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शिक्षा मंत्री ने एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों से संविधान की प्रस्तावना हटाने के आरोप को बताया निराधार

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने एनसीईआरटी की नई पाठ्यपुस्तकों से संविधान की प्रस्तावना को हटाने के आरोपों का खंडन किया है। प्रधान ने पहले कांग्रेस पार्टी को संविधान संवैधानिक मूल्यों और एनईपी को समझने के लिए कहा है। कांग्रेस पार्टी की ओर से एनसीईआरटी की एनईपी के तहत तीसरी और छठवीं की नई पाठ्यपुस्तकों से संविधान की प्रस्तावना को हटाने का आरोप लगाया जा रहा है।

By Amit Yadav Edited By: Amit Yadav Updated: Tue, 06 Aug 2024 07:24 PM (IST)
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पाठ्यपुस्तकों से संविधान की प्रस्तावना हटाने के आरोप को बताया निराधार- धर्मेंद्र प्रधान।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। एनसीईआरटी की नई पाठ्यपुस्तकों से संविधान की प्रस्तावना को हटाने के कांग्रेस के आरोपों को केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने निराधार व झूठ बताया है। उन्होंने कहा कि शिक्षा जैसे विषय को भी अपने झूठ की राजनीति के लिए इस्तेमाल करना और बच्चों का सहारा लेना कांग्रेस पार्टी की घृणित मानसिकता को दर्शाता है। उन्हें तुरंत ही बच्चों के नाम पर अपनी गंदी राजनीतिक को बंद करना चाहिए।

शिक्षा मंत्री प्रधान ने मंगलवार को कांग्रेस पर यह पलटवार तब किया है, जब कांग्रेस पार्टी ओर से एनसीईआरटी की एनईपी के तहत तैयार की तीसरी और छठवीं की नई पाठ्यपुस्तकों से संविधान की प्रस्तावना को हटाने का आरोप लगाया जा रहा है।

कांग्रेस प्रवक्ता डा. शमा मोहम्मद ने इस मुद्दे पर 'एक्स' के जरिए अभिभावकों से खड़े होने की अपील भी की है। इस बीच प्रधान ने कहा कि एनईपी के तहत पहली बार एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों में भारत के संविधान के विभिन्न पहलुओं, जिसमें प्रस्तावना, मौलिक कर्तव्य, मौलिक अधिकार, राष्ट्रगान को उचित महत्व और सम्मान देने का काम किया गया है। बच्चों के समग्र विकास के लिए एनईपी के दृष्टिकोण का पालन करते हुए इन सभी पहलुओं को बच्चों की उचित उम्र को ध्यान में रखते हुए विभिन्न चरणों की पाठ्यपुस्तकों में रखा जा रहा है।

उन्होंने कहा कि बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वाले और भारतीय शिक्षा व्यवस्था को बकवास बताने वालों को झूठ फैलाने से पहले सच जानने की कोशिश करनी चाहिए। कांग्रेस पार्टी को लेकर प्रधान की नाराजगी यहीं तक नहीं थमीं बल्कि उन्होंने कहा कि मैकाले की विचारधारा से प्रेरित कांग्रेस शुरू से ही भारत के विकास और शिक्षा व्यवस्था से घृणा रखती है। यह तर्क कि केवल संविधान की प्रस्तावना ही संवैधानिक मूल्यों का प्रतिबद्ध है, कांग्रेस की संविधान की समझ को उजागर करता है। कांग्रेस पार्टी का पाप का घड़ा भर चुका है। उन्होंने बगैर राहुल गांधी की नाम लिए कहा कि 'आजकल जो 'झूठे संविधान प्रेमी' बनकर घूम रहे हैं और संविधान की प्रति लहरा रहे हैं, इनके पूर्वजों ने ही बार-बार संविधान की मूल भावना की हत्या करने का काम किया था।'

प्रधान ने कहा कि यदि कांग्रेस पार्टी में इनमें थोड़ी भी शर्म और आत्मग्लानि बची हो तो वह पहले संविधान, संवैधानिक मूल्यों और एनईपी को समझें।

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