नेत्रहीन IAS अजीत यादव को नहीं मिला था उनका पद, लड़ी कानूनी लड़ाई; जानिए सफलता की ये कहानी
सिविल सेवा की गिनती देश की सबसे प्रतिष्ठित सेवाओं में की जाती है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं एक नेत्रहीन IAS की कहानी जिनका नाम अजीद यादव है। अजीत ने अपने IAS पद को पाने के लिए कई सालों की लंबी कानूनी लड़ाई भी लड़ी थी।
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। IAS Success Story: सिविल सेवा की गिनती देश की सबसे प्रतिष्ठित सेवाओं में की जाती है। इसके लिए कई युवा कोचिंग तो कई युवा बिना कोचिंग के ही तैयारी करते हैं। हालांकि, दोनों ही मामलों में सफलता मिल पाना निश्चित नहीं होता है। कई बार सिविल सेवा कि परीक्षा को पास करने में युवाओं के सालों साल लग जाते हैं।
ऐसे ही एक व्यक्ति हैं अजीत यादव जिन्होंने कड़ी मेहनत और लगन के साथ इस परीक्षा को पास किया। आज हम आपको अजीत यादव की कहानी बताने जा रहे हैं जो कई युवाओं के लिए प्रेरणा हैं।
अजीत यादव ने न सिर्फ कठिन मेहनत से परीक्षा पास की, बल्कि परीक्षा पास करने के बाद भी उन्होंने सेवा को हासिल करने के लिए कठिन परिश्रम किया। सिविल सेवा की तैयारी कर रहे युवाओं को अजीत यादव की कहानी प्रेरणा देती है।
कौन हैं अजीत यादव
मूल रूप से हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के रहने वाले अजीत के पिता रामपथ सिंह ब्लॉक डेवलपमेंट और पंचायत अधिकारी के रूप में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। अजीत की मां एक ग्रहणी हैं। अजीत जब 5 साल के थे तब किसी बीमारी के कारण उन्होंने अपनी आंखों की रोशनी खो दी थी। आंखों की रोशनी जाने के कारण उन्हें कई परेशानियों का सामना भी करना पड़ा। हालांकि, उन्होंने नेत्रहीन होने की वजह से जीवन में हार नहीं मानी।
किया था 9वीं और 10वीं में टॉप
अजीत की प्रारंभिक शिक्षा करोल बाग के स्प्रिंग डेल स्कूल से पूरी हुई थी। स्कूल में सभी बच्चों के बीच सिर्फ अजीत ही नेत्रहीन थे। हालांकि, उन्होंने इस चीज को कभी आड़े नहीं आने दिया और कक्षा 9वीं और 10वीं में टॉप किया। स्कूली शिक्षा पूरी होने के बाद अजीत ने दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज में पॉलिटिकल साइंस में दाखिला लिया। यहां से ग्रेजुएशन की डिग्री पूरी करने के बाद उन्होंने B.Ed. की डिग्री पूरी की। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने दिल्ली में ही शिक्षक के रूप में नौकरी शुरू की।
IAS पद के लिए लड़ी थी लड़ाई
अजीत यादव ने नौकरी के साथ UPSC सिविल सेवा की तैयारी शुरू कर दी थी। उन्होंने इस परीक्षा के लिए कड़ी मेहनत की और 2008 में परीक्षा में 208 रैंक प्राप्त कर सफलता भी हासिल कर ली। फिलहाल उनका सघर्ष यहीं खत्म नहीं होता है। परीक्षा को पास करने के बाद भी उन्हें IAS अधिकारी का पद नहीं मिला। इसके बदले उन्हें भारतीय रेलवे में अधिकारी का पद मिला, लेकिन अजीत ने यह पद लेने से साफ इन्कार कर दिया। अजीत ने इसके खिलाफ मामला दर्ज कराया और लंबी कानूनी लड़ाई, जिसके बाद साल 2012 में फैसला अजीत के पक्ष में सुनाया गया और वह IAS अधिकारी के रूप में चयनित हुए।
अजीत की कहानी हमको बताती है कि जीवन आसान नहीं बल्कि मुश्किल होता है। इसमें जीतता वही है, जो डटकर मुश्किलों का सामना करता है। यदि मुश्किलों से लड़ा जाए, तो हर लक्ष्य को पाना संभव है।