Move to Jagran APP

'कांग्रेस हो गई थी परेशान...', गुरचरण दास बोले- नरसिम्हा राव व मनमोहन सिंह लाए थे 1991 का ऐतिहासिक आर्थिक सुधार

लेखक और टिप्पणीकार गुरुचरण दास का कहना है कि वह पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव और तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ही थे जोकि 1991 में आर्थिक सुधार लाए थे न कि कांग्रेस पार्टी।अपनी पुस्तक द डिलेमा आफ एन इंडियन लिबरल के लॉन्चिंग मौके पर दास ने कहा कि भारत ने 1991 में जो गलती की थी और जो वह लगातार कर रहा है ।

By Agency Edited By: Sonu Gupta Updated: Thu, 28 Mar 2024 08:36 PM (IST)
Hero Image
1991 के आर्थिक सुधार नरसिम्हा राव व मनमोहन लाए, कांग्रेस नहीं : गुरचरण दास।
पीटीआई, नई दिल्ली। लेखक और टिप्पणीकार गुरुचरण दास का कहना है कि वह पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव (P V Narasimha Rao) और तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) ही थे, जोकि 1991 में आर्थिक सुधार लाए थे, न कि कांग्रेस पार्टी।

अपनी पुस्तक ''द डिलेमा आफ एन इंडियन लिबरल'' के लॉन्चिंग मौके पर दास ने कहा कि भारत ने 1991 में जो गलती की थी और जो वह लगातार कर रहा है, वह यह है कि उसके सुधारक चुपके-चुपके सुधार कर रहे हैं। उन्होंने इसे सार्वजनिक तौर पर नहीं भुनाया।

नरसिम्हा राव से परेशान हो गई थी कांग्रेसः गुरचरण दास

पत्रकार शोमा चौधरी के साथ बातचीत में दास ने कहा- ''हम चुपके-चुपके सुधार कर रहे थे। इसका कारण यह था कि नरसिम्हा राव, मनमोहन सिंह और उनके आसपास के लोगों ने अपनी पार्टी यानी कांग्रेस को भी इनके प्रति आश्वस्त नहीं किया था। यह कांग्रेस पार्टी नहीं थी जिसने सुधार किए। असल में पार्टी तो ऐसे कदमों के चलते नरसिम्हा राव से परेशान हो गई थी।

1991 के ऐतिहासिक आर्थिक सुधारों पर क्या बोले?

अपनी बात को पुष्ट करने के लिए दास ने पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर का उदाहरण भी दिया। उन्होंने बताया कि कैसे वह अपना 20 प्रतिशत समय सुधारों में और 80 प्रतिशत समय सुधारों के प्रति जनता को जागरूक करने में लगाती थीं। 1991 के ऐतिहासिक आर्थिक सुधारों ने भारत की स्थिति को एक बंद और नियंत्रित आर्थिकी से एक खुली और उदारीकृत आर्थिकी में बदल दिया। इसे पूर्व पीएम नरसिम्हा राव और कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार में उनके वित्त मंत्री मनमोहन सिंह लाए थे।

आज भी जारी है प्रथा

दास ने कहा कि जनता को सुधारों के प्रति जागरूक न करने की प्रथा आज भी जारी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जैसे भविष्य के सुधारकों के साथ के शासनकाल में भी ऐसा नहीं किया जा रहा है। उन्होंने ने आरोप लगाया कि यही वह चीज है जिसके कारण आमतौर पर लोग सुधारों के बारे में ऐसा सोचते हैं कि यह अमीर को और अधिक अमीर और गरीबों को और अधिक गरीब बनाते हैं।

यह भी पढ़ेंः Lawyers Letter to CJI: दूसरों को डराना-धमकाना कांग्रेस की पुरानी संस्कृति', 600 वकीलों की चिट्ठी पर बोले PM मोदी

यह भी पढ़ेंः पूर्व IPS अधिकारी संजीव भट्ट को 20 साल की जेल, कोर्ट ने लगाया 2 लाख रुपये का जुर्माना; NDPS मामले में हुई सजा