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Classical Language: 11 हुई शास्त्रीय भाषाओं की संख्या, सबसे पहले इस लैंग्वेज को मिला था यह सम्मान

शास्त्रीय भाषा का दर्जा पाने के लिए सभी मानदंडों को पूरा करने के बाद सबसे पहले केंद्रीय संस्कृत मंत्रालय की लैंग्वेज एक्सपर्ट कमेटी इसकी सिफारिश करती है। इसके बाद आगे की प्रक्रिया को बढ़ाया जाता है। बता दें कि किसी भाषा को यह सम्मान मिलने के बाद उसके संरक्षण में मदद मिलती है। मराठी भाषा को हाल ही में यह टैग दिया गया है।

By Nandini Dubey Edited By: Nandini Dubey Updated: Sat, 12 Oct 2024 05:56 PM (IST)
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साल 2004 में सबसे पहले 12 अक्टूबर, 2004 में तमिल भाषा को दिया गया था यह सम्मान (Image-freepik)
एजुकेशन डेस्क, नई दिल्ली। केंद्र सरकार की ओर से हाल ही में मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बांग्ला भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया है। इस तरह भारत में शास्त्रीय भाषाओं की संख्या 11 हो चुकी है। ऐसे में आइए जानते हैं किन-किन भाषाओं को अब तक मिल चुका है यह सम्मान। इसके साथ ही क्या होते हैं इसके फायदे।

साल 2004 में सबसे पहले 12 अक्टूबर, 2004 में तमिल भाषा को यह सम्मान दिया गया था। इसके बाद अन्य राज्यों की भाषाएं इस लिस्ट में शामिल होती हैं। इसके बाद से कई लैंग्वेज अपने नाम यह सम्मान हासिल कर चुकी हैं, जिनकी लिस्ट नीचे दी जा रही है। 

(Image-freepik)

ये रही classical languages की लिस्ट में शुमार भाषाओं की सूची

- साल 2004 में 12 अक्टूबर, 2024 तमिल भाषा को सबसे पहले यह सम्मान दिया गया था।

- साल 2005 में 25 नवंबर को संस्कृत को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया था।

- साल 2008 में 31 अक्टूबर, 2008 को यह रिकॉर्ड तेलुगू भाषा के नाम रहा था।

- साल 2008 में ही कन्नड़ भाषा को भी इस क्लासिकल लैंग्वेज का दर्जा दिया गया था।

- साल 2013 में मलायलम और फिर साल 2014 में उड़ासी को शास्त्रीय भाषा की लिस्ट में शामिल किया गया था।

- मराठी, बंगाली, पाली, प्राकृत और असमिया को भी साल 2024 में इस सूची में शामिल कर लिया गया।

क्या हैं मानदंड

किसी भी भाषा को यह दर्जा मिलने के लिए जरूरी है कि उस भााषा का इतिहास 1,500- 2000 साल पुराना चाहिए। भाषा का अपना इतिहास और ग्रंथ होने चाहिए। इसके अलावा, किसी भाषा की साहित्यिक परंपरा मौलिक होनी चाहिए और किसी अन्य भाषा समुदाय से उधार नहीं ली गई होनी चाहिए। इसके अलावा अन्य निर्धारित मापदंडों को पूरा करने वाली लैंग्वेज को आगे बढ़ाया जाता है।

क्या होते हैं फायदे

किसी भी भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलने के बाद उस लैंग्वेज को संरक्षित करने का काम किया जाता है।

सरकार 'शास्त्रीय भाषाओं' के अध्ययन और संरक्षण को बढ़ावा देती है। इसका आशय है कि नाटक, कविताएं, ग्रंथ और साहित्य धरोहर का डिजिटलीकरण किया जाता है। इसके साथ हीभारतीय शास्त्रीय भाषाओं में प्रतिष्ठित स्काॅलर के लिए दो प्रमुख वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार दिए जाते हैं। इस लैंग्वेज पर ज्यादा रिसर्च करने के लिए सरकार की ओर से सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर स्टडीज स्थापित किया जाता है।