UGC on ‘Professor of Practice’: विश्वविद्यालयों में चार वर्षों के लिए होगी ‘प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ की भर्ती
UGC on ‘Professor of Practice’ विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने देश भर के उच्च शिक्षा संस्थानों में उद्योग जगत के विशेषज्ञों की ‘प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ के तौर पर अधिकतम चार वर्ष के लिए अस्थायी भर्ती के दिशा-निर्देशों को मंजूदी दे दी।
By Rishi SonwalEdited By: Updated: Tue, 23 Aug 2022 03:24 PM (IST)
नई दिल्ली, एजुकेशन डेस्क। UGC on ‘Professor of Practice’: देश भर के विश्वविद्यालयों, सम्बद्ध महाविद्यालयों और अन्य उच्च शिक्षा संस्थानों में जल्द ही विभिन्न क्षेत्रों एवं उद्योग जगत के विशेषज्ञों को फैकल्टी के तौर पर भर्ती हो सकेगी। उच्च शिक्षा संस्थानों को विनियमित करने वाले विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने विश्वविद्यालयों में ‘प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ के दिशा-निर्देशों को मंजूरी दे दी है। समाचार एजेंसी एएनआइ के एक अपडेट के अनुसार, यूजीसी के अधिकारियों ने आयोग की 560वीं बैठक के बाद यह जानकारी सोमवार, 22 अगस्त 2022 को साझा की। साथ ही, इन दिशा-निर्देशों पर विभिन्न स्टेकहोल्डर्स से प्रतिक्रियाएं आमंत्रित करने के लिए जल्द ही जारी किया जाएगा। बता दें कि ‘प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ भर्ती के लिए सम्बन्धित विषय/क्षेत्र में डॉक्ट्रेट (पीएचडी) और राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) उत्तीर्ण करना जरूरी नहीं होगा।
UGC on ‘Professor of Practice’: अधिकतम चार वर्षों के लिए होगी ‘प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ की भर्ती
यूजीसी द्वारा अनुमोदित ‘प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ दिशा-निर्देशों के अनुसार विश्वविद्यालय और अन्य उच्च शिक्षा संस्थान विभाग ऐसे इंडस्ट्री एक्टपर्ट्स की अधिकतम चार वर्षों के लिए निश्चित अवधि कार्यकाल के आधार पर भर्ती कर सकेंगे, जिन्होंने अपने क्षेत्र/उद्योग जगत में उल्लेखनीय योगदान किया होगा। इन क्षेत्रों में इंजीनियरी, विज्ञान, तकनीकी, उद्यमिता, वाणिज्य, सामाजिक विज्ञान, मीडिया, साहित्य, फाइन आर्ट्स, सिविल सेवा, सशस्त्र बल, लोक प्रशासन, लीगल, आदि शामिल हैं। विशेषज्ञों की अस्थायी भर्ती पहले तीन वर्षों के लिए होगी, इस अवधि को संस्थान की आवश्यकता के अनुसार एक और वर्ष के लिए बढ़ाया जा सकेगा।
UGC on ‘Professor of Practice’: अधिकतम 10 फीसदी रिक्तियों के लिए ही होगी ‘प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ की भर्ती
इसके अतिरिक्त, विश्वविद्यालयों और डिग्री कॉलेजों में ‘प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ की भर्ती के लिए तैयार किए गए दिशा-निर्देशों के मुताबिक, किसी भी उच्च संस्थान में विशेषज्ञों की अस्थायी भर्ती के रिक्तियों की संख्या सम्बन्धित विषय के लिए शिक्षण पदों की कुल अनुमोदित संख्या के 10 फीसदी से अधिक नहीं होनी चाहिए।UGC on ‘Professor of Practice’: ‘प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस' पर क्या कहते हैं यूजीसी प्रमुख?
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के प्रमुख एम. जगदीश कुमार ने उच्च शिक्षा संस्थानों में ‘प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ की अस्थायी भर्ती को कहा कि इससे वास्तविक उद्योग जगत की कार्य-प्रणाली को कक्षाओं में लाने मदद मिलेगी। साथ ही, इससे उद्योग और समाज में सम्बन्धित कौशल में प्रशिक्षित स्नातकों की उपलब्धता बढ़ेगी। “युवाओं को इष्टतम स्तर पर कौशल प्रदान करने के लिए, शिक्षार्थियों को नियोक्ताओं की तरह सोचना चाहिए और नियोक्ताओं को शिक्षार्थियों की तरह सोचना चाहिए। इस दिशा में, यूजीसी ने 'प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस' नामक पदों की एक नई श्रेणी के माध्यम से अकादमिक संस्थानों में उद्योग और अन्य पेशेवर विशेषज्ञता लाने के लिए एक नई पहल की है,” यूजीसी प्रमुख ने कहा।