18 जनवरी से 23 मार्च के बीच विदेशों से भारत आए 15 लाख यात्री, केंद्र ने राज्यों से कहा सब पर रखें निगाह
बीते 18 जनवरी से 23 मार्च के बीच विदेशों से 15 लाख यात्री भारत आ चुके हैं। अब केंद्र ने राज्यों से कहा है कि विदेशों से जो भी लोग भारत आए हैं उन पर निगरानी रखी जाए।
By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Fri, 27 Mar 2020 03:55 PM (IST)
नई दिल्ली, पीटीआइ/जेएनएन। बीते 18 जनवरी से 23 मार्च के बीच विदेशों से 15 लाख अंतरराष्ट्रीय यात्री भारत आ चुके हैं। अब केंद्र ने राज्यों से कहा है कि विदेशों से जो भी लोग भारत आए हैं उन पर निगरानी रखी जाए। कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के सचिवों से कहा है कि ऐसा लगता है कि कोरोना वायरस को लेकर हो रही वास्तविक निगरानी और विदेश से आए कुल यात्रियों में एक बड़ा अंतर है। अब तक भारत में कोरोना वायरस के जो मरीज सामने आए हैं उनमें से कई का विदेशी यात्रा का इतिहास रहा है। इन यात्रियों की निगरानी का अंतराल कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई की मुहिम के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है। ऐसे में विदेशों से आए सभी यात्रियों की निगरानी की जानी चाहिए।
जागरण न्यूज नेटवर्क की रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना वायरस के खतरे के प्रति लोगों में भी काफी जागरूकता बढ़ी। श्रीनगर वादी में लोगों ने विदेश यात्रा छिपाने वाले 400 से ज्यादा स्थानीय नागरिकों के बारे में नियंत्रण कक्ष को सूचित किया है। इनमें से 200 शिकायतें सही पाई गई हैं और विदेश से लौटे 150 लोगों को क्वारंटाइन केंद्रों में भेजा गया है। घाटी में पाए गए कोरोना संक्रमित मरीज या तो विदेश यात्रा से लौटे हैं या तो उनके संक्रमित लोगों के संपर्क में रहने की हिस्ट्री है। वादी में कोरोना संक्रमण के आठ मामलों की पुष्टि हो चुकी है। श्रीनगर में 90 क्वारंटाइन केंद्रों में रखे गए 1750 लोग विदेश यात्रा से लौटे हैं।
हाल ही में सामने आई एक रिपोर्ट में कहा गया था कि विदेशों से आने वाले कुछ यात्री अपना संक्रमण छिपाने के लिए थर्मो जांच से पहले पैरासिटामॉल की दवाएं ले रहे थे। डॉक्टरों की मानें तो संक्रमण को छिपाने का यह काफी खतरनाक तरीका है, क्योंकि पैरासिटामॉल से चार से छह घंटे तक बुखार को नियंत्रित किया जा सकता है। ऐसे लोग समाज और देश से विश्वासघात करते हैं। महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज, इंदौर के डॉ. सलिल भार्गव ने कहा कि ऐसा करना पूरे समाज के साथ धोखा है। कोरोना को लेकर बरती जा रही सख्ती से ही समझा जा सकता है कि हालात कितना नाजुक हैं। बावजूद यदि कोई अपना संक्रमण छिपा रहा रहा है तो यह गलत है। ऐसे लोगों को समझना चाहिए कि इससे न सिर्फ वे खुद की, बल्कि पूरे परिवार और समाज की जान को खतरे में डाल रहे हैं।