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Indian Navy Conference में पेश हुआ 2000 साल पुरानी तकनीक से बना प्राचीन शिप मॉडल, जानिए इसकी खासियत

भारतीय नौसेना के शीर्ष कमांडरों के तीन दिवसीय सम्मेलन का आगाज हो गया है। आज से शुरू हुए नौसेना कमांडरों के सम्मेलन में कई मॉडल भी प्रदर्शित किए गए। इस दौरान भारत के 2000 साल पुराने जहाज निर्माण की कला पर आधारित शिप मॉडल भी प्रदर्शित किया गया जिसमें लकड़ी के तख्तों को कील से जोड़ने की जगह आपस में बांधकर जहाज तैयार किया जाता था।

By Jagran NewsEdited By: Mohd FaisalUpdated: Mon, 04 Sep 2023 06:01 PM (IST)
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नौसेना कमांडरों के सम्मेलन में पेश किया 2000 साल पुरानी तकनीक से बना प्राचीन शिप मॉडल (फोटो एएनआई)

नई दिल्ली, एजेंसी। भारतीय नौसेना के शीर्ष कमांडरों के तीन दिवसीय सम्मेलन का आगाज हो गया है। आज से शुरू हुए नौसेना कमांडरों के सम्मेलन में कई मॉडल भी प्रदर्शित किए गए। इस दौरान भारत के 2000 साल पुराने जहाज निर्माण की कला पर आधारित शिप मॉडल भी प्रदर्शित किया गया, जिसमें लकड़ी के तख्तों को कील से जोड़ने की जगह आपस में बांधकर जहाज तैयार किया जाता था और जिसे आजकल प्राचीन भारतीय स्टिच्ड शिप कहा जाता है।

2000 साल पुरानी तकनीक को किया जाएगा पुनर्जीवित

दरअसल, इस परियोजना का उद्देश्य 2000 साल पुरानी जहाज को बनाने की तकनीक को फिर से पुनर्जीवित करना है। इसलिए प्राचीन भारतीय जहाज को भारतीय नौसेना कमांडर सम्मेलन 2023 में पेश किया गया। भारतीय नौसेना का लक्ष्य है कि साल 2025 तक पारंपरिक मार्गों पर इस जहाज से यात्रा करेगी। बता दें कि प्राचीन काल में इस तरह के जहाजों के माध्यम से ही समुद्र में सफर तय किया जाता था।

रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट की मौजूदगी में पेश किया मॉडल

रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट, सीडीएस जनरल अनिल चौहान, नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार की मौजूदगी में नौसेना कमांडरों के सम्मेलन में 'सिलाई वाले प्राचीन भारतीय जहाज' के मॉडल को प्रदर्शित किया गया। बता दें कि संस्कृति मंत्रालय और भारतीय नौसेना ने जहाजों के निर्माण की 2000 साल पुरानी तकनीक को पुनर्जीवित और संरक्षित करने के लिए हाथ मिलाए हैं।

पुनर्जीवित करने के लिए उठाया कदम

मंत्रालय के बयान के अनुसार, इस तकनीक को 'टंकाई' कहा जाता है। उन्होंने कहा कि इस कला को पुनर्जीवित करना भावी पीढ़ियों के लिहाज से सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है। उल्लेखनीय है कि मंत्रालय ने बीते 18 जुलाई को एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए थे।