Current/Exam GK: चंद्रयान 3 की सफलता के पीछे ISRO के इन वैज्ञानिकों का रहा योगदान, जानें मून मिशन में भूमिका
Current/Exam GK इसरो के चंद्रयान-3 मिशन की सफलता में वैज्ञानिकों के पूरे दल की भूमिका रही। इसरो के अध्यक्ष श्रीधर सोमनाथ ने पूरे चंद्रयान-3 का नेतृत्व किया। इन्होंने लांच व्हीकल मार्क-3 और चंद्रयान-3 को ऑबिट में लांच करने वाले बाहुबली रॉकेट को डिजाइन करने में अहम भूमिका निभाई। इसरो वैज्ञानिक पी. वीरामुथुवेल ने पूरे चंद्रयान-3 के लिए परियोजना निदेशक के तौर पर योगदान दिया।
Current / Exam GK: तारीख 23 अगस्त की शाम 6 बजकर 4 मिनट पर भारत ने अंतरिक्ष में एक ऐसी उपलब्ध प्राप्त की जो कि अभी तक किसी भी देश ने हासिल नहीं की है। भारत पृथ्वी के एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा के साउथ पोल पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाले विश्व का पहला देश बन गया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के मून मिशन के अंतर्गत पूर्णत: स्वदेशी चंद्रयान-3 को चंद्रमा की सतह पर उतारा गया, जिसके बाद से ही उपग्रह के सतह भौतिक, रासायनिक, जैविक व अन्य पहलुओं से विश्लेषण भी शुरू हो गया और इससे सम्बन्धित रिपोर्ट इसरो को प्राप्त हो रही हैं। इसरो के चंद्रयान-3 मिशन की सफलता में वैज्ञानिकों के पूरे दल की भूमिका रही। आइए इनमें से कुछ प्रमुख वैज्ञानिकों और उनकी भूमिका के बारे जानते हैं:-
एस. सोमनाथ, इसरो अध्यक्ष
इसरो के अध्यक्ष श्रीधर सोमनाथ ने पूरे चंद्रयान-3 का नेतृत्व किया। आइआइएससी बैंगलोर से एयरोस्पेस इंजीनियर एस सोमनाथ वर्ष 2022 में इसरो के अध्यक्ष बने। इन्होंने लांच व्हीकल मार्क-3 और चंद्रयान-3 को ऑबिट में लांच करने वाले बाहुबली रॉकेट को डिजाइन करने में अहम भूमिका निभाई। इनके नेतृत्व में भारत चांद की सतह पर यान उतारने वाला विश्व का चौथा देश बना।
पी. वीरामुथुवेल, परियोजना निदेशक
इसरो के वैज्ञानिक पी. वीरामुथुवेल ने पूरे चंद्रयान-3 के लिए परियोजना निदेशक के तौर पर भूमिका निभाई। इसरो में ये स्पेस इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोग्राम ऑफिसर के तौर पर कार्यरत हैं। आइआइटी मद्रास से डिग्री प्राप्त करने वाले पी. वीरामुथुवेल ने अपनी टीम के साथ 14 जुलाई, 2023 को यान लॉन्च होने के बाद से इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क सेंटर (आईएसटीआरएसी) के नियंत्रण केंद्र में चंद्रयान के वर्किंग और एक्टिविटीज पर लगातार बनाए रखी।
एस. उन्नीकृष्णन नायर, निदेशक विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र
चंद्रयान-3 की सफलता में एस. उन्नीकृष्णन नायर ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन्होंने अपनी टीम के साथ जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लांच व्हीकल (जीएसएलवी) मार्क-3 को तैयार किया। इसे ही ‘लांच व्हीकल मार्क-3’ के नाम से बार-बार संबोधित किया गया। एस. उन्नीकृष्णन नायर ने केरल विश्वविद्यालय से मेकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक, आइआइएससी बेंगलूरू से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर्स और आइआइटी मद्रास से मेकेनिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी की है।
रितु करिधल श्रीवास्तव, सीनियर साइंटिस्ट, इसरो
इसरो की सीनियर साइंटिस्ट रितु करिधल श्रीवास्तव को ‘इंडियन रॉकेट वूमन’ के नाम से भी जाना जाता है। रितु करिधल श्रीवास्तव ने चंद्रयान-3 लूनर मिशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इससे पहले इन्होंने 2014 के मार्स ऑर्बिटर मिशन में डिप्टी ऑपरेशंस डायरेक्टर के तौर पर योगदान दिया था। लखनऊ विश्वविद्यालय से फिजिक्स में बीएससी और एमएससी डिग्री उत्तीर्ण रितु करिधल श्रीवास्तव ने यहीं से पीएचडी भी की है।
इन वैज्ञानिकों के अतिरिक्त भी चंद्रयान-3 की सफलता में कई वैज्ञानिकों ने महत्वपूर्ण उल्लेखनीय योगदान दिया। इनमें आइएसटीआरएसी के डायरेक्टर बीएन रामकृष्ण, मिशन डायरेक्टर एस मोहना, यूआर राव सैटेलाइट सेंटर के डायरेक्टर एम संकरन और डिप्टी डायरेक्टर मुथय्या वनीता, डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर कल्पना के, आदि शामिल हैं।