UPSC: IAS, IPS बनने की दीवानगी के चलते देश को नहीं मिल पा रहे डॉक्टर और इंजीनियर, संसदीय समिति ने उठाया मुद्दा
UPSC दरअसल संघ लोक सेवा आयोग की ओर से आयोजित होने वाली इस परीक्षा में बड़ी संख्या में बीटेक बीई और एमबीबीएस एमडी परीक्षा पास करने के बाद अभ्यर्थी सिविल सेवा की राह चुनते हैं। इसका नतीजा यह है कि ये सभी अपने-अपने फील्ड को छोड़कर प्रशासनिक सेवाओं की ओर बढ़ जाते हैं। इसके चलते कई डाॅक्टर और इंजीनियर नहीं मिल पा रहे हैं।
एजुकेशन डेस्क। UPSC: आईएएस और आईपीएस अफसर बनने को लेकर देश भर के युवाओं में गजब की दीवानगी है। इस बात की गवाही तो आंकड़े भी देते हैं। हर साल लाखों अभ्यर्थी यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में शामिल होते हैं। हालांकि, अब UPSC क्रैक कर प्रशासनिक सेवाओं में जाने की इस चाहत के चलते देश को पर्याप्त डॉक्टर और इंजीनियर नहीं मिल पा रहे है। यह मुद्दा संसदीय समिति ने उठाया है।
दरअसल, संघ लोक सेवा आयोग की ओर से हर साल आयोजित होने वाली इस परीक्षा में बड़ी संख्या में बीटेक, बीई और एमबीबीएस, एमडी परीक्षा पास करने के बाद अभ्यर्थी सिविल सेवा की राह चुनते हैं। इसके चलते कई डाॅक्टर और इंजीनियर, जो अपने फील्ड में बेहतर कर सकते थे, वे प्रशासनिक सेवाओं में शामिल हो जाते हैं। इसी वजह से इन क्षेत्रों को नुकसान हो रहा है। यह चिंता संसदीय समित ने जताई है।
इस संबंध में समिति का कहना है कि सिविल सेवाओं में अधिकतर भर्तियां टेक्निकल और मेडिकल बैकग्राउंड से है। आंकड़ों की बात करें तो मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सिविल सेवा परीक्षा 2020 के माध्यम से चुने गए 833 अभ्यर्थियों में से 541 अभ्यर्थी (65 प्रतिशत) इंजीनियरिंग बैकग्रांड से हैं। वहीं, अन्य 33 प्रतिशत मेडिकल फील्ड से हैं। इसका असर सीधे संभवत: इन फील्ड्स पर पड़ रहा है। हर साल हम कई डाॅक्टर और टेक्नोक्रेट को खो रहे हैं, जो कि संंबंधित फील्ड में बेहतर काम कर सकते हैं। यह राष्ट्र के लिए भी बेहद जरूरी है।