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IFS Success Story: कई बार नाकामी से टूट गई थी हिम्मत, फिर मां के मोटिवेशन से क्रैक किया सबसे मुश्किल एग्जाम

IFS Success Story स्वाति ने पूरी तैयारी के साथ पहली बार यूपीएससी की परीक्षा दी थी। हालांकि वे इसमे सफल नहीं हो सकीं। इसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानीं और तैयारी में जुटी रहीं। हालांकि जब वे दूसरी बार भी ऐसा हुआ तो वे हताश हो गई थीं।

By Nandini DubeyEdited By: Nandini DubeyUpdated: Fri, 21 Apr 2023 04:32 PM (IST)
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IFS Success Story: स्वाति शर्मा ने चौथे प्रयास में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में पाई सफलता, जानें इनकी कहानी।
 एजुकेशन डेस्क। IFS Success Story: कहते हैं कि, जब अपने साथ होते हैं तो हर मुश्किल आसान हो जाती है। किसी भी लक्ष्य को पाने में कठिनाई नहीं होती है। इस बात पर पूरी तरह यकीन दिलाया है स्वाति शर्मा ने। यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में 2 बार फेल होने के बाद वे टूट गई थीं लेकिन उनकी मां ने हिम्मत बंधाई। उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। इसका नतीजा यह हुआ कि वे परीक्षा में सफल हुईं। कैसा था उनका पूरा सफर, आइए जानते हैं।

इकोनॉमिक्स में ली है मास्टर डिग्री

स्वाति शर्मा दिल्ली से पढ़ी हैं। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से इकोनॉमिक्स में यूजी की डिग्री ली है। इसके बाद उन्होंने देश की टॉप् यूनिवर्सिटी में शुमार जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से उन्होंने इकोनॉमिक्स से ही मास्टर्स डिग्री ली थी।

फैमिली का नहीं था दबाव

पढ़ाई पूरी करने के बाद स्वाति यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करना चाहती थीं। हालांकि, उन पर फैमिली का ये दबाव नहीं था कि उन्हें एग्जाम में यूपीएससी ही क्रैक करना है। स्वाति के पास अपना भविष्य चुनने की पूरी आजादी थी। ऐसे में उन्होंने फैसला किया कि वे इसी दिशा में आगे बढ़ेगीं।

मां ने दी हिम्मत

स्वाति ने पूरी तैयारी के साथ पहली बार यूपीएससी की परीक्षा दी थी। हालांकि, वे इसमे सफल नहीं हो सकीं। इसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानीं और तैयारी में जुटी रहीं। हालांकि, जब वे दूसरी बार भी ऐसा हुआ तो वे हताश हो गई थीं। इसके बाद उनकी मां ने उन्हें हिम्मत बंधाई। उन्हें सहारा दिया और आगे बढ़ने केलिए प्रेरित किया।

फिर मिली सफलता

स्वाति ने फिर हिम्मत दिखाई और कमियों पर काम करते हुए तीसरी बार परीक्षा दी। इस बार वे एग्जाम में सफल हो गई थीं। प्री, मेंस और इंटरव्यू में तीनों में उनका नाम था। इसके बाद उन्हें वित्तीय लेखा सेवा मिली। हालांकि, वे इससे पूरी तरह संतुष्ट नहीं थी। इसलिए उन्होंने चौथी बार एग्जाम दिया और इस बार उन्होंने 17वीं रैंक हासिल की। इसके बाद वे आईएफएस अफसर बन गईं।