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Study Abroad: भारत और ब्रिटेन की डिग्री होंगे बराबर, भारतीय स्कूलों से 12वीं / पीयूसी ले सकेंगे सीधे दाखिला

Study Abroad भारत और ब्रिटेन के बीच उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 21 जुलाई 2022 को हुए समझौते के अंतर्गत दोनो देशों की यूजी पीजी और शोध डिग्रियां समकक्ष मानी जाएंगी। साथ ही भारतीय स्कूलों से प्राप्त 12वीं के सर्टिफिकिकेट ब्रिटेन में दाखिले के लिए उपयुक्त होंगे।

By Rishi SonwalEdited By: Updated: Fri, 22 Jul 2022 04:33 PM (IST)
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ब्रिटेन में उच्च शिक्षा (यूजी, पीजी, पीएचडी) करने के इच्छुक स्टूडेंट्स के लिए काम की खबर।
नई दिल्ली, एजुकेशन डेस्क। Study Abroad: विदेश, विशेषकर ब्रिटेन में, उच्च शिक्षा की इच्छा रखने वाले भारतीय छात्र-छात्राओं के लिए काम की खबर। भारत और ब्रिटेन के उच्च शिक्षा संस्थान की स्नातक, स्नातकोत्तर और शोध डिग्री अब समकक्ष मानी जाएगीं। साथ ही, विभिन्न केंद्रीय व राज्य बोर्डों से सम्बद्ध भारतीय स्कूलों से ली गई 12वीं (सीनियर सेकेंड्री, हायर सेकेंड्री, इंटरमीडिएट, प्री-यूनिवर्सिटी सर्टिफिकेट – पीयूसी, जमा दो) के प्रमाण-पत्रों को ब्रिटेन के उच्च शिक्षा संस्थानों में दाखिले के लिए उपयुक्त माना जाएगा। ये निर्णय भारत और ब्रिटेन के बीच शिक्षा के क्षेत्र में हुए समझौते के तहत लिए गए।

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भारत और ब्रिटेन के बीच शिक्षा क्षेत्र में हुए इस महत्वपूर्ण समझौते पर वीरवार, 21 जुलाई 2022 को हस्ताक्षर किए गए। भारत सरकार की तरफ उच्च शिक्षा विभाग के सचिव के. संजय मूर्ति द्वारा समझौते पर हस्ताक्षर किए गए जिसके तहत दोनों देशों में विधिवत अनुमोदित और मान्यता प्राप्त उच्च शिक्षा संस्थानों के भीतर छात्रों द्वारा प्राप्त शैक्षिक योग्यता और अध्ययन की अवधि की पारस्परिक मान्यता प्रदान की जाएगी। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी की गई विज्ञप्ति के अनुसार, एक दूसरे देश में छात्रों की आवाजाही को बढ़ावा देने के अलावा, योग्यता की पारस्परिक मान्यता होने से सहयोग, अकादमिक और अनुसंधान के क्षेत्र में आदान-प्रदान के माध्यम से उच्च शिक्षा में उत्कृष्टता को भी बढ़ावा मिलेगा।

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दूसरी तरफ, भारत और ब्रिटेन के छात्रों के लिए शैक्षिक अवसर बढ़ाने को लेकर हुए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के बाद वाणिज्य सचिव बी. वी. आर. सुब्रह्मण्यम ने कहा कि भारत-ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) वार्ता 31 अगस्त तक समाप्त हो जाएगी और दोनों पक्षों की आंतरिक मंजूरी के बाद दोनों नेताओं की सहूलियत के अनुसार समझौते पर हस्ताक्षर किए जा सकेंगे। उन्होंने कहा, "ब्रिटेन की सत्ता में अलग पार्टी के होने के बावजूद, भारत के साथ एफटीए की तार्किकता में कोई अंतर नहीं हुआ है।"

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