी ने नीट यूजी के पहले 4 अटेम्प्ट में असफलता देखी लेकिन उन्होंने इससे हार नहीं मानी। अंत में उन्होंने 2023 में एक बार फिर से परीक्षा दी और 5वें प्रयास में 635 अंक प्राप्त करके सीट पक्की की।

पिता के दोस्त ने पढ़ाई में की मदद

रूबी के पिता के ऑटो ड्राइवर है जिसके चलते उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। इसके चलते वे अपनी बेटी के सपनों को पंख देने में भी सहायता नहीं दे पा रहे थे लेकिन ऐसे समय में उनके पिता के एक दोस्त ने उनकी मदद की। उन्होंने रूबी की पढ़ाई के लिए एक वर्ष तक खर्च उठाया।

बीमारियों से लड़ने के बाद ही नहीं मानी हार

रूबी प्रजापति वर्ष 2018 तक बीमारियों से ग्रसित थीं। 9 साल पहले उनके भाई का भी बीमारी के चलते निधन हो गया था। लेकिन उन्होंने बीमारी से लड़ने के साथ भी पढ़ाई के जज्बा नहीं छोड़ा। वर्ष 2018 में वे इस बीमारी से पूरी तरह से स्वस्थ हो गईं और इसके बाद उन्होंने लगातार नीट की तैयारी की और अपने पांचवें प्रयास में सफलता भी अर्जित की।

गांव में बेहतर मेडिकल सुविधा उपलब्ध करवाना सपना

चूंकि रूबी ने गरीबी के चलते अपने भाई को मरते हुए देखा था जिसका अहसास उन्हें आज भी है। रूबी के मां के मुताबिक वे गरीबी के चलते अपने बेटे का अच्छे से इलाज नहीं करा सकीं थी। इसी को देखते हुए रूबी डॉक्टरी पूरी करके गांव में बेहतर मेडिकल सुविधाओं को उपलब्ध करवाना चाहती हैं।

यह भी पढ़ें- UKSSSC Recruitment 2024: उत्तराखंड में ड्राफ्ट्समैन, टेक्नीशियन समेत कई पदों पर निकली भर्ती, पात्रता, फीस सहित अन्य डिटेल यहां से करें चेक