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आज है National Education Day 2023, इस मौके पर जानिए पहले शिक्षा मंत्री अबुल कलाम आजाद के बारे में कुछ फैक्ट्स

National Education Day 2023 देश के पहले शिक्षा मंत्री के मार्गदर्शन में ही इंडियन काउंसिल फॉर कल्चरल रिलेशंस साहित्य अकादमी ललित कला अकादमी संगीत नाटक अकादमी और सीएसआईआर की भी स्थापना की गई थी। उन्होंने 15 अगस्त 1947 से 2 फरवरी 1958 तक शिक्षा मंत्री के रूप में कार्य किया था। साल 1958 में ही शिक्षा मंत्री का निधन हो गया था।

By Nandini DubeyEdited By: Nandini DubeyUpdated: Sat, 11 Nov 2023 09:37 AM (IST)
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National Education Day 2023 के मौके पर जानिए पहले शिक्षा मंत्री अबुल कलाम आजाद के बारे में कुछ फैक्ट्स

एजुकेशन डेस्क, नई दिल्ली। National Education Day 2023: देश के इतिहास में 11 नवंबर की तारीख अहम है। इस दिन नेशनल एजुकेशन डे (National Education Day) मनाया जाता है। भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद (First Education Minister, Maulana Abul Kalam Azad) की जयंती के उपलक्ष्य में इस दिन को सेलिब्रेट किया जाता है। उन्होंने शिक्षा जगत से जुड़े कई अहम फैसले लिए थे। उनकी सोच थी कि हर किसी के लिए शिक्षा सुगम हो। साथ ही हायर एजुकेशन को बढ़ावा मिल सके। वे समझते थे कि बिना शिक्षा के देश का विकास संभव नहीं है। इसलिए उन्होंने अपने पूरे कार्यकाल में इस दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए।

देश का पहला आईआईटी, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) समेत अन्य संस्थान उनके ही नेतृत्व में स्थापित किया गया था। नेशनल एजुकेशन डे के मौके पर आइए डालते हैं देश के पहले शिक्षा मंत्री से जुड़े कुछ अन्य फैक्ट्स पर नजर।

- मौलाना आजाद का असली नाम अबुल कलाम गुलाम मुहियुद्दीन था, जो आगे चलकर मौलाना आजाद के नाम से जाना गया।

-देश के पहले शिक्षा मंत्री के नेतृत्व में ही अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) सहित अन्य शीर्ष शिक्षा निकायों की स्थापना की गई थी। मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने पहले भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, आईआईटी खड़गपुर की भी स्थापना की थी।

-उनके मार्गदर्शन में ही इंडियन काउंसिल फॉर कल्चरल रिलेशंस, साहित्य अकादमी, ललित कला अकादमी, संगीत नाटक अकादमी और सीएसआईआर की भी स्थापना की गई थी।

-उन्होंने 15 अगस्त, 1947 से 2 फरवरी, 1958 तक शिक्षा मंत्री के रूप में कार्य किया।

-मौलाना आज़ाद ने बहुत कम उम्र में ही उर्दू भाषा में कविता की रचना शुरू कर दी थी। उन्होंने धर्म और दर्शन पर ग्रंथ भी लिखे हैं।

- वे एक बड़े स्वतंत्रता सेनानी, विद्वान और प्रख्यात शिक्षाविद् थे।

-22 फरवरी, 1958 को दिल्ली में उनका निधन हो गया था।

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