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भीमा-कोरेगांव हिंसाः 10 प्वाइंट्स में पढ़ें पूरा मामला कब क्या हुअा

पुणे जिले के भीमा-कोरेगांव हिंसा पुरे महाराष्ट्र में फैल चुकी है। इस हिंसा की वज़ह से राज्य के लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।

By Arti YadavEdited By: Updated: Wed, 03 Jan 2018 03:26 PM (IST)
भीमा-कोरेगांव हिंसाः 10 प्वाइंट्स में पढ़ें पूरा मामला कब क्या हुअा

नई दिल्ली,जेएनएन। पुणे जिले के भीमा-कोरेगांव हिंसा की आग पूरे महाराष्ट्र में फैल चुकी है। इस हिंसा की वजह से राज्य के लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। इसका असर पूरे देश पर दिखने लगा है। दलितों ने आज महाराष्ट्र में बंद का एलान किया है। राजनीतिक पार्टियां एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। मुख्यमंत्री और अन्य राज्य नेताओं ने इसकी जांच और तत्काल कार्रवाई के आदेश दिए हैं। 10 बिंदु में जानिए भीमा-कोरेगांव हिंसा में अब तक क्या हुअा।

1. क्यों हो रही हैं हिंसा 

महाराष्ट्र में हिंसा 'शौर्य दिवस' को मनाए जाने को लेकर हो रही है। कुछ दक्षिणपंथी संगठन शौर्य दिवस का विरोध कर रहे हैं। उनके अनुसार यह राष्ट्र विरोधी उत्सव है। नए साल के मौके पर भीमा-कोरेगांव युद्ध की 200वीं सालगिरह मनाई जा रही थीं। मराठा और दलितों के बीच प्रोग्राम के दौरान हिंसक झड़प हो गई थी। भीमा-कोरेगांव युद्ध के शौर्य दिवस के आयोजन को लेकर हुई हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गई। जातीय हिंसा की यह आग मंगलवार को मुंबई सहित महाराष्ट्र के 18 जिलों में फैल गई। 

2. क्या है भीमा-कोरेगांव की लड़ाई 

गौरतलब है कि 1 जनवरी 1818 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और मराठा साम्राज्य के पेशवा गुट के बीच, कोरेगाँव भीमा में लड़ी गई थी। भीमा-कोरेगांव युद्ध में अंग्रेजों ने पुणे के बाजीराव पेशवा द्वितीय की सेना को हराया था। तब अस्पृश्य समझे जाने वाली महार जाति ने तब अंग्रेजों का साथ दिया था। तब से महार जाति 'शौर्य दिवस' मना रही है।

3. जिग्नेश-उमर खालिद के खिलाफ एफआईआर दर्ज  

पुणे के पुलिस स्टेशन में जिग्नेश मेवाणी और उमर खालिद के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। जिस वक्त शौर्य दिवस का कार्यक्रम हो रहा था तो मंच पर गुजरात के दलित विधायक जिग्नेश मेवाणी और जेएनयू के छात्रनेता उमर खालिद भी मौजूद थे उन पर भड़काऊ बयान देने का आरोप है। खबरों के मुताबिक, इनके बयानों के बाद दो समुदायों में हिंसा भड़की।

4. एकबोते व भिड़े पर केस 

पुणे की पिंपरी पुलिस ने हिंदू एकता अघाड़ी के मिलिंद एकबोते व शिवराज प्रतिष्ठान के संभाजी भिड़े के खिलाफ हिंसा भड़काने का केस दर्ज किया है। दोनों संगठनों ने भीमा-कोरेगांव युद्ध में 'अंग्रेजों की जीत' को शौर्य दिवस के रूप में मनाने का विरोध किया था। महाराष्ट्र का दलित समुदाय 200 साल से यह मनाता आ रहा है। अब इसके विरोध से दलित समुदाय उग्र हो उठा। मुंबई में ही 160 से ज्यादा बसों में तोड़फोड़ की गई। पुलिस ने 100 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया है।

5. ठाणे में धारा 144 लागू 

घाटकोपर के रमाबाई कॉलोनी और पूर्वी एक्सप्रेस हाइवे पर भारी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है। प्रदर्शनकारियों ने ठाणे स्टेशन पर ट्रेन को रुकवाकर विरोध प्रदर्शन करने की कोशिश की थी। बढ़ती हिंसा को देखते हुए ठाणे में 4 जनवरी की रात्रि तक धारा 144 लागू कर दी गई है। औरंगाबाद में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं। डीसीपी प्रवीण मुंधे ने कहा, "मैं सभी नागरिकों से अपने डेली रुटीन को जारी रखने का आह्वान करता हूं। उन्होंने आश्वासन दिया कि शहर में शांति व्यवस्था जल्द ही हो जाएगी। सेशल माडिया पर फैलाए जा रहे अफवाहों पर ध्यान ना दें।"

6. मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस का बयान 

फड़णवीस मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने कहा कि यह राज्य सरकार को बदनाम करने की साजिश है। सरकार ने हिंसा की बॉम्बे हाई कोर्ट के मौजूदा न्यायाधीश से जांच के आदेश दे दिए हैं। मुख्यमंत्री ने मृतक के परिजनों को 10 लाख का मुआवजा देने और सीआईडी जांच के आदेश दिए हैं। सोशल मीडिया पर अफवाहें फैलाने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। भीमा-कोरेगांव में तीन लाख लोग एकत्र हुए थे। कुछ लोगों ने गंभीर संकट पैदा करने की कोशिश की लेकिन वहां मौजूद सुरक्षा कर्मियों की छह कंपनियों ने हालात काबू में किए और बड़ी समस्या पैदा होने से रोक दी।

7. विपक्ष ने भाजपा और आरएसएस पर लगाया हिंसा उकसाने का आरोप 

विपक्षी दलों ने भाजपा और आरएसएस पर दंगों को उकसाने का आरोप लगाया है। राहुल गांधी ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा,'संघ और भाजपा दलितों को समाज में सबसे नीचे पायदान पर रखना चाहती है। ऊना, रोहित वेमुला और भीमा-कोरेगांव की हिंसा दलितों के प्रतिरोध के उदाहरण हैं।' वहीं मायावती ने हिंसा में भाजपा का हाथ बताते हुए कहा, 'महाराष्ट्र की भाजपा सरकार ने यह हिंसा करवाई। इसके पीछे पीछे भाजपा, आरएसएस और जातिवादी ताकतों का हाथ है।'

8. आरएसएस का बयान 

आरएसएस अखिल भारतीय प्राचार प्रमुख डॉ मनमोहन वैद्य ने कहा, 'कोरेगांव, पुणे और महाराष्ट्र के अन्य कई जगहों पर हालिया घटनाएं बहुत दुखद और दर्दनाक हैं। आरएसएस इस तरह की हिंसा की निंदा करता है। कुछ लोग समुदायों के बीच घृणा और शत्रुता पैदा करने की कोशिश कर रह हैं।' उन्होंने जनता से एकता और सद्भाव बनाए रखने की अपील की।

9. लोकसभा और राज्यसभा में उठा भीमा-कोरेगांव हिंसा का मामला    

पुणे हिंसा का मुद्दा आज लोकसभा और राज्‍यसभा में भी गूंजा। लोकसभा में विपक्षी पार्टियों ने मुद्दा उठाया। कांग्रेस की तरफ से मल्लिकार्जुन खड़गे ने लोकसभा में इस मुद्दे को उठाया। उन्होंने कहा, 'समाज में विभाजन के लिए कट्टर हिन्दुत्त्ववादी जो वहां आरएसएस के लोग हैं, इसके पीछे उनका हाथ है'।

वहीं राज्‍यसभा में विपक्षी सदस्यों ने पुणे में जातीय हिंसा का मुद्दा उठाने की कोशिश की तो सभापति एम वेंकैया नायडू ने उन्हें बोलने का मौका ही नहीं दिया और तुरंत सदन की कार्यवाही बारह बजे तक स्थगित कर दी जिससे शून्यकाल नहीं हो सका।

10. आम जनता पर प्रभाव 

भीमा-कोरेगांव हिंसा से महाराष्ट्र के लोगों का जीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया है। मुंबई में आज स्कूल बसों की सेवा बंद कर दी गई है। एक स्कूल बस मालिक ने कहा, बच्चों की सुरक्षा को लेकर रिस्क नहीं लिया जा सकता है।पुणे और सतारा जाने वाली बसों को भी हिंसा को देखते हुए अगले आदेश तक निलंबित कर दिया गया है। ठाणे में ऑटो-रिक्शा की कमी के कारण ऑफिस जाने वाले लोगों को काफी परेशानियां का सामना करना पड़ रहा है। कुछ प्रदर्शनकारियों ने ठाणे में रेलवे सेवा को भी प्रभावित करने की कोशिश की लेकिन वहां मौजूद आरपीएफ और जीआरपी बलों ने तत्काल इस पर काबू पा लिया। केंद्रीय रेलवे के अधिकारी के कहना है कि सेंट्रल रेलवे पर रेल सेवा निर्बाधित रूप से चालू है। नालासोपारा रेलवे स्टेशन के रेलवे ट्रैक पर बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों ने रेलवे जाम कर रखा है। मुंबई तक पहुंचे हिंसा के असर ने कई लोकल ट्रेंनों और बसों को भी इसका शिकार बनाया गया। मुंबई प्रसिद्ध डब्बावाला संगठन ने भी हिंसा को देखते हुए एक दिन के लिए अपनी सेवा बंद करने का फैसला किया है। 

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