Colleges Reopening 2020: कॉलेजों में क्लासेस शुरु करने को लेकर क्या कहते हैं यूजीसी द्वारा जारी किये दिशा-निर्देश
Colleges Reopening 2020 नये कैलेंडर में वर्तमान छात्रों के लिए 1 अगस्त से और नये दाखिला लेने वाले छात्रों के लिए 1 सितंबर से सत्र आरंभ करने के लिए कहा गया है।
By Rishi SonwalEdited By: Updated: Mon, 08 Jun 2020 01:00 PM (IST)
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। Colleges Reopening 2020: कोरोना वायरस (कोविड-19) और लॉक डाउन के कारण बाधित हुए शैक्षणिक कार्यों से नये सेशन और दाखिले की प्रक्रियाओं को लेकर बनी उहापोह की स्थिति के बीच विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानि यूजीसी ने विश्वविद्यालयों में नये सत्र के लिए कैलेंडर और दिशा-निर्देश अप्रैल अंत में ही जारी कर दिये थे। नये कैलेंडर में वर्तमान छात्रों के लिए 1 अगस्त से और नये दाखिला लेने वाले छात्रों के लिए 1 सितंबर से सत्र आरंभ करने के लिए कहा गया है। साथ ही, नये छात्रों के लिए दाखिले की प्रक्रिया को 1 अगस्त से 31 अगस्त 2020 के बीच सम्पन्न कराने के निर्देश दिये गये हैं।
यूजीसी द्वारा बुधवार 30 अप्रैल 2020 को जारी दिशा-निदर्शों के अनुसार विश्वविद्यालयों की लंबित सत्रांत वार्षिक एवं सेमेस्टर परीक्षाएं जुलाई और अगस्त में आयोजित की जा सकती हैं।यह भी पढ़ें - UGC Guideline 2020 for PhD/MPhil: कोविड-19 दौर में शोधार्थियों के लिए क्या कहते हैं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के जारी निर्देश
आयोग ने अपने निर्देश में कहा कि विश्वविद्यालय एवं अन्य उच्च शिक्षण संस्थान विभिन्न शैक्षणिक कार्यों और परीक्षाओं को कम समय में पूरा करने के लिए वैकल्पिक एवं सरल माध्यम अपना सकते हैं। आयोग ने इसके लिए कुछ विकल्प सुझाये भी हैं, जिनमें परीक्षा के समय को 3 घंटे की बजाय 2 घंटे करने, परीक्षाओं के ऑफलाइन के साथ-साथ ऑनलाइन कराने, सप्ताह के कार्य-दिवसों के 5 की बजाय 6 करने, वर्चुअल क्लासरूम, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुवधाओं के जरिए कक्षाओं के आयोजन, टीचिंग स्टाफ को तकनीकी आधारित शिक्षण के लिए प्रशिक्षित करने, ई-कंटेंट और ई-लैब प्रयोग को तैयार करने और वेबसाइट पर अपलोड करना और पाठ्यक्रम का 25 फीसदी ऑनलाइन शिक्षण से पूरा करना शामिल हैं।
बता दें कि यूजीसी द्वारा जारी किये गये दिशा-निर्देश आयोग द्वारा इस सम्बन्ध में बनायी गयी दो विशेषज्ञ समितियों की सिफारिशों के आधार पर लिये गये हैं।
आयोग ने अपने दिशा-निर्देशों में उच्च शिक्षण संस्थानों को वर्तमान परिस्थितियों के देखते हुए इन निर्देशों को अपनाने या लागू करने के लिए छात्रों, शैक्षणिक संस्थान और संपूर्ण शिक्षा प्रणाली के हित में आवश्यक सुधार या संशोधन करने की भी छूट दी गयी है।