Axiom-4 Mission: पोखरण प्रतिबंधों के 25 साल बाद ISRO-NASA ने मिलाया हाथ, भारत के दो अंतरिक्ष यात्री चांद पर रखेंगे कदम; पढ़ें 10 बड़ी बातें
विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में भारत-अमेरिका (India-America) साझेदारी में एक मील का पत्थर के रूप में साबित होने जा रहा है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) एक्सिओम-4 अंतरिक्ष उड़ान मिशन ( Axiom-4 Spaceflight Mission ) के लिए दो भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों का स्वागत करने के लिए तैयार है। इसके साथ ही NASA चार अंतरिक्ष यात्रियों को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर भेजेगा।
ऑनलाइन डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिका और भारत दुनिया का सबसे पुराना लोकतंत्र और दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र गहरे संबंध बना रहे हैं और अब चांद तक पहुंचने की तैयारी कर रहे हैं। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्रवार को घोषणा की कि ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला और ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के लिए आगामी भारत-अमेरिका मिशन के वास्ते चुना गया है।
एक आधिकारिक विज्ञप्ति में इसरो ने कहा कि उसके मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र ने आईएसएस के लिए अपने चौथे मिशन के लिए अमेरिका के एक्सिओम स्पेस इंक के साथ अंतरिक्ष उड़ान समझौता किया है और ‘नेशनल मिशन असाइनमेंट बोर्ड’ ने दो गगनयात्रियों (अंतरिक्ष यात्रियों) - ग्रुप कैप्टन शुक्ला (प्रधान) और ग्रुप कैप्टन नायर के नाम की सिफारिश की है।
Axiom-4 मिशन है क्या ?
- NASA और अमेरिका की निजी रूप से वित्तपोषित अंतरिक्ष इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपर Axiom स्पेस ने ISS के लिये चौथे निजी अंतरिक्ष यात्री मिशन हेतु एक आदेश पर हस्ताक्षर किये जो अगस्त 2024 में फ्लोरिडा में स्थित कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च किया जाएगा।
- एक्सिओम-4 मिशन (जो स्पेस-एक्स के फाल्कन-9 रॉकेट और क्रू ड्रैगन स्पेस मॉड्यूल का उपयोग करेगा) का लक्ष्य चार अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजना है।
- चार अंतरिक्ष यात्रियों में एक अमेरिकी, एक हंगेरियन और एक पोलिश नागरिक तथा एक भारतीय शामिल हैं।
- भारतीय अंतरिक्ष यात्री (जिन्हें गगनयात्री भी कहा जाता है) वायु सेना के पायलट हैं जिन्हें उड़ान का व्यापक अनुभव है। उन्हें रूस में अंतरिक्ष यात्री के रूप में भी प्रशिक्षित किया गया है।
- यह मिशन अंतरिक्ष में अमेरिका-भारत साझेदारी के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
- भारत-अमेरिका अंतरिक्ष सहयोग लक्ष्यों के हिस्से के रूप में अंतरिक्ष यान प्रणालियों और आपातकालीन तत्परता पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को NASA, अंतर्राष्ट्रीय भागीदारों तथा स्पेसएक्स द्वारा प्रशिक्षित किया जाएगा।
- नासा और इसरो के बीच यह सहयोग 1990 के दशक में भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के साथ अमेरिका के समीकरणों से एक बड़ा बदलाव दर्शाता है।
- अमेरिकी प्रशासन ने 1998 के पोखरण परमाणु परीक्षणों के बाद ISRO पर प्रतिबंध भी लगाए।
- एक्सिओम स्पेस एक वाणिज्यिक कंपनी है जो इसरो और नासा के बीच मध्यस्थ के रूप में काम कर रही है।
- एक्सिओम स्पेस ने 2022, 2023, 2024 में अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर तीन निजी और वाणिज्यिक मिशनों को उड़ाने में मदद की है।
गगनयात्री अंतरिक्ष गतिविधियों में होंगे शामिल
इसरो के सूत्रों ने ‘न्यूज एजेंसी पीटीआई’ को बताया कि ऐसा नासा द्वारा मान्यता प्राप्त सेवा प्रदाता एक्सिओम स्पेस इंक की सिफारिश पर किया गया है। इसरो ने कहा कि नियुक्त चालक दल के सदस्यों को बहुपक्षीय चालक दल संचालन पैनल (एमसीओपी) द्वारा अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर उड़ान भरने की मंजूरी दी जाएगी। ये गगनयात्री अगस्त, 2024 के पहले सप्ताह से मिशन के लिए अपना प्रशिक्षण शुरू करेंगे। इसने कहा कि मिशन के दौरान ‘गगनयात्री’ आईएसएस पर चयनित वैज्ञानिक अनुसंधान और प्रौद्योगिकी प्रदर्शन प्रयोग करेंगे तथा अंतरिक्ष गतिविधियों में शामिल होंगे।ISRO-NASA के बीच मानव अंतरिक्ष उड़ान सहयोग होगा मजबूत
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि इस मिशन के दौरान प्राप्त अनुभव भारतीय मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए फायदेमंद होंगे और इससे इसरो और नासा के बीच मानव अंतरिक्ष उड़ान सहयोग भी मजबूत होगा। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने पिछले साल वाशिंगटन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ बैठक के बाद कहा था कि भारत और अमेरिका 2024 में एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर भेजने के लिए सहयोग कर रहे हैं।