Move to Jagran APP

आईआईटी और आईआईएम जैसे उच्च संस्थानों में पढ़ेंगे पंचायतकर्मी, पंचायतीराज मंत्रालय ने की महत्वपूर्ण पहल

गांवों के चहुंमुखी विकास के लिए एवं केंद्र और राज्य स्तर पर बनने वाली विकास व कल्याणकारी योजनाओं का गांव स्तर पर सफल क्रियान्वयन के लिए पंचायतीराज विभाग के कार्मिकों को आईआईटी और आईआईएम जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में ग्रामीण विकास नेतृत्व क्षमता डिजिटल साक्षरता सहित अन्य संबंधित विषयों की पढ़ाई कराई जाएगी। इसके लिए केंद्र सरकार प्रति अभ्यर्थी दस लाख रुपये तक खर्च करेगी।

By Amit Yadav Edited By: Amit Yadav Updated: Wed, 06 Nov 2024 07:56 PM (IST)
Hero Image
आईआईटी और आईआईएम संस्थानों में पढ़ेंगे पंचायतकर्मी।
एजुकेशन डेस्क, नई दिल्ली। आत्मनिर्भर भारत के लिए गांवों के चहुंमुखी विकास का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जो संकल्प लिया है, उसकी सिद्धि के लिए पंचायतीराज मंत्रालय ने बड़ा कदम उठाया है। केंद्र और राज्य स्तर पर बनने वाली विकास व कल्याणकारी योजनाओं का गांव स्तर पर सफल क्रियान्वयन हो सके, इसके लिए पंचायत कर्मियों को सक्षम-दक्ष बनाने का निर्णय लिया गया है।

सामान्य सरकारी प्रशिक्षणों के इतर संभवत: यह पहली बार होने जा रहा है कि पंचायतीराज विभाग के कार्मिकों को आईआईटी और आईआईएम जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में ग्रामीण विकास, नेतृत्व क्षमता, डिजिटल साक्षरता सहित अन्य संबंधित विषयों की पढ़ाई कराई जाएगी। इसके लिए केंद्र सरकार प्रति अभ्यर्थी दस लाख रुपये तक खर्च करेगी। पंचायतीराज मंत्रालय ने राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान में दीर्घकालिक घरेलू प्रशिक्षण के वित्त पोषण की उप-योजना शामिल की है।

प्रशिक्षण की योजना के लिए मंत्रालय ने दी स्वीकृति

पंचायतीराज संस्थानों के कर्मियों के प्रशिक्षण की इस योजना को हाल ही मंत्रालय ने स्वीकृति दी है। इसके तहत पंचायत कार्यकारी अधिकारी, पंचायत विकास अधिकारी, पंचायत सचिव या समानांतर पद के कार्मिक, खंड विकास अधिकारी, खंड पंचायतीराज अधिकारी, खंड पंचायत विकास अधिकारी सहित समानांतर पदाधिकारी के अलावा पंचायतीराज निदेशालय में विभिन्न पदों पर काम करने वाले पदाधिकारियों और जिला, ब्लाक और ग्राम पंचायत स्तर पर काम करने वाले जेई या उससे ऊपर से अभियंताओं को दक्ष बनाया जाना है।

सरकार ने तय किया है कि इन कार्मिकों को देश के विभिन्न क्षेत्रों में स्थित उन आईआईटी, आईआईएम या अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों में एक वर्षीय पाठ्यक्रम कराया जाएगा, जिन्हें सरकार ने सेंटर आफ एक्सीलेंस के रूप में चिन्हित किया हुआ है। नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क के तहत आने वाले ओवरआल कैटेगरी के शीर्ष 50 संस्थान, मैनेजमेंट कैटेगरी, ला कैटेगरी और एग्रीकल्चर एंड एलाइड सेक्टर के शीर्ष 25-25 संस्थानों में भी प्रवेश लिया जा सकता है।

पढ़ाई के लिए 7 श्रेणियां की निर्धारित

सरकार ने एक वर्ष की पढ़ाई के लिए सात श्रेणियां निर्धारित की हैं, जो कि ग्रामीण विकास/ग्रामीण प्रबंधन, सोशल वर्क सोशल प्लानिंग, लोकलाइजेशन ऑफ सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल, लीडरशिप एंड कम्यूनिकेशन, डिजिटल ट्रांसफार्मेशन एंड आइसीटी, पंचायत डेवलपमेंट प्लानिंग और प्रोजेक्ट मैनेजमेंट हैं।

सरकार का मानना है कि इन श्रेणियों में वह सभी विषय या विधाएं आ जाती हैं, जिनका ग्रामीण विकास से संबंध है। इनके संबंधित पाठयक्रम देश के सभी प्रतिष्ठित संस्थानों में चल रहे हैं। पंचायत कार्मिकों को इनमें से किसी भी एकवर्षीय पाठ्यक्रम में संस्थानों की निर्धारित पात्रता और प्रक्रिया का पालन करते हुए प्रवेश लेना होगा। प्रवेश होने पर पंचायतीराज मंत्रालय ने प्रत्येक अभ्यर्थी की पढ़ाई पर अधिकतम दस लाख रुपये खर्च करेगा।

राज्यों के लिए अलग-अलग श्रेणियां प्रतिवर्ष अभ्यर्थियों की पढ़ाई कर खर्च उठाने के लिए केंद्र सरकार ने राज्यों के लिए अधिकतम सीमा भी निर्धारित की है। इसके तहत केंद्र शासित प्रदेशों और गोवा के पांच-पांच, पूर्वोत्तर के राज्यों सहित हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के दस-दस तो बाकी राज्यों के 20-20 अभ्यर्थियों की पढ़ाई का प्रतिवर्ष खर्च सरकार उठाएगी।

कार्मिकों की पात्रता के लिए मंत्रालय की शर्तें-

  • विभाग में कार्मिक की सेवा सात वर्ष या उससे अधिक हो चुकी हो।
  • सेवा रिकार्ड साफ-सुधरा हो।
  • आवेदक के विरुद्ध कोई भी अनुशासनात्मक या आपराधिक कार्रवाई न चल रही हो।
  • पांच वर्ष की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट में कम से कम ''वेरी गुड'' की ग्रेडिंग हो।
  • आवेदन के समय आयु सीमा पचास वर्ष से अधिक न हो।
यह भी पढ़ें- PM Vidyalaxmi Scheme: मेधावी छात्रों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए पीएम-विद्यालक्ष्मी योजना को कैबिनेट से मिली मंजूरी, पढ़ें डिटेल