Subhash Chandra Bose Jayanti 2024: पराक्रम दिवस के रूप में क्यों मनाई जाती है नेताजी सुभाष चंद्र बोस जयंती, पढ़ें रोचक तथ्य
नेताजी सुभास चंद्र बोस भारत के महान क्रन्तिकारी थे। उन्होंने भारत की आजादी के लिए कई आंदोलनों में भाग लिया और साथ ही आजाद हिन्द फौज की स्थापना की। नेताजी द्वारा देश की आजादी के लिए किये गए अभूतपूर्व योगदान के लिए और उनको नमन करने के लिए प्रतिवर्ष 23 जनवरी को पराक्रम दिवस के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है।
By Amit YadavEdited By: Amit YadavUpdated: Tue, 23 Jan 2024 08:58 AM (IST)
एजुकेशन डेस्क, नई दिल्ली। भारत के महान क्रांतिकारी, विभिन्न आंदोलनों के अगुआकार नेताजी की उपाधि प्राप्त करने वाले सुभाष चंद्र बोस को सम्मान और उनके पराक्रम को सराहने के लिए प्रतिवर्ष 23 जनवरी को सुभाष चंद्र बोस जयंती के रूप में मनाया जाता है। नेताजी का जन्म 23 जनवरी 1897 में ओडिशा के कटक में बंगाली परिवार में हुआ था।
नेताजी ने भारत की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका को निभाया और युवाओं में आजादी के लिए लड़ने का जज्बा पैदा किया। नेताजी ने आजादी के लिए जय हिन्द, तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा, चलो दिल्ली जैसे नारे दिए जिन्होंने युवाओं में आजादी के लिए प्रेरणा का काम किया। आजादी के लिए उनके द्वारा किये गए संघर्ष को नमन करने के लिए उनकी जयंती को प्रतिवर्ष मनाया जाता जाता है।
2021 से पराक्रम दिवस के रूप में हुई शुरुआत
पहले इस दिन को सुभाष चंद्र जयंती के नाम से सेलिब्रेट किया जाता था लेकिन वर्ष 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दिन को नेताजी के योगदान को देखते हुए पराक्रम दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। इसके बाद से प्रतिवर्ष नेताजी की जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जा रहा है।नेताजी सुभाषचंद्र बोस से जुड़े रोचक तथ्य
- नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म ओडिशा के कटक में 23 जनवरी 1897 को हुआ था।
- इस वर्ष नेताजी की की 127वीं जयंती सेलिब्रेट की जा रही है।
- नेताजी के पिता का नाम जानकीनाथ बोस और माता का नाम प्रभावती देवी था।
- नेताजी ने आजाद हिन्द फौज की स्थापना की थी।
- नेताजी की मृत्यु 18 अगस्त 1945 को विमान हादसे में मानी जाती है लेकिन इसका कोई पुख्ता सबूत मौजूद नहीं है।
- नेताजी ने सन 1920 में इंग्लैंड में सिविल सर्विस पास की थी जिसमें उन्होंने चौथी रैंक हासिल की थी।
- देश की आजादी के लिए उन्होंने इस पद का त्याग कर दिया और आंदोलन में कूद पड़े।