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Current GK: जानें क्या है सेबी का One Hour Trade Settlement, अगले साल मार्च तक हो सकता है लागू

Current GK सेबी द्वारा शेयरों की खरीद और बिक्री के बाद शेयर/राशि के भुगतान के लिए वर्तमान समय में लागू T+1 के पैटर्न में बदलाव किया जा सकता है। नई व्यवस्था में सेबी द्वारा One Hour Trade Settlement को लागू किया जा सकता है। यह बात सेबी की अध्यक्ष माधुरी पुरी बुच ने मंगलवार 5 सितंबर 2023 को ग्लोबल फिनटेक फेस्ट 2023 में कही।

By Rishi SonwalEdited By: Rishi SonwalUpdated: Wed, 06 Sep 2023 12:30 PM (IST)
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Current GK: मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इसे अगले वर्ष मार्च तक लागू किया जा सकता है।
Current GK SEBI’s One Hour Trade Settlement: भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा शेयर मार्केट को लेकर एक बड़ा परिवर्तन किया जा सकता है। सेबी द्वारा शेयरों की खरीद और बिक्री के बाद शेयर/राशि के भुगतान के लिए वर्तमान समय में लागू T+1 के पैटर्न में बदलाव किया जा सकता है। नई व्यवस्था में सेबी द्वारा One Hour Trade Settlement को लागू किया जा सकता है। यह बात सेबी की अध्यक्ष माधुरी पुरी बुच ने मंगलवार, 5 सितंबर 2023 को ग्लोबल फिनटेक फेस्ट 2023 में कही। हालांकि, इस व्यवस्था को लागू किए जाने की तिथि को लेकर सेबी प्रमुख ने कोई जानकारी नहीं दी है, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इसे अगले वर्ष मार्च तक लागू किया जा सकता है।

जानें क्या है सेबी का One Hour Trade Settlement?

दरअसल One Hour Trade Settlement की व्यवस्था लागू होने के बाद शेयर की बिक्री की स्थिति में निवेशक का एक घंटे में ही ट्रेड सेटलमेंट किया जाएगा। ऐसे में शेयरधारकों को ट्रेड सेटलमेंट के लिए एक दिन का भी इंतजार नहीं करना होगा। नई व्यवस्था में निवेशक द्वारा शेयर की खरीद करने पर सम्बन्धित शेयर उसके डीमैट एकाउंट में एक ही घंटे में रिफ्लेक्ट होगा। इसी प्रकार यदि निवेशक शेयर की बिक्री करता है तो एक ही घंटे में सेटलमेंट किए जाने के बाद राशि का भुगतान एक घंटे में हो जाएगी।

अभी है T+1 का सिस्टम, पहले था T+2

बता दें कि यदि सेबी द्वारा One Hour Trade Settlement की व्यवस्था लागू की जाती है तो यह वर्तमान प्रणाली T+1 को प्रतिस्थापित करेगा, जिसके अंतर्गत निवेशक द्वारा शेयर की खरीद या ब्रिक्री की स्थिति में ट्रेड सेटलमेंट ‘ट्रांसैक्शन डे’ के अतिरिक्त 1 और दिन (यानी T+1) लगते हैं। यह अवधि एनएसई के लिए लागू है, जबकि बीएसई के लिए T+2 दिन लगते हैं। दूसरी तरफ बीएसई में पहले, T+2 की व्यवस्था लागू थी, जिसमें ‘ट्रांसैक्शन डे’ के बाद सेटलमेंट में दो और दिन लगते थे।