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आइआइटी आइएसएम जियोमेटिक्स में लांच करेगा एक्जीक्यूटिव एमटेक प्रोग्राम

IIT ISM जियोमैटिक्स के बिना खनन संभव नहीं है। आइएसएम के निदेशक प्रो राजीव शेखर ने कहा कि आइआइटी आइएसएम जियोमेटिक्स में एक एक्जीक्यूटिव एमटेक प्रोग्राम लांच करेगा। यहां पेशेवर भी आनलाइन मोड के माध्यम से ज्ञान अर्जित कर सकेंगे।

By Jagran NewsEdited By: Rishi SonwalUpdated: Fri, 03 Mar 2023 10:45 AM (IST)
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IIT ISM: आइआइटी पेशेवर भी आनलाइन मोड से कर सकेंगे ज्ञान अर्जन।

जागरण संवाददाता, धनबाद: आने वाला समय जियोमैटिक्स का है। खनन के क्षेत्र में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होगी। जियोमैटिक्स के बिना खनन संभव नहीं है। आइआइटी आइएसएम का टेक्समिन टेक्नोलाजी इनोवेशन हब इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। टेक्समिन ने ही हाल ही में महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड की ओपनकास्ट माइंस में ट्रैफिक जाम का समाधान खोजा है। यह दूरगामी परिणाम देने वाला होगा। से सब बातें आइआइटी आइएसएम के 21 दिवसीय शीतकालीन सत्र में निकलकर आयीं। इसका विषय भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी की समझ विकसित करना रहा। आइएसएम के निदेशक प्रो राजीव शेखर ने कहा कि आइआइटी आइएसएम जियोमेटिक्स में एक एक्जीक्यूटिव एमटेक प्रोग्राम लांच करेगा। यहां पेशेवर भी आनलाइन मोड के माध्यम से ज्ञान अर्जित कर सकेंगे। इसके साथ ही डेटा संग्रह और विश्लेषण के लिए एप्लाइड जियोलाजी, एप्लाइड जियोफिजिक्स, माइनिंग इंजीनियरिंग और पर्यावरण विज्ञान इंजीनियरिंग आदि जैसे विभिन्न डोमेन में भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी का विशेष महत्व है। आइआइएससी बेंगलुरु के प्रो नागेश कुमार ने नदी बेसिन का संसाधनों का आकलन करते हुए भू-स्थानिक और सुदूर संवेदन प्रौद्योगिकियों में अवसर की जानकारी दी। प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय सिडनी आस्ट्रेलिया के प्रो विश्वजीत प्रधान ने प्राकृतिक खतरों पर बात की। आइआइटी आइएसएम के प्रो पीके सिंह ने रिमोट सेंसिंग के अनुप्रयोगों के बारे में चर्चा की।

भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी की समझ की विकसित

आइआइटी आइएसएम के संकाय सदस्यों, वैज्ञानिकों, प्रौद्योगिकीविदों के बीच भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी की समझ विकसित करने के लिए आयोजित 21 दिवसीय शीतकालीन सत्र में देशभर से 25 जीआइएस विश्लेषकों, भू-स्थानिक वैज्ञानिकों के अलावा खनन, सिविल, एप्लाइड भूविज्ञान और एप्लाइड भूभौतिकी इंजीनियरिंग के विशेषज्ञ उपस्थित हुए। वर्तमान युग में पृथ्वी से संबंधित डेटा प्राप्त करने के लिए भू-स्थानिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी के बढ़ते महत्व को रेखांकित किया गया। इसका उपयोग विश्लेषण, माडलिंग, सिमुलेशन और विजुआइलेशन के लिए किया जाता है।