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BRICS Summit 2023: जोहानसबर्ग में 15वें ब्रिक्स सम्मेलन के ये हैं मुद्दे, जानें भारत के लिए कितना महत्वपूर्ण

BRICS Summit 2023 ब्राजील रूस भारत चीन और दक्षिण अफ्रीका के समूह BRICS का सम्मेलन 22-24 अगस्त 2023 तक दक्षिण अफ्रीका के जोहानसबर्ग में आयोजित होगा। इस 15वें सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिस्सा लेंगे। इस सम्मेलन को भारत के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है। ब्रिक्स बैंक के मुद्दे पर सहमति बनने से ब्रिक्स देशों के साथ रुपये के मुद्रा विनिमय में उतार-चढ़ाव का जोखिम नहीं रहेगा।

By Rishi SonwalEdited By: Rishi SonwalUpdated: Tue, 22 Aug 2023 04:21 PM (IST)
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BRICS Summit 2023: 15वें बिक्स सम्मेलन के मुद्दे और भारत के लिए महत्व।

Exam GK on 15th BRICS Summit 2023: विश्व में तेजी से उभरती अर्थव्यवस्थाओं ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के समूह BRICS का शिखर सम्मेलन 22 से 24 अगस्त 2023 तक आयोजित होने जा रहा है। दक्षिण अफ्रीका के जोहानसबर्ग में आयोजित किए जा रहे इस 15वें सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ-साथ दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सीरील रामाफोसा (Cyril Ramaphosa), चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping), ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला डा सिल्वा (Luiz Inacio Lula da Silva) भाग लेंगे। हालांकि, अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय द्वारा गिरफ्तारी वारंट जारी किए जाने के चलते रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन (Vladimir Putin) 15वें ब्रिक्स सम्मेलन में वर्चुअल मोड में हिस्सा लेंगे, जबकि भौतिक रूप से रूस का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री सेरगेई लावरोव (Sergei Lavrov) करेंगे।

15वें BRICS सम्मेलन के ये हैं मुद्दे

जोहानसबर्ग में आयोजित होने वाले 15वें ब्रिक्स सम्मेलन में जिन मुद्दों पर चर्चा की जा सकती है, उनमें से मुख्य निम्नलिखित हैं:-

बिक्स का विस्तार: ब्रिक्स देशों के समूह में सम्मिलित होने के लिए कई देशों ने इच्छा जताई है। इनमें सउदी अरब, यूएई, इरान, अर्जेटिना, इंडोनेशिया, इजिप्ट और ईथीओपिया, आदि शामिल हैं। समाचार एजेंसी के राइटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक इन देशों को ब्रिक्स समूह में शामिल किए जाने को लेकर सहमति नहीं है। अमेरिका से व्यापार एवं भौगोलिक-राजनैतिक प्रतिद्वंदिता रखने वाली चीन ब्रिक्स का विस्तार चाहता है, यूक्रेन से युद्ध कर रहे रूस और दक्षिण अफ्रीका ब्रिक्स का विस्तार चाहते हैं। वहीं, ब्राजील इस विस्तार से सहमत नहीं है। भारत की तरफ से इस सम्बन्ध में स्थिति स्पष्ट नहीं की गई है।

बिक्स बैंक: 15वें ब्रिक्स सम्मेलन में न्यू डेवेलपमेंट बैंक (NDB) (या ब्रिक्स बैंक) के माध्यम से स्थानीय मुद्रा में पूंजी उगाही और ऋण देने को कैसे बढ़ावा दिया जाए इस पर भी चर्चा हो सकती है। इससे ब्रिक्स देशों में विदेशी मुद्रा विनिमय में उतार-चढ़ाव का जोखिम नहीं रहेगा।

आर्थिक सहयोग: ब्रिक्स सम्मेलन में भाग ले रहे देशों में आर्थिक समझौतों को लेकर भी चर्चा हो सकती है, ताकि आपसी विभिन्न क्षेत्रों में व्यापार और निवेश को बढ़ावा दिया जा सके। इनमें ऊर्जा सहयोग, ढांचागत विकास, डिजिटल अर्थव्यवस्था और रोजगार शामिल हैं।

‘फ्रेंड्स ऑफ ब्रिक्स’: ब्रिक्स सदस्य देशों की संख्या में विस्तार के साथ-साथ 15वें ब्रिक्स सम्मेलन में सम्मिलित होने के लिए 67 अफ्रीकी, लैटिन अमेरिकी, कैरेबियाई देशों को भी आमंत्रण दक्षिण अफ्रीका द्वारा भेजा गया है। इन देशों को ‘फ्रेंड्स ऑफ ब्रिक्स’ कहा गया है। बता दें कि फ्रांस के राष्ट्रपति ईमैनुअल मारकॉन (Emmanuel Macron) ने भी इस सम्मेलन में भाग लेने की इच्छा जताई थी लेकिन रूस द्वारा विरोध किया गया क्योंकि फ्रांस द्वारा यूक्रेन की युद्ध में मदद की जा रही है।

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15वां BRICS सम्मेलन भारत के लिए कितना महत्वपूर्ण?

दक्षिण अफ्रीका के जोहानसबर्ग में आयोजित हो रहा 15वां ब्रिक्स सम्मेलन भारत के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है। ब्रिक्स देशों के विस्तार और आपसी व्यापार व आर्थिक समझौतों से भारतीय आयात-निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, ब्रिक्स बैंक के मुद्दे पर सहमति बनने से ब्रिक्स देशों के साथ रुपये के मुद्रा विनिमय में उतार-चढ़ाव का जोखिम नहीं रहेगा। इनके अतिरिक्त, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आंतकवाद के मुद्दे को सम्मेलन में उठाया जा सकता है और इससे ब्रिक्स देशों से और बेहतर कूटनीतिक सहयोग भारत को मिल सकता है।

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बता दें कि ब्रिक्स देशों में वैश्विक जनसंख्या का 41 फीसदी से अधिक आबादी रहती है। ब्रिक्स के सभी 5 देश विश्व के 20 देशों के समूह जी-20 का भी हिस्सा हैं।