एस.के. सिंह, नई दिल्ली। बढ़ती मानव आबादी, उनके भोजन की व्यवस्था के लिए ज्यादा इलाकों में खेती, आवास के लिए बढ़ता शहरीकरण, इन सबके लिए जंगलों की कटाई और प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक इस्तेमाल - हमारे इन कदमों ने प्रकृति को अस्थिर कर दिया है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार डायनासोर के लुप्त होने के बाद पृथ्वी पेड़-पौधों और जीव-जंतुओं को खोने के सबसे बड़े खतरे से जूझ रही है और इसके जिम्मेदार हम हैं। खनन, प्रदूषण, खेती, निर्माण आदि के चलते लगभग 10 लाख प्रजातियों के लुप्त होने का खतरा उत्पन्न हो गया है।

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