पंजाब-हरियाणा में पराली जलने से रोकने को तैनात की गईं 26 केंद्रीय टीम, सख्त कार्रवाई के आदेश
हरियाणा और पंजाब में पराली को जलाए जाने से रोकने के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) विशेष प्रयास कर रहा है। सीएक्यूएम के मुताबिक 15 सितंबर से नौ अक्टूबर के बीच पराली जलाने की 454 घटनाएं हुई हैं। इसमें 267 घटनाएं पंजाब और 187 हरियाणा में हुई हैं। अधिकारियों के मुताबिक पराली जले तो दोषी के खिलाफ प्राथमिकी कर सख्त कार्रवाई की जाए।
राज्य ब्यूरो, जागरण, नई दिल्ली। हरियाणा और पंजाब में पराली को जलाए जाने से रोकने के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) विशेष प्रयास कर रहा है। उसने 26 केंद्रीय टीमों को दोनों राज्यों के हाटस्पाट वाले जिलों में तैनात किए हैं। ये टीमें जिला प्रशासन के संपर्क में रहेंगी। ताकि धान की कटाई के बाद बगैर पराली जलाए उपलब्ध संसाधनों के माध्यम से बेहतर निस्तारण किया जा सके।
सीएक्यूएम के अनुसार, पराली का खेत में ही निस्तारण या किसी दूसरी जगह ले जाकर प्रबंधन करना होगा। इसके अलावा पराली जलाने की घटनाओं की रोकथाम की निगरानी व समन्वय के लिए चंडीगढ़ में एक धान पराली प्रबंधन प्रकोष्ठ का गठन होगा।
पराली जलाने की 454 घटनाएं हुई
सीएक्यूएम के मुताबिक, 15 सितंबर से नौ अक्टूबर के बीच पराली जलाने की 454 घटनाएं हुई हैं। इसमें 267 घटनाएं पंजाब और 187 हरियाणा में हुई हैं। इसके मद्देनजर राष्ट्रीय राजधानी और इसके आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन अधिनियम 2021 की धारा 14 (2) के तहत सीएक्यूएम ने हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और दिल्ली के सभी जिला अधिकारियों को पराली जलाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का अधिकार दे दिया है।पराली जले तो दोषी के खिलाफ होगी सख्त कार्रवाई
जिला उपायुक्त, जिला कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट से सीएक्यूएम ने कहा कि यदि कहीं पराली जले तो दोषी के खिलाफ प्राथमिकी कर सख्त कार्रवाई की जाए। सीएक्यूएम ने संबंधित राज्य सरकारों व जिला प्रशासन को निर्देश दिया कि उनके कंधों पर पराली जलाने की घटनाओं को रोकने की जिम्मेदारी अधिक है। इसलिए सख्त निगरानी रखें।
दिन ढलते ही शुरू हो जाता पराली जलाने का सिलसिला
दिन ढलते ही धान की पराली जलाने का सिलसिला शुरू हो जाता है। जलाई जा रही पराली से निकलने वाले धुंआ के कारण हवा दूषित होती जा रही है। जिसको लेकर लोगों को दूषित हवा में सांस लेने में परेशानी हो रही है। देहात में दिन निकालने पर पराली जलाने से होने वाले धुंआ के कारण कोहरा जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है।जिले से लेकर गांव तक धान की पराली न जलने को लेकर अधिकारियों ने जागरूकता के लिए अभियान चलाया, जिसमें अधिकारियों ने पराली जलाने से होने वाले नुकसान से भी किसानों को अवगत कराया। इसके बाद भी अगर कोई किसान धान की पराली जलते हुए पकड़ा गया तो उसके लिए होने वाली कार्यवाही से भी अवगत कराया गया।