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Sadanand V. Date: 26/11 के हीरो सदानंद बने एनआइए के डीजी, सीबीआइ और सीआरपीएफ में भी संभाल चुके हैं बड़े पदभार

महाराष्ट्र कैडर के 1990 बैच के आइपीएस अधिकारी सदानंद दाते को 26/11 के हमले के दौरान आतंकियों से लोहा लेने के लिए राष्ट्रपति ने पुलिस पदक से सम्मानित किया था। कार्मिक मंत्रालय के आदेश के अनुसार सदानंद वी. दाते कैबिनेट की चयन समिति ने दाते की एनआइए के डीजी के तौर पर कार्यकाल 26 मार्च से उनकी सेवानिवृत्ति के समय 31 दिसंबर 2026 तक तय किया है।

By Jagran News Edited By: Babli Kumari Updated: Wed, 27 Mar 2024 06:35 PM (IST)
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एटीएस प्रमुख सदानंद वी. दाते बने एनआइए के डीजी (फोटो- जागरण)
पीटीआई, नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र एटीएस प्रमुख सदानंद वी. दाते को एनआइए महानिदेशक (डीजी) नियुक्त किया है। महाराष्ट्र कैडर के 1990 बैच के आइपीएस अधिकारी सदानंद दाते को 26/11 के हमले के दौरान आतंकियों से लोहा लेने के लिए राष्ट्रपति ने पुलिस पदक से सम्मानित किया था। कार्मिक मंत्रालय के आदेश के अनुसार सदानंद वी. दाते कैबिनेट की चयन समिति ने दाते की एनआइए के डीजी के तौर पर कार्यकाल 26 मार्च से उनकी सेवानिवृत्ति के समय 31 दिसंबर, 2026 तक तय किया है।

दाते 31 मार्च को रिटायर हो रहे दिनकर गुप्ता की जगह लेंगे। एनआइए से पहले सदानंद दाते ने सीबीआइ में डीआइजी और सीआरपीएफ में आइजी (आप्स) के रूप में भी काम किया। उन्होंने मुंबई के पास मीरा-भयंदर और वसई-विरार शहर के पुलिस आयुक्त का पद भी संभाला।

जवाबी कार्रवाई के दौरान हुए थे घायल

दाते उन बहादुर अफसरों में से एक हैं जिन्होंने मुंबई में 26 नवंबर, 2008 की रात को दस आतंकियों के हमले में जवाबी कार्रवाई की और गोलीबारी के दौरान घायल हो गए। विषम परिस्थितियों में उनकी बहादुरी और सूझबूझ से कई नागरिकों को बचाया गया, जिन्हें अबू इस्माइल और अजमल कसाब ने बंधक बना लिया था। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को बाद में वीरता के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित किया गया।

गरीबी में पेपर बांटे, मां ने घरों में बर्तन मांजे

आइपीएस सदानंद वी. दाते ने पुणे में अपना बचपन गरीबी में गुजारा था। पिता के निधन के समय वह महज 15 साल के थे। लेकिन अपनी शिक्षा का खर्च वहन करने के लिए वर्ष 1977 से करीब दस साल तक उन्होंने तड़के घर-घर जाकर अखबार बांटे। घर खर्च के लिए उनकी मां ने घरों में बर्तन मांजने का काम किया। दाते एमकाम की पढ़ाई पूरी कर एकाउंटेंट बन गए। उसके बाद सावित्री बाई फूले से पुणे विश्वविद्यालय से कामर्स में पीएचडी की। उसके बाद पब्लिक सर्विस में जाने के लिए यूपीएससी की परीक्षाएं दीं और 1999 में आइपीएस अफसर बन गए। अपने सेवाकाल में उन्होंने मिनिसोटा यूनिवर्सिटी से संगठित अपराध की रोकथाम पर स्कालरशिप हासिल की।

पुलिस अनुसंधान व विकास ब्यूरो के डीजी बने राजीव शर्मा

इसके अलावा,कैबिनेट की नियुक्ति समिति (एसीसी) ने राजस्थान काडर के 1990 बैच के आइपीएस अफसर राजीव कुमार शर्मा को पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो का डीजी नियुक्त किया है। उनका कार्यकाल उनकी सेवानिवृत्ति 30 जून, 2026 तक रहेगा। शर्मा मार्च के अंत में बालाजी श्रीवास्तव का स्थान लेंगे। एसीसी ने उत्तर प्रदेश कैडर के 1991 बैच के आइपीएस और सीआइएसएफ में वर्तमान विशेष महानिदेशक पीयूष आनंद को भी नियुक्त किया है।

अब पीयूष आनंद एनडीआरएफ के नए प्रमुख होंगे। उत्तर प्रदेश कैडर के 1989 बैच के आइपीएस अधिकारी और वर्तमान में सीमा सुरक्षा बल के विशेष महानिदेशक के रूप में कार्यरत पीवी रामशास्त्री के समयपूर्व प्रत्यावर्तन के लिए गृह मंत्रालय (एमएचए) के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है। 

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