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जलेबी का सियासत से है पुराना नाता, बड़े चाव से खाते थे बाजपेयी और गांधी, जानिए इसका पूरा इतिहास

10वीं शताब्दी के बाद एक बार 15वीं सदी में फिर जलेबी का जिक्र मिलता है। जैन लेखक जिनासुर ने इस वक्त एक ग्रंथ लिखा था प्रियमकर्णपकथा जिसमे जलेबी का जिक्र किया गया था। इसके बाद 17वीं शताब्दी में लिखे गए ग्रंथ गुण्यगुणबोधिनी एक बार फिर से इसकी चर्चा होती है। फिलहाल यह सियासत की गलियों में जलेबी छाई हुई है।

By Nandini Dubey Edited By: Nandini Dubey Updated: Wed, 09 Oct 2024 04:13 PM (IST)
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यूं तो जलेबी हम भारतीयों की पसंदीदा मिठाई है

एजुकेशन डेस्क, नई दिल्ली। यूं तो जलेबी हम भारतीयों की पसंदीदा मिठाई है लेकिन फिलहाल यह सियासत की गलियों में चर्चा का विषय बनी हुई है। हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोनीपत के गोहाना में जलेबी खाई और मंच से ही जलेबी की फैक्ट्री लगाने और इससे मिलने वाले रोजगार के बारे में बात की थी। इसके बाद से इस मिठाई को हर तरफ बात हो रही। इसी अवसर पर बता दें कि, जलेबी का राजनीति से पुराना नाता है। दरअसल भारतरत्न व पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को जलेबी बेहद पसंद थी। वे बड़े चाव से इसे खाते थे। आगरा आने पर वे बेड़ई और जलेबी खूब खाते थे।

दिल्ली की दुकान में खाते पंडित नेहरू रसीले जलेबी 

देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की भी यह पसंदीदा मिठाई थी। पंडित नेहरू दिल्ली की एक मशहूर दुकान पर रसीले जलेबी को बड़े शौक से खाते थे। आज इस दुकान पर लोगों का जमावड़ा लगा रहता है। 

10वीं सदी में मिलता है जलेबी का जिक्र

जलेबी का इतिहास बेहद पुराना है। सबसे पहले इसका उल्लेख सबसे पहले 10वीं शताब्दी की शुरुआत में मिलता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, मुहम्मद बिन हसन अल-बगदादी की एक प्राचीन फ़ारसी रसोई की किताब 'किताब अल-तबीख' में इस व्यंजन की विधि का उल्लेख किया गया है। इसके बाद 10वीं शताब्दी की एक अन्य अरबी पाक कला पुस्तक में इस तरह की मिठाई का जिक्र मिलता है। ऐसा भी माना जाता है मध्ययुगीन काल में फ़ारसी व्यापारियों,कारीगरों और मध्य-पूर्वी आक्रमणकारियों द्वारा भारतीय उपमहाद्वीप में यह मिठाई भारत आई थी। इसके बाद से आज तक भारतीय जमकर इसका स्वाद लेते हैं।

15वीं और 17वीं सदी में भी हुआ था इस मिठाई का जिक्र

10वीं शताब्दी के बाद एक बार 15वीं सदी में फिर जलेबी का जिक्र मिलता है। जैन लेखक जिनासुर ने इस वक्त एक ग्रंथ लिखा था 'प्रियमकर्णपकथा', जिसमे जलेबी का जिक्र किया गया था। इसके बाद 17वीं शताब्दी में लिखे गए ग्रंथ 'गुण्यगुणबोधिनी एक बार फिर से इसकी चर्चा होती है।

बंगाल में ‘जलेबी’ बन जाती है ‘जिल्पी’

जलेबी को देश के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग नाम से जाना जाता है। उत्तर भारत में यह जलेबी है तो दक्षिण भारत में इसे ‘जिलेबी’ नाम से पुकारा जाता है। गुजरात में फिर उत्तर भारत की तरह जलेबी ही कहलाती है तो बंगाल में यह फिर अपना रूप बदल लेती है और ‘जिल्पी’ बन जाती है।

अरबी या फारसी से लिया गया है ये शब्द

जलेबी शब्द अरेबिक शब्द ' 'जलाबिया' या फारसी शब्द 'जलिबिया' से लिया गया है। वहीं ईरान में इसे जुलुबिया कहा जाता है।

त्योहार से लेकर शादी की जान है जलेबी 

हम भारतीयों के यहां त्योहार से लेकर देश के विभिन्न हिस्सों में शादियों तक में यह मिठाई बड़े चाव से परोसी जाती है। लोग भी इसे बड़े शौक से खाते हैं।