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भारत में रहकर इंग्लैंड की टॉप यूनिवर्सिटी से कर सकेंगे पढ़ाई, गुरुग्राम में खुलेगा कैंपस; इंजीनियरिंग से लेकर AI तक का कोर्स

Foreign universities in India विदेशी युनिवर्सिटी में पढ़ने का सपना देख रहे भारतीय छात्रों के लिए खुशखबरी है। अब उन्हें इंग्लैंड की टॉप यूनिवर्सिटी में पढ़ने के लिए उन्हें देश से बाहर जाने की जरूरत नहीं होगी क्योंकि प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी भारत में ही अपना कैंपस खोलने जा रही है। जानिए कब खुलेगी यूनिवर्सिटी और इसमें कौन-कौन से कोर्सेज की होगी पढ़ाई।

By Jagran News Edited By: Sachin Pandey Updated: Thu, 29 Aug 2024 11:45 PM (IST)
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क्यूएस रैंकिग में साउथैप्मटन का 81वां स्थान है। (File Image)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। ऑस्ट्रेलिया के दो शीर्ष विश्वविद्यालयों के बाद अब दुनिया के शीर्ष 100 विश्वविद्यालयों में शामिल इंग्लैंड की साउथैम्प्टन यूनिवर्सिटी भी देश में अपना कैंपस खोलेगी, जो गुरुग्राम में खुलेगा। अगले साल यानी 2025 से स्नातक और परा-स्नातक स्तर के कई कोर्सों की पढ़ाई शुरू कर देगा।

इनमें इंजीनियरिंग, बिजनेस और एआई आदि से जुड़े कोर्स भी शामिल होंगे। विश्वविद्यालय अगले दस सालों में उन सभी कोर्सों को अपने यहां शुरू कर देगा, जो मौजूदा समय में उसके मुख्य कैंपस में पढ़ाए जा रहे है। क्यूएस रैंकिग में साउथैप्मटन का 81वां स्थान, जबकि टाइम्स रैंकिंग में 2024 में 97 वां स्थान है।

एनईपी की सिफारिशों के तहत होगी स्थापना

इससे पहले ऑस्ट्रेलिया के डेकिन और बोलोगोंग विश्वविद्यालय भी गुजरात के गिफ्ट सिटी में अपना कैंपस खोल चुके है। साउथैम्प्टन यूनिवर्सिटी ने गुरुवार को यह ऐलान शिक्षा और विदेश मंत्रालय की ओर से उच्च शिक्षा को विश्वस्तरीय स्वरूप देने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में किया है। इस मौके पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि देश में दुनिया के इस शीर्ष विश्वविद्यालय के कैंपस की स्थापना नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के अनुरूप होगी। साथ ही यह विश्वविद्यालय एनईपी की सिफारिशों पर भी अपनाएगा।

उन्होंने इस दौरान इंग्लैंड के साथ शिक्षा के क्षेत्र में मिलकर काम करने के लिए तैयार किए 2030 तक के रोडमैप का जिक्र किया, जिसमें दोनों देश यंग प्रोफेशनल्स स्कीम को संयुक्त रूप से शुरू करेंगे। वहीं केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने एक्स पर कहा कि इस पहल से देश के युवाओं को अब उच्च शिक्षा के दूसरे देशों में नहीं जाना होगा। बल्कि अब उन्हें यहीं वह शिक्षा मिलेगा।

हर साल करीब आठ लाख छात्र जाते हैं विदेश 

इस बीच विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ( यूजीसी ) के अध्यक्ष प्रोफेसर एम जगदीश कुमार और साउथैम्प्टन यूनिवर्सिटी के वाइस प्रेसीडेंट ऐंड्यू आथेरटन के बीच समझौता भी हुआ। विदेशी विश्वविद्यालयों के देश में कैंपस खोलने की इस पहल को इसलिए अहम माना जा रहा है, क्योंकि अभी उच्च शिक्षा के हर साल देश में करीब आठ लाख विदेश जा रहे है।

माना जा रहा है कि इस पहल से अब उन्हें जब देश में विदेशी संस्थानों की शिक्षा और कोर्स पढ़ने के लिए मिलेंगे, तो उन्हें पलायन नहीं करना होगा। देश से हर साल बाहर जाने लाखों- करोड़ों रुपए अब देश में ही रहेंगे। खासकर अब ऐसे बच्चे भी इन संस्थानों को पढ़ सकेंगे, जो विदेशों के महंगे रहने और खाने के चलते अभी पढ़ाई के लिए सोचकर भी नहीं जा पाते है। गौरतलब है कि गिफ्ट सिटी में आस्ट्रेलिया के डेकिन और बोलोगोंग विश्वविद्यालयों ने इसी साल ही अपने तीन चुनिंदा कोर्स शुरू किए है, जिसके तहत 30 से 50 छात्रों को ही दाखिला दिया गया है।

साउथैम्प्टन यूनिवर्सिटी ने बताया दस साल का प्लान

यूनिवर्सिटी ने फिलहाल इंग्लैंड से बाहर देश में खोले गए अपने पहले कैंपस में अगले दस सालों में सभी कोर्सों को संचालित करने का ऐलान किया है। पहले साल जिन कोर्सों को संचालित करेगा, उनमें बीएससी-कंप्यूटर साइंस, बीएससी बिजनेस मैनेजमेंट, बीएससी अकाउंटिंग एंड फाइनेंस, बीएससी इकोनॉमिक्स, एमएससी इंटरनेशनल मैनेजमेंट और एमएससी फाइनेंस है।

वहीं दूसरे साल इनमें जो नए कोर्स जुड़ेंगे, उनमें बीएससी साफ्टवेयर इंजीनियरिंग, बीएससी क्रिएटिव कंप्यूटिग, एमएससी इकोनामिक्स है। जबकि तीसरे साल में जो और नए कोर्स वह शुरू करेगा, उनमें एलएलबी, और बी. इंजीनियरिंग ( मैकेनिकल इंजीनियरिंग) शामिल हैं।