Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Jammu News: आतंकवाद पीड़ितों को मिली सरकारी नौकरी, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने नियुक्ति पत्र किए भेंट

दक्षिण कश्मीर के शोपियां में जुलाई 2020 में एक फर्जी मुठभेड़ में मारे गए जिला राजौरी के तीन नागरिकों के परिजनों और उधमपुर में आतंकी हमले में मारे गए एक नागरिक की पत्नी को उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने मंगलवार को सरकारी नौकरी के नियुक्ति पत्र भेंट किए। इसी तरह से कई मामलों में पीड़ितों को उपराज्यपाल ने सरकारी नौकरी के नियुक्ति पत्र भेंट किए।

By Jagran NewsEdited By: Nidhi VinodiyaUpdated: Tue, 05 Sep 2023 08:24 PM (IST)
Hero Image
आतंकवाद पीड़ितों को मिली सरकारी नौकरी, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने नियुक्ति पत्र किए भेंट

जम्मू,राज्य ब्यूरो। दक्षिण कश्मीर के शोपियां में जुलाई 2020 में एक फर्जी मुठभेड़ में मारे गए जिला राजौरी के तीन नागरिकों के परिजनों और उधमपुर में आतंकी हमले में मारे गए एक नागरिक की पत्नी को उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने मंगलवार को सरकारी नौकरी (Government Job to Terrorism Victim) के नियुक्ति पत्र भेंट किए।

इन परिवारों को सौंपे गए नियुक्ति पत्र

दक्षिण कश्मीर के शोपियां में जुलाई 2020 को तीन नागरिक मोहम्मद इबरार निवासी ताराकस्सी राजौरी, मोहम्मद इम्तियाज निवासी धार सकरी राजौरी और मोहम्मद अबरार निवासी कोटरंका एक फर्जी मुठभेड़ में मारे गए थे। इस मामले में सेना ने दोषी सैन्यकर्मियों के खिलाफ कोर्ट मार्शल की कार्रवाई की है।

आज यहां राजभवन में उपराज्यपाल ने एसआरओ-43 के तहत अनुकंपा के आधार पर मोहम्मद इबरार की पत्नी शरीन अख्तर, दिवंगत मोहम्मद इम्तियाज के भाई मोहम्मद आरिफ और दिवंगत अबरार अहमद के भाई फरायज अहमद को सरकारी नौकरी के नियुक्ति पत्र सौंपे।

हर संभव सहायता का दिलाया यकीन

उपराज्यपाल ने इस अवसर पर जिला उधमपुर के धंडाल की रहने वाली नीता देवी को भी एसआरओ-43 के तहत सरकारी नौकरी का नियुक्ति पत्र सौंपा है। नीता देवी के पति छगेर कुमार की बीते वर्ष उधमपुर में हुए एक आइईडी धमाके में मौत हो गई थी। उपराज्यपाल ने मृतक नागरिकों के परिजनों के साथ बातचीत में उन्हें भविष्य में प्रशासन द्वारा हर संभव सहायता का यकीन भी दिलाया।

इस अवसर पर राजभवन में मंडलायुक्त रमेश कुमार और जम्मू रेंज के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक मुकेश सिंह भी मौजूद थे।

यह भी पढ़ें- Jammu News: आतंकियों का नया हथकंडा, ओवरग्राउंड वर्करों से संपर्क के लिए अपना रहे डेड-ड्राॅप की रणनीति