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IPS Success Story: पढ़ाई के लिए पिता ने बेच दिया खेत, बेटे ने आईपीएस अफसर बनकर नाम किया रोशन

IPS Success Story इंद्रजीत ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उनके पैसे की इतनी कमी थी कि वे रद्दी में मिलने वाली किताबों से पढ़ते थे। दरअसल जो स्टूडेंट्स पढ़ने के बाद अपनी बुक् को रद्दी में बेच दिया था करते थे वे उन्हें खरीदकर पढ़ते थे।

By Nandini DubeyEdited By: Nandini DubeyUpdated: Sat, 08 Apr 2023 11:20 AM (IST)
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IPS Success Story: इंद्रजीत महथा के पिता ने बेटे की पढ़ाई के लिए बेच दिया था खेत।
एजुकेशन डेस्क। IPS Success Story: अगर इरादा मजबूत हो तो फिर कैसे भी मुश्किल आए ज्यादा देर तक ठहर नहीं सकती है। इसी बात को सच साबित कर दिखाया है झारखंड के रहने वाले इंद्रजीत महथा ने। महथा के घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। उनके पास फीस जमा करने और किताबें खरीदने तक के लिए पैसे नहीं थे। हालांकि, इन हालातों में न तो इंद्रजीत ने हार मानी और न ही उनके पिता ने। बेटे को पढ़ाने के लिए इंद्रजीत के पिता प्रेम कुमार ने खेत बेच दिया। खेत के साथ-साथ वे महथा की पढ़ाई के लिए अपनी किडनी बेचने तक को तैयार हो गए थे। पिता के इस त्याग और लगन को देखकर इंद्रजीत ने भी अपनी मेहनत में कोई कसर नहीं छोड़ी और अंत में उन्होंने अंसभव को संभव कर दिखाया। महथा ने देश की सबसे मुश्किल परीक्षा यूपीएससी एग्जाम को क्रैक किया और आईपीएस बनकर पिता का नाम रोशन किया। पढ़िए इंद्रजीत की पूरी कहानी।

इंद्रजीत महथा झारखंड के बोकारो जिले के एक छोटे से गांव से ताल्लुक रखते हैं। यहीं से उन्होंने अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी की थी। वे, जब स्कूल में थे, तभी एक बार टीचर ने उनसे पूछा कि जिले का सबसे बड़ा अधिकारी कौन होता है, तो उन्हें डीएम के बारे में पता चला। तभी से उन्होंने तय कर लिया था कि बड़े होकर डीएम बनना है।

रद्दी किताबों से की पढ़ाई

इंद्रजीत ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उनके पैसे की इतनी कमी थी कि वे रद्दी में मिलने वाली किताबों से पढ़ते थे। दरअसल, जो स्टूडेंट्स पढ़ने के बाद अपनी बुक् को रद्दी में बेच दिया था करते थे, वे उन्हें रद्दी के भाव में खरीदकर फिर उनसे पढ़ा करते थे। इस तरह जैसे-तैसे उन्होंने यूजी की पढ़ाई पूरी की।

किडनी बेचने को तैयार थे पिता

महथा के पिता जीविका चलाने के लिए एकमात्र साधन खेत ही थे। लेकिन उन्होंने बेटे की पढ़ाई अधूरी न रहे। इसके लिए खेत बेच दिया था। वहीं, इंद्रजीत भी अपने बचपन के सपने को साकार करने के लिए दिल्ली आ गए थे। यहां आकर उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। हालांकि पहले प्रयास में वे असफल हो गए थे। फेल होने के बाद उनका परिवार निराश हो गया था लेकिन उनके पिता ने हार नहीं मानी। वे कहने लगे कि, बेटे की पढ़ाई के लिए अभी तो खेत बेचा है अगर जरूरत पड़ी तो किडनी भी बेच दूंगा। 

फिर पूरा हुआ सपना 

इंद्रजीत ने साल 2008 में फिर प्रयास किया। इस बार वे पूरी तैयारी के साथ और पिछली कमियो पर काम करने के बाद मैदान में उतरे थे। इसका नतीजा यह हुआ कि उनकी मेहनत रंग लाई और उन्होंने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास कर ली थी। उन्होंने 100वीं रैंक मिली थी। इसके बाद वे IPS अफसर बन गए थे।