CPI(M) नेता सीताराम येचुरी की पार्थिव देह परिवार ने AIIMS को दी दान, जानें क्या होते हैं डोनेशन के नियम
सीपीआईएम पार्टी के महासचिव पद पर तैनात नेता सीताराम येचुरी का गुरुवार को 72 साल की उम्र में बीमारी के चलते निधन हो गया है। निधन के बाद उनके परिवार ने पार्थिव देह को एजुकेशन एवं रिसर्च के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान दिल्ली को डोनेट करने का फैसला लिया है। अब उनके शरीर का उपयोग पढ़ाई आदि के लिए किया जायेगा।
एजुकेशन डेस्क, नई दिल्ली। कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी CPI(M) के महासचिव सीताराम येचुरी का 72 साल की उम्र में निधन हो गया। वे 19 अगस्त से ही एक्यूट रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन के चलते अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, दिल्ली (AIIMS Delhi) में भर्ती थे। आखिरकार गुरुवार 12 सितंबर को बीमारी के चलते उनका निधन हो गया। निधन के बाद सीपीआईएम नेता के परिवारजनों ने उनके पार्थिव शरीर को एम्स में डोनेट करने का फैसला लिया है।
एजुकेशन-रिसर्च के लिए परिवार ने पार्थिव देह की दान
सीपीआईएम नेता सीताराम येचुरी के निधन के बाद उनके परिवार ने एम्स दिल्ली को उनके पार्थिव देह को दान में देने का फैसला लिया है। इसके बाद अब सीपीआईएम नेता की बॉडी को छात्रों की पढ़ाई- रिसर्च के लिए उपयोग की जाएगी।
बॉडी डोनेशन के नियम
हमारे देश में बॉडी डोनेट करने को मुख्यतः दो नियम हैं। पहले में व्यक्ति स्वयं अपने जीते जी अपने बॉडी पार्ट्स को डोनेट करने का फैसला कर लेता है। इसके अलावा दूसरे नियम में व्यक्ति के परिवार वाले उनके निधन के बाद सहमति से पार्थिव शरीर को डोनेट करने का फैसला लेते हैं।
क्या वापस मिलती है बॉडी
बॉडी डोनेशन के बाद पार्थिव देह को एजुकेशन के काम में लाया जाता है। इससे ज्यादातर प्रथम वर्ष के छात्रों को ऑर्गन्स के बारे में जानकारी दी जाती है। कुछ समय/ महीनों में जब बॉडी खराब होने लगती है तो ऐसे में उसे परिवार की रजामंदी से वापस कर दिया जाता है। इसके अलावा कई बार बॉडी का उपयोग करने वाले संस्थान भी बॉडी को अंत में अंतिम संस्कार कर देते हैं। उस समय अगर परिवार चाहे तो उनकी अस्थियां उन्हें उपलब्ध करवा दी जाती हैं।