चंबल में छोड़े गए दुनिया से गायब हो चुके 100 बटागुर कछुए
विश्व में सिर्फ चंबल नदी में ही शेष है यह कछुआ..
By Gunateet OjhaEdited By: Updated: Fri, 17 Mar 2017 01:32 AM (IST)
मुरैना, जेएनएन। देवरी ईको सेंटर पर पल रहे आकर्षक और दुनिया से लगभग विलुप्त हो चुके बटागुर कछुओं को चंबल नदी में छोड़ा गया है। इस साल चंबल में करीब 100 बटागुर कछुए छोड़े गए हैं। इससे चंबल में इन कछुओं की संख्या में इजाफा होगा। अपने सिर पर रंग बिरंगी धारियों के कारण आकर्षक लगने वाले इस कछुए को लेकर विश्व की कई संस्थाएं चंबल में काम कर रही हैं।
वन विभाग के अधिकारियों की मानें तो चंबल नदी में कुछ गिने चुने स्थानों पर अंडे देने वाले बटागुर कछुओं के अंडों को हर साल देवरी ईको सेंटर लाया जाता है। यहां पर इन अंडों से कछुए बाहर निकलते हैं। इसके बाद इन कछुओं को विशेषज्ञों की निगरानी में पाला जाता है। यहां पर चंबल में छोड़े जाने योग्य होने तक इन कछुओं को रखा जाता है। इसके बाद इन्हें चंबल के विभिन्न घाटों पर छोड़ दिया जाता है। वन विभाग मध्य प्रदेश सहित उत्तर प्रदेश द्वारा बड़े पैमाने पर किए जा रहे संरक्षण का ही नतीजा है कि चंबल नदी में इस कछुए की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है और चंबल नदी में अभी भी कछुओं की यह प्रजाति दिखाई देती है।यह है विशेषता
वन्य जीव विशेषज्ञों के मुताबिक बटागुर कछुआ सॉफ्ट सेल कछुआ है जो ज्यादातर समय पानी में ही बिताता है। यह कछुआ सिर्फ साफ पानी में ही जीवित रहता है और मछलियां इसका मुख्य भोजन हैं। चंबल नदी का पानी दुनिया की दूसरी नदियों की तुलना में साफ है और यहां मछलियां भी प्रचुर मात्रा में हैं। इसलिए यहां पर यह कछुआ आसानी से पल रहा है।यह भी पढ़ेंः उत्तर प्रदेश, पंजाब और गोवा में घटे दागी विधायक