Offbeat Career: जल प्रबंधन में बनें सहभागी, जानें कैसे बढ़ाएं इस दिशा में कदम
ग्लोबल वार्मिंग एवं जलवायु परिवर्तन के कारण जल संरक्षण आज पहले से कहीं अधिक जरूरी हो गया है। हाल ही में संपन्न सातवें इंडिया वाटर वीक में भी विशेषज्ञों ने इस पर खासा जोर दिया है। ऐसे में कुशल जल प्रबंधकों की मांग तेजी से बढ़ रही है।
By Jagran NewsEdited By: Dheerendra PathakUpdated: Tue, 08 Nov 2022 04:19 PM (IST)
अंशु सिंह। ग्लोबल वार्मिंग एवं जलवायु परिवर्तन के कारण जल संरक्षण आज पहले से कहीं अधिक जरूरी हो गया है। जल संचयन से लेकर तमाम जल स्त्रोतों एवं संसाधनों के बेहतर प्रबंधन पर ध्यान देने की आवश्यकता है। हाल ही में संपन्न सातवें इंडिया वाटर वीक में भी विशेषज्ञों ने इस पर खासा जोर दिया है। ऐसे में कुशल जल प्रबंधकों की मांग तेजी से बढ़ रही है। आइए जानें कैसे बढ़ाएं इस दिशा में कदम...
संयुक्त राष्ट्र विश्व जल विकास रिपोर्ट-2022 के अनुसार, जलधाराओं, झीलों एवं मानव-निर्मित जलाशयों से ताजे जल की तेजी से निकासी के साथ विश्व भर में जल की कमी को लेकर चिंता बढ़ती जा रही है। जलवायु परिवर्तन एवं ग्लोबल वार्मिंग के कारण होने वाली प्राकृतिक आपदाओं एवं महामारियों में वृद्धि के कारण यह स्थिति और भी गंभीर हो गई है। ध्यान देने की बात यह है कि विश्व की लगभग 17 प्रतिशत आबादी वाला देश भारत के पास दुनिया के ताजे जल संसाधनों का मात्र 4 प्रतिशत ही है। नीति आयोग के अनुसार, वर्ष 2030 तक देश में पानी की मांग उपलब्ध आपूर्ति की तुलना में दोगुनी हो जाएगी यानी चुनौती बड़ी है। भारत को अपने जल का बेहतर से बेहतर प्रबंधन करना होगा।
क्या है जल प्रबंधन: जल प्रबंधन का आशय है पानी का संचयन और संरक्षण, जिसमें पानी के विभिन्न स्रोतों (सामान्य पानी, मीठे पानी, भारी पानी, खारे पानी, नदी, नाले, पोखर और तालाब) की सुरक्षा एवं संरक्षण शामिल है। यह संरक्षण इसलिए भी जरूरी है ताकि मानव, पशु-पक्षियों और कल-कारखानों के साथ-साथ सिंचाई आदि में पानी का इस्तेमाल किया जा सके। जल प्रबंधन के तहत कल-कारखानों और प्रदूषित नदियों के पानी को पीने योग्य बनाने या उसे दोबारा उपयोग में लाने का कार्य भी किया जाता है। इसके अलावा, सूखाग्रस्त एवं रेतीले क्षेत्रों में पानी की खोज और प्रबंधन, पानी के संग्रह या वर्षा जल के संचयन के लिए बड़े-बड़े हौज और टैंकों का निर्माण, जल संभरण भी इसके अंतर्गत आते हैं।
संभावनाएं: जल प्रबंधन में रुचि रखने वाले इस विषय में डिग्री हासिल करने के बाद शहरी एवं ग्रामीण दोनों स्थानों पर काम कर सकते हैं। नगर निगम, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, बाढ़ नियंत्रण बोर्ड को पेशेवर लोगों की जरूरत होती है। इंजीनियरिंग फर्म्स, वाटर हार्वेस्टिंग, जल संरक्षण से जुड़े संस्थानों में भी काम के अच्छे अवसर हैं। वाटर एड, प्रदान, जल भागीरथी फाउंडेशन, आगा खान रूपल सपोर्ट प्रोग्राम, यूनिसेफ जैसे स्वयंसेवी संगठनों के अलावा फ्रैंक वाटर, वाटर हार्वेस्ट, टाटा ट्रस्ट एवं अजीम प्रेमजी फिलेंथ्रोपिक इनिशिएटिव जैसे परोपकारी संस्थानों में भी जल विशेषज्ञों की नियुक्ति की जाती है। यहां वे डाटा कलेक्शन, एनालिसिस से लेकर प्रोग्राम मैनेजर की भूमिका तक निभाते हैं। इन दिनों पर्यावरण एवं पानी के मुद्दे पर काम कर रहे कई स्टार्टअप भी वाटर टेस्टिंग, वाटर मीटरिंग आदि क्षेत्रों में तमाम मौके प्रदान कर रहे हैं। जो लोग शैक्षणिक क्षेत्र में कार्य करना चाहते हैं, वे अशोका ट्रस्ट फार रिसर्च इन इकोलाजी एंड द एनवायरनमेंट (एट्री), द इंटरनेशनल वाटर मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट, आइआइटी, आइसीएसएसआर जैसे संस्थानों में जूनियर रिसर्चर एवं एसोसिएट्स के रूप में करियर शुरू कर सकते हैं। इन सबके अलावा, गैमन इंडिया, सीडीडी में टेक्नोलाजी आरएंडडी, मार्केटिंग, आपरेशंस एवं मैनेजमेंट, हाइड्रोलिक्स, वाटर रिसोर्स मैनेजर, एनवायरनमेंट मैनेजर के तौर पर सेवाएं दे सकते हैं।
बुनियादी कौशल : प्रबंधन के क्षेत्र में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होती है कम्युनिकेशन स्किल की। आपको अपनी टीम के साथ तमाम तरह की योजनाएं बनानी होती हैं, काम का बंटवारा करना, संसाधनों का प्रबंधन एवं सूचनाओं, संदेशों का आदान-प्रदान करना होता है। इसके अलावा, यहां कई प्रकार की जटिल परिस्थितियों एवं समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जिसके लिए समस्या को हल करने की दक्षता होना जरूरी है। जो समस्याओं का समाधान निकालना जानते हैं, उन्हें कामकाज में ज्यादा कठिनाई नहीं होती है। क्योंकि वे समय बर्बाद किए बिना निवारण पर ध्यान देते हैं यानी आपको समय का प्रबंधन भी आना चाहिए। आखिर में सबसे जरूरी बात। आपके अंदर स्पष्ट निर्णय लेने की क्षमता होनी चाहिए। नजरिये में स्पष्टता होगी, तो निर्णय लेने में देर नहीं लगेगी।
शैक्षणिक योग्यता : जल प्रबंधन में स्नातक (बीएससी, बीवाक) एवं स्नातकोत्तर दोनों कोर्स उपलब्ध हैं। इसके अलावा, सिविल इंजीनियरिंग एवं आर्किटेक्चर के कोर्स में भी यह एक पेपर के रूप में शामिल है। कुछ संस्थान डिप्लोमा कोर्स भी संचालित करते हैं। स्नातक कोर्स में दाखिले के लिए किसी भी मान्यता प्राप्त बोर्ड से 50 प्रतिशत अंकों के साथ 12वीं उत्तीर्ण होना होगा। वहीं, बीई या बीटेक करने के बाद जल प्रबंधन में मास्टर्स किया जा सकता है। कई शैक्षणिक संस्थान इसके लिए प्रवेश परीक्षा का आयोजन करते हैं, जैसे-कर्नाटक पोस्ट ग्रेजुएट कामन एंट्रेंस टेस्ट (कर्नाटक पीजीसीईटी), महाराष्ट्र कामन एंट्रेंस टेस्ट, टाटा इंस्टीट्यूट आफ सोशल साइंसेज नेशनल एंट्रेंस टेस्ट एवं इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी (दिल्ली) कामन एंट्रेंस टेस्ट।
एक्सपर्ट व्यू...युवाओं की बढ़ रही रुचिमैं अक्सर आइआइटी एवं अन्य शैक्षणिक संस्थानों में बतौर वक्ता जाता रहता हूं। अपने अनुभवों से कह सकता हूं कि जल प्रबंधन को लेकर जैसे-जैसे जागरूकता बढ़ रही है, वैसे-वैसे युवाओं में इस विषय को और गहराई से जानने की रुचि भी बढ़ रही है। सिविल इंजीनियरिंग के तहत पहले से ही इस विषय का अध्ययन करते रहे हैं, लेकिन अब स्नातक एवं पोस्ट ग्रेजुएट स्तर पर वाटर मैनेजमेंट में स्पेशलाइज्ड कोर्स उपलब्ध हैं। इनके अलावा, पर्यावरण मंत्रालय की ओर से ग्रीन स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम (सर्टिफिकेट कोर्स) संचालित किया जाता है। इसे पूरा करने के बाद विभिन्न सरकारी एवं गैर-सरकारी एजेंसियों के साथ युवा अपने करियर की शुरुआत कर सकते हैं। जल प्रबंधन में कुशलता हासिल करने के बाद रेन वाटर हार्वेस्टिंग, तालाबों एवं नदियों के संरक्षण, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एवं स्वयंसेवी संगठनों में भी अच्छे अवसर हैं।
रामवीर तंवरजल विशेषज्ञ एवं 'पांड मैन'प्रमुख संस्थानइग्नू, दिल्लीhttp://www.ignou.ac.in/टाटा इंस्टीट्यूट आफ सोशल साइंसेज, मुंबईhttps://www.tiss.edu/द एनर्जी एंड रिसोर्स इंस्टीट्यूट, दिल्लीhttps://www.teriin.org/
शिव नडार यूनिवर्सिटी, ग्रेटर नोएडाhttps://snu.edu.in/सीईपीटी यूनिवर्सिटी, अहमदाबादhttps://cept.ac.in/अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी, बेंगलुरुhttps://azimpremjiuniversity.edu.in/इंस्टीट्यूट आफ रूरल मैनेजमेंट, आनंदhttps://www.irma.ac.in/