Move to Jagran APP

एनईपी को लेकर विरोध आखिर क्यों? शिक्षा मंत्री का तमिलनाडु के सीएम स्टालिन पर पटलवार, पूछे कई सवाल

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को लेकर केंद्र और तमिलनाडु के बीच जारी सियासी जंग थमने का नाम नहीं ले रही है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के आरोप पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार को फिर करारा जवाब दिया और पूछा- एनईपी को लेकर विरोध आखिर क्यों। क्या वह तमिल सहित मातृभाषा में शिक्षा में देने के खिलाफ है।

By Jagran News Edited By: Shubhrangi Goyal Updated: Mon, 09 Sep 2024 11:45 PM (IST)
Hero Image
शिक्षा मंत्री का तमिलनाडु के सीएम स्टालिन पर पटलवार
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को लेकर केंद्र और तमिलनाडु के बीच जारी सियासी जंग थमने का नाम नहीं ले रही है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के आरोप पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार को फिर करारा जवाब दिया और पूछा- 'एनईपी को लेकर विरोध आखिर क्यों। क्या वह तमिल सहित मातृभाषा में शिक्षा में देने के खिलाफ है।'

इससे पहले भी प्रधान ने पीएम-श्री स्कूलों से जुड़े करार से उनके पाछे हटने पर भी सवाल किया था और उन्हें पत्र लिखकर अपने फैसले को बदलने को कहा है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री प्रधान ने स्टालिन पर यह पलटवार ऐसे समय किया है, जब उन्होंने केंद्र पर एनईपी को जबरिया लागू करने के लिए दबाव बनाने का आरोप लगाया और कहा कि इसे लागू न करने पर तमिलनाडु को समग्र शिक्षा के तहत दी जानी केंद्रीय मदद को रोका जा रहा है। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु के साथ यह भेदभाव तब हो रहा है, जब वह स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। इसके आंकड़े भी उन्होंने जारी किए।

केंद्रीय मंत्री प्रधान ने भी एक्स पर दिया जवाब

स्टालिन की ओर से इंटरनेट मीडिया 'एक्स' के जरिए लगाए गए इन आरोपों का केंद्रीय मंत्री प्रधान ने भी एक्स पर ही जवाब दिया और कहा कि राज्यों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा होना अच्छी बात है लेकिन अपनी बात कहने के लिए राज्यों को एक-दूसरे के खिलाफ करना संविधान की भावना और एकीकृत भारत के मूल्यों के विरुद्ध है। प्रधान ने उनसे चार सवाल भी पूछे और कहा कि बताए 'क्या वह तमिल सहित मातृभाषा में शिक्षा देने का विरोध कर रहे हैं।

'तमिलनाडु के हित में एनईपी को अपनाना चाहिए'

क्या वह तमिल सहित भारतीय भाषाओं में परीक्षा आयोजित करने का विरोध कर रहे हैं, क्या वह तमिल सहित भारतीय भाषाओं में तैयार की जा रही पाठ्यपुस्तकों व अध्ययन सामग्री के निर्माण का विरोध कर रहे हैं, क्या वह एनईपी के समग्र, बहु-विषयक, न्यायसंगत, भविष्यवादी और समावेशी ढांचे के विरोध में हैं ? ' प्रधान ने कहा कि यदि ऐसा नहीं है तो उन्हें राजनीतिक कटुता को भूलकर तमिलनाडु के हित में एनईपी को अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि एनईपी को व्यापक विचार-विमर्श के तहत तैयार किया गया है। जिसमें भारत के लोगों का सामूहिक ज्ञान शामिल है।